केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक मुफ्त फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति जारी रखने को मंजूरी दे दी है. इस कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उम्मीद है कि इस पहल से एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी कम होगी. इस पर कुल खर्च 17,082 करोड़ रुपये होगा, जिसमें 100 फीसदी फंडिंग केंद्र सरकार की ओर से की जाएगी.
सरकार पहले भी इस स्कीम की अवधि को बढ़ा चुकी है. इस योजना के तहत देश के 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन दिया जाता है. इसे मार्च 2020 में कोविड महामारी के दौरान शुरू किया गया था. दरअसल, लॉकडाउन को देखते हुए सरकार ने गरीबों को मुफ्त अनाज देने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी.बाद में इस योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दूसरी स्कीमों के साथ मिला दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के 75वें संबोधन में इस बात पर जोर दिया था कि देश के लोगों को खाद्य सुरक्षा के तहत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जानी चाहिए ताकि उन्हें एनीमिया जैसी बीमारी और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से जूझना न पड़े. प्रधानमंत्री ने देश में खाद्य सुरक्षा पर जोर दिया था और जनवितरण प्रणाली, वेलफेयर स्कीम, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस, पीएम पोषण योजनाओं के अंतर्गत लोगों को मुफ्त फोर्टिफाइड चावल दिया जा सके.
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इस योजना के तहत राशन कार्डधारक परिवारों को 5 किलो खाद्यान्न फ्री में उपलब्ध कराया जाता है. इसमें पीडीएस या राशन सिस्टम के तहत 5 किलो सब्सिडी वाला अनाज लोगों को मुफ्त में दिया जाता है. अंत्योदय अन्य योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों को इस योजना का लाभ मिलता है. इसमें गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को लाभ दिया जाता है.
अश्विनी वैष्णव ने विकास भी, विरासत भी नारे के साथ कहा कि भारत की समुद्री विरासत समृद्ध है. समृद्ध समुद्री विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है. इसे देखते हुए कैबिनेट ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की स्थापना को मंजूरी दी है. यह भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगा. सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को लेकर फैसले के बारे में उन्होंने कहा, कैबिनेट ने 4406 करोड़ रुपये के कुल निवेश से पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में 2280 किलोमीटर सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी है. इसके तहत राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में 2280 किलोमीटर सड़कें बनाई जाएंगी. इसका उद्देश्य ग्रामीण आजीविका को बढ़ाना, यात्रा को आसान बनाना, राजमार्ग नेटवर्क के बाकी हिस्सों से संपर्क बढ़ाना है.
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