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PMFBY से जुड़ सकता है बिहार, इस साल 22 राज्यों में किसानों को मिलेगा बीमा स्कीम का फायदा!

PMFBY से जुड़ सकता है बिहार, इस साल 22 राज्यों में किसानों को मिलेगा बीमा स्कीम का फायदा!

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और झारखंड ने 2020 में पीएमएफबीवाई छोड़ दी थी जबकि पश्चिम बंगाल और बिहार पहले इस योजना से बाहर हो गए थे. पंजाब ने इस योजना को कभी लागू नहीं किया, क्योंकि उसे 100 प्रतिशत सिंचाई, मुख्य रूप से भूजल से होने वाली सिंचाई के बीच पीएमएफबीवाई किसानों के लिए फायदेमंद नहीं लगती.

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना. (सांकेतिक फोटो) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना. (सांकेतिक फोटो)

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को लागू करने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 22 हो सकती है, क्योंकि झारखंड और तेलंगाना में आगामी खरीफ सीजन के लिए नामांकन शुरू होने की बात कही जा रही है. वहीं, बिहार सरकार ने भी इस योजना को प्रदेश में लागू करने का मन बना लिया है. इसके लिए अधिकारियों के साथ चर्चा की जा रही है. खास बात यह है कि गुजरात में अभी तक पीएमएफबीवाई को लेकर कोई सुगबुगाहट देखने को नहीं मिली है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि हमें उम्मीद है कि झारखंड और तेलंगाना इस खरीफ के लिए नामांकन शुरू कर देंगे. इसके अलावा बिहार अगर फिर से शामिल होने का फैसला करता है तो भी ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता है, क्योंकि अब बहुत कम समय बचा है. झारखंड ने पिछले साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में फिर से शामिल होने का फैसला किया, जबकि तेलंगाना ने नई सरकार बनने के बाद इस फरवरी में अपने फैसले से अवगत कराया.

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31 जुलाई को है लास्ट डेट

खरीफ 2024 सीजन के लिए, पीएमएफबीवाई के तहत नामांकन केवल हिमाचल प्रदेश में शुरू हुआ है, जबकि 20 दिन बीत चुके हैं. खरीफ के लिए सामान्य नामांकन 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 जुलाई को समाप्त होता है, लेकिन यह अवधि अलग-अलग राज्यों में और कभी-कभी फसल-दर-फ़सल भी अलग-अलग होती है. दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रीमियम दरें 1 अप्रैल से पहले तय की जानी चाहिए, लेकिन राज्यों द्वारा इसका पालन नहीं किया जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

एक निजी बीमा फर्म के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पीएमएफबीवाई एक गैर-राजनीतिक योजना है, जिसका उद्देश्य धीरे-धीरे वास्तविक बीमा की ओर बढ़ना है, क्योंकि पहले यह मुआवजा-आधारित मॉडल था. उन्होंने कहा कि भारत में फसल बीमा को परिपक्व होने में कई साल लगेंगे, क्योंकि किसानों का कल्याण सरकार की नीति निर्धारण का मुख्य केंद्र है और छोटे और सीमांत किसानों के लाभ को हमेशा प्राथमिकता दी जाती है.

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2016 में लॉन्च हुई योजना

विशेषज्ञों ने कहा कि गुजरात का इस योजना से बाहर होना पीएमएफबीवाई में कुछ गड़बड़ी की ओर इशारा करता है, क्योंकि इसे 2016 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लॉन्च किया गया था. कृषि मंत्रालय के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने कहा, जब तक केंद्र गुजरात की उन चिंताओं को संबोधित नहीं करता और उसकी वापसी सुनिश्चित नहीं करता, तब तक यह योजना आकर्षक नहीं हो सकती है.