फार्मर आईडी से योजनाओं का लाभ बिना दस्तावेज के मिलना आसान हो जाएगा. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में किसानों की डिजिटल पहचान के लिए डिजिटल आईडी (फार्मर आईडी) बनाने का अभियान शुरू हो गया है. राज्य में 5 फरवरी से ग्राम पंचायत स्तर पर फार्मर रजिस्ट्री शिविर लगाकर किसानों की फार्मर आइडी बनाई जा रही हैं. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किसानों से अपील की है कि वह इस अभियान में हिस्सा लें और फार्मर आईडी यानी किसान आईडी जरूर बनावाएं. राज्य के 70 लाख से ज्यादा किसान फार्मर आईडी के जरिए सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ बिना दस्तावेज के मिलना आसान हो जाएगा.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही एग्रीस्टैक परियोजना का अहम हिस्सा फार्मर रजिस्ट्री है. किसानों की डिजिटल आईडी यानी फार्मर आईडी बनाने के लिए राजस्थान में चलाए जा रहे अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर तीन दिवसीय कैंप का आयोजन 5 फरवरी से किया जा रहा. यह अभियान 31 मार्च 2025 तक सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक चलेगा. कार्यक्रम के जरिए राज्य के 70 लाख से अधिक किसानों की आईडी बनाई जा रही हैं. अभियान का उद्देश्य किसानों को सरकारी योजनाओं, कृषि ऋण, उच्च गुणवत्ता वाले बीज और अन्य लाभ सीधे पहुंचाना है.
फार्मर रजिस्ट्री एग्रीस्टैक परियोजना के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) भारत सरकार की एक पहल है. इसके तहत किसान की डिटेल्स जैसे किसान की जनसांख्यिकीय डिटेल्स, उसकी कृषि भूमि की डिटेल्स, प्रत्येक कृषि भूखण्ड के जीपीएस निर्देशांक, भूमि पर बोई गई फसलों की डिटेल्स आदि को डिजिटल इंफास्ट्रक्चर में स्टोर किया जा रहा है. प्रदेश के प्रत्येक किसान को आधार बेस्ड 11 अंकों की एक यूनिक आईडी यानी विशिष्ट किसान आईडी दी जाएगी. इससे किसान डिजिटल रूप से अपनी पहचान प्रमाणित कर सकेंगे. इस प्रक्रिया को मोबाइल ऐप्लीकेशन और वेबसाइट के जरिए प्रदेश के सभी किसानों के स्वामित्व वाले सभी खसरों को शामिल करते हुए किसान के आधार से लिंक कराया जायेगा. इसके बाद किसान से ऑनलाइन सहमति हासिल करके ई-हस्ताक्षर प्रक्रिया शुरू होगी.
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