जापान के सहयोग से किसानों की मदद के लिए हरियाणा में 400 पैक हाउस बनाए जाएंगे. जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है. इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए जेआईसीए ने 1900 करोड़ रुपये के लंबी अवधि के लोन के लिए समझौता प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है, जबकि कुल 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इतने पैक हाउस बनाने का काम दो चरणों में होगा. इस प्रोजेक्ट की पहल सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने पहल की थी. अब आप सोच रहे होंगे कि पैक हाउस आखिर होता क्या है और इससे किसानों को कैसे लाभ मिलेगा. दरअसल, पैक हाउस की मदद से किसान अपने बागवानी उत्पादों जैसे-फलों और सब्जियों की आसानी से धुलाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग कर सकते हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कृषि उत्पादों का अच्छा दाम मिलेगा और किसानों की इनकम बढ़ेगी.
कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि एक पैक हाउस बनाने में लगभग पांच करोड़ रुपये का खर्च आता है. बहरहाल, इस कडी में मंगलावार को जेआईसीए के पांच सदस्यीय टीम ने दलाल से मुलाकात की. टीम ने पैक हाउस बनाने के लिए किए गए सर्वे के आधार पर फैक्ट फाइंडिग रिपोर्ट का प्रजेंटेशन दिया. क्रॉप डायवर्सिफिकेशन की दिशा में यह हरियाणा सरकार की बड़ी पहल है. सरकार अनाज वाली फसलों को छोड़कर बागवानी की तरफ रुख करने के लिए प्रेरित कर रही है. अभी सूबे में कुल फसल क्षेत्र के लगभग 7 फीसदी एरिया में बागवानी फसलों की खेती होती है, जिसे 2030 तक 15 फीसदी तक ले जाने का टारगेट है.
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पिछले दिनों कृषि मंत्री दलाल की अगुवाई में हरियाणा सरकार का दल जापान गया था. उसने वहां की फल एवं सब्जी मंडियों का अध्ययन किया था. अब जेआईसीए ने हरियाणा में कोल्ड चेन, पैक हाउस, ई-मार्केटिंग, क्रॉप ई-मार्केट और डाटा कम्युनिटी प्लेटफार्म का प्रस्ताव तैयार किया है. साथ ही केरल के कोच्चि विश्वविद्यालय के सहयोग से महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल में इन्टरनेट ऑफ प्लांट्स पर कार्य किया जाएगा. किसानों को धान, गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों से फल एवं सब्जियों की ओर बढ़ाना है ताकि अपनी आमदनी बढ़ा सकें.
जेपी दलाल ने कहा कि पैक हाउस के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परियोजना प्रबंधक सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी. परियोजना का पहला चरण 2024 से 2028 तक होगा. दूसरा चरण 2029 से 2033 तक होगा. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य किसान का उत्पाद खेत से सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने का है. इसके लिए पैकेजिंग, ब्रांडिंग व परिवहन की व्यवस्था पर जोर देना होगा. पैक हाउस, कोल्ड चेन व वेल्यू चेन स्थापित किए बिना यह संभव नहीं हो सकता.
दलाल ने कहा कि हरियाणा के किसान खुशनसीब हैं कि यहां मंडियों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद मजबूत है. इसलिए उन्हें फसल बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है. उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपये की लागत से सरकार सोनीपत के गन्नौर में भारत की सबसे बड़ी सब्जी मंडी बना रही है. यह इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट 545 एकड़ जमीन पर बन रहा है. इसके निर्माण के बाद हमारे किसानों के उत्पाद विदेशों तक आसानी से पहुंचेंगे. इस मार्केट की क्षमता प्रतिवर्ष 20 लाख मीट्रिक टन फलों और सब्जियों की होगी.
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