केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए बड़ा प्लान बनाया है. वह भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की मदद से 300,000 टन गेहूं मार्केट में उतारेगी. खास बात यह है कि एफसीआई ये गेहूं तीन सरकारी एजेंसियों को आवंटित करेगी. ये तीनों एजेंसियां 300,000 टन गेहूं को आटे में बदलकर भारत आटा ब्रांड नाम से 10 किलो के पैकेट में किफायती दरों पर बेचेंगी. इससे आम जनता को महंगाई से काफी राहत मिलेगी. वहीं, सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से महंगाई में भी गिरावट आएगी.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार की इस कोशिश के बावजूद भी खाने- पीने की चीजों में बढ़ोतरी जारी है. यही वजह है कि दिसंबर महीने में रिटेल महंगाई बढ़कर 4 महीने के उच्चतम स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसका असर आटे पर भी पड़ा है. आटे की औसत खुदरा कीमत बढ़कर 36.5 रुपये किलो हो गई है. हालांकि, सरकार खुदरा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लगातार फैसले ले रही है. कहा जा रहा है कि वह फूड इन्फ्लेशन से निपटने के लिए मार्च तक भारत ब्रांड नाम से आटा बेचना जारी रखेगी.
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने मिंट से बात करते हुए इंटरव्यू में कहा कि केंद्र सरकार ने दिसंबर महीने में तीन एजेंसियां NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडार की मदद से लगभग 100,000 टन गेहूं को आटे में बदलकर बेचा था. उन्होंने कहा कि हम जनवरी में इन तीन एजेंसियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आटे के रूप में लगभग 300,000 टन गेहूं उतारने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, हम उम्मीद कर रहे हैं कि बीते दिसंबर से जनवरी तक लगभग 400,000 टन गेहूं भारत आटे के रूप में उपभोक्ताओं को भेजा जाएगा.
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उन्होंने कहा कि अगर इसके बावजूद भी कीमतें ऊंची बनी रहती हैं, तो सरकार आवश्यकता के आधार पर इस योजना को जनवरी से आगे फरवरी-मार्च तक जारी रखेगी. यानी सरकार मार्च तक भारत ब्रांड आटा रिआयती दरों पर बेचगी. हालांकि, एफसीआई के माध्यम से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने अब तक NAFED, NCCF और केन्द्रीय भंडार को 390,000 टन गेहूं आवंटित किया है. इन एजेंसियों ने मिलिंग और प्रोसेसिंग के बाद उपभोक्ताओं को 116,617 टन आटा बेचा है.
वर्तमान में, एफसीआई के बफर स्टॉक में 15.9 मिलियन टन गेहूं है, जो 1 जनवरी के 13.8 मिलियन टन के बफर मानक से अधिक है. वहीं, दिवाली से पहले, केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से देश भर में 'भारत' ब्रांड के तहत 27.5 रुपये किलो की रियायती दर पर आटे की बिक्री शुरू की. इसका उद्देश्य फूड इन्फ्लेशन पर काबू पाना था. योजना के हिस्से के रूप में FCI ने सहकारी समितियां NAFED, NCCF और केन्द्रीय भंडार को 21.5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर 230,000 टन गेहूं आवंटित किया था.
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ये तीन एजेंसियां गेहूं को आटा में परिवर्तित करती हैं और उच्च कीमतों से राहत देने के लिए इसे 800 मोबाइल वैन और 2,000 खुदरा बिंदुओं और दुकानों के माध्यम से भारत आटा ब्रांड के तहत उपभोक्ताओं को बेचती हैं.
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