कर्नाटक के आम किसान, खासतौर पर तोतापुरी आम उगाने वाले किसान, पिछले कुछ समय से बाजार में कीमतों में लगातार गिरावट से परेशान थे. इस संकट को देखते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को राहत देने का बड़ा फैसला लिया है. एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक के कृषि मंत्री एन. चालुवराया स्वामी के बीच यह अहम फैसला लिया गया. दोनों सरकारें मिलकर आम की कीमतों में आई गिरावट का नुकसान किसानों को भरपाई के रूप में देंगी. यह मुआवज़ा केंद्र सरकार की एक योजना के तहत दिया जाएगा, जिसमें लागत का आधा हिस्सा केंद्र और आधा राज्य सरकार वहन करेगी. आपको बता दें यह योजना केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जाती है. जिसका नाम मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme) है. जिसके तहत किसानों को राहत दी जाती है.
बैठक में यह तय किया गया कि कर्नाटक में पैदा हुए 10 लाख मीट्रिक टन आमों में से 2.5 लाख मीट्रिक टन आमों पर किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा. इस फैसले से हजारों आम किसानों को राहत मिलेगी, जो कम कीमतों के कारण नुकसान झेल रहे थे. कर्नाटक सरकार ने पहले केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें बताया गया था कि तोतापुरी आमों की कीमतें लगातार गिर रही हैं. इस पर केंद्रीय मंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अब किसानों को उचित सहायता देने का निर्णय लिया गया है.
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि जब यह प्रस्ताव भेजा गया था, उस समय टमाटर की कीमतें भी गिर रही थीं, लेकिन अब वे सामान्य हो गई हैं. इसलिए फिलहाल टमाटर किसानों के लिए कोई तत्काल सहायता की आवश्यकता नहीं है. कर्नाटक के कृषि मंत्री चालुवराया स्वामी ने केंद्र सरकार और विशेष रूप से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आया है और इससे आम उत्पादन में लगे हजारों परिवारों को आर्थिक सहायता मिलेगी.
इस संयुक्त प्रयास से कर्नाटक के आम किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा. यह कदम न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.
मूल्य समर्थन योजना (PSS) एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है, खासकर तब जब बाजार में कीमतें गिरती हैं. इस योजना के तहत सरकार किसानों से एक निश्चित मूल्य (न्यूनतम समर्थन मूल्य या MSP) पर फसल खरीदती है, जिससे किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
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