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शाही लीची अब कई द‍िनों तक नहीं होगी खराब! कुछ इस तरह अन्य राज्यों तक भी पहुंचेगा स्वाद

शाही लीची अब कई द‍िनों तक नहीं होगी खराब! कुछ इस तरह अन्य राज्यों तक भी पहुंचेगा स्वाद

एक्ज‍िम बैंक की तरफ से किसानों को लीची की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए सोलर स्वचालित कोल्ड रूम, ट्रैक्टर, ऑटोमेटेड कीटनाशी स्प्रेयरों सहित अन्य कृषि उपकरण दिए गए हैं. इस तरह के कृषि उपकरण मिलने से लीची के फल लंबे समय तक सुरक्ष‍ित रह सकेंगे.  

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एक्ज़िम बैंक के द्वारा मुजफ्फरपुर के लीची किसानों को दिया गया कृषि उपकरण, फोटो- किसान तक एक्ज़िम बैंक के द्वारा मुजफ्फरपुर के लीची किसानों को दिया गया कृषि उपकरण, फोटो- किसान तक

लीची को फलों की रानी कहा जाता है. इस पर ब‍िहार की शाही लीची अव्वल है, ज‍िसे दुन‍िया में लीची की सभी क‍िस्मों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शाही लीची के स्वाद के दीवाने केवल देशी ही नहीं बल्कि विदेशी में भी हैं, लेकिन ब‍िहार की शाही लीची का स्वाद देश-व‍िदेश के लोग नहीं चख पाते हैं. इसकी वजह ये है क‍ि लीची के फल का बेहतर प्रबंधन नहीं होने से दो से ये तीन दिनों में ही खराब हो जाया करता है.ऐसे में किसानों को काफी नुकसान होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. किसान लीची का भंडारण लंबे समय तक कर सके. साथ ही अन्य लोग भी स्वाद‍िष्ट लीची का स्वाद लंबे समय तक ले सकेंगे.

 इसको लेकर भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) ने एक सकारात्मक पहल की है. बैंक ने लीची की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए मुजफ्फपुर के लीची ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार से जुड़े किसानों को निशुल्क सोलर स्वचालित कोल्ड रूम देने जा रहा है. ज‍िसमें क‍िसान अपनी लीची रख सकेंगे. इसके साथ ही एक्ज‍िम बैंक क‍िसानों को ट्रैक्टर, ऑटोमेटेड कीटनाशी स्प्रेयरों और संबंधित कृषि उपकरण भी दे रहा है, इस तरह के उपकरण मिलने से फलों को काफी हद तक खराब होने से बचाया जा सकेगा.

ब‍िहार में 42 फीसदी लीची का उत्पादन 

बिहार में करीब 37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 3.08 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो पूरे देश में उत्पादित लीची का 42 प्रतिशत है. राज्य में लीची का उत्पादन करीब 26 जिलों में होता है, जबकि बुढ़ी गंडक के किनारे वाले मुजफ्फरपुर एवं आस-पास के क्षेत्रों में नमी की स्थिति एवं कैल्शियम की अच्छी मात्रा वाली जलोढ़ मिट्टी होने के कारण इन क्षेत्रों में लीची का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सर्वाधिक है.

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लीची का लंबे समय तक हो सकेगा भंडारण 

बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने किसान तक से बातचीत करते हुए बताया कि एक्ज़िम बैंक के सहयोग एसोसिएशन को एक ट्रैक्टर, दो ऑटोमेटेड कीटनाशी स्प्रेयरों मशीन सहित पांच टन क्षमता का सोलर स्वचालित कोल्ड रूम दिया गया है. इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से अनुदान पर पैक हाउस दिया गया है. इन मशीनों की मदद से लीची का  लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है. वह बताते हैं कि लीची के फल को पेड़ से तोड़ने के बाद से ही बहुत कम तापमान में रखना होता है, लेकिन कोल्ड रूम की सुविधा नहीं होने से लीची दो से तीन दिनों में खराब हो जाया करता है.

उन्होंने बताया क‍ि एक्ज‍िम बैंक के सहयोग से कृषि उपकरण मिला है, जिसकी वजह से लीची जल्दी खराब नहीं होगा. वहीं ऑर्डर आने पर किसान अपना फल बाहर भेज सकेंगे. आगे उन्होंने ने कहा कि इन मशीनों के अलावा अभी प्री कूलिंग मशीन और एक जगह से दूसरे जगह तक लीची ले जाने के लिए रेफर वाहन की जरूरत है.

एसोसिएशन से जुड़े किसानों को मिलेगा फायदा

‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) और ‘निर्यात केंद्र के रूप में जिला’ (डीईएच) पहलों के अनुरूप बैंक द्वारा लीची ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार, मुजफ्फरपुर को प्रदान की गई पहली सहायता है. इससे एसोसिएशन से जुड़े 300 से ज्यादा किसानों को फायदा मिलेगा. वहीं इस तरह की सुविधाओं से किसानों की निर्यात क्षमता बढ़ाने में  मदद मिलेगी और लीची का निर्यात बढ़ेगा. “फलों की रानी” कही जाने वाली शाही लीची  उन्‍नत और महंगी किस्म है. इसे 2018 में भौगोलिक उपदर्शन (जीआई) टैग मिल चुका है. बिहार की शाही लीची मीठे गूदे से भरे अपने अनूठे स्वाद, बड़े आकार और गहरे लाल रंग के लिए जानी जाती है.

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कृषि निर्यातों में फलों और सब्जियों का हिस्सा कम

मुजफ्फरपुर के शाही लीची किसानों को वित्तीय सहायता दिए जाने को लेकर एक्ज़िम बैंक के उप प्रबंध निदेशक तरुण शर्मा ने बताया कि भारत कृषि उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है. देश से अनाज, चीनी और मसाले प्रमुखता से निर्यात किए जाते हैं, लेकिन कृषि निर्यातों में फलों और सब्जियों का हिस्सा बहुत ही कम रहा है. वहीं 2022-23 में भारत के कृषि निर्यातों में हिस्सा लगभग 3% रहा है. किसानों के पास भंडारण सुविधाओं का अभाव प्रमुख कारण है. बिहार के लीची किसानों को दी जाने वाली सहायता भारत से कृषि निर्यात बढ़ाने की दिशा में अहम साबित होगी. देश की आपूर्ति श्रृंखला में इसका प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकेगा.