केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने किसानों की तरक्की के लिए एक बड़ी पहल की है. जिसके तहत अब एक्सपोर्ट में मिलने वाले फायदे में से 50 फीसदी लाभ सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में जाएगा. यह सपना साकार होगा राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL-National Cooperative Exports Limited) के जरिए. जिसकी सोमवार को औपचारिक रूप से शुरुआत की गई है. नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इसकी शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि निर्यात तो अब भी काफी कुछ हो रहा है, लेकिन उसका फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है. हम एक्सपोर्ट के जरिए किसानों की तरक्की का रास्ता खोलना चाहते हैं. निर्यात के फायदे में अब किसानों को हिस्सेदारी देने का समय आ गया है.
शाह ने कहा कि बहुत सोच समझकर एनसीईएल की शुरुआत की गई है. इसके छह लक्ष्य हैं. जिसमें विशेषतौर पर कृषि निर्यात बढ़ाने और किसानों की समृद्धि का लक्ष्य सबसे बड़ा है. इस कंपनी को एक्सपोर्ट करने से जो भी फायदा होगा उसका 50 फीसदी सीधा उन किसानों के अकाउंट में जाएगा जिन्होंने एक्सपोर्ट के लिए फसल बेची. आज किसान का गेहूं, चावल या जो कुछ भी निर्यात होता है उसमें उसके हाथ में कुछ नहीं आता. जबकि उत्पादन किसान ही करता है और फायदा कोई और कमाता है. एनसीईएल भी अमूल और इफको जैसी बड़ी कंपनी बनेगी और किसानों को उसका लाभ मिलेगा.
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सहकारिता मंत्री ने कहा कि किसान से फसल एमएसपी पर खरीदी जाएगी. उसका भुगतान उसे तुरंत कर दिया जाएगा. उसके बाद यह सहकारी कंपनी जो एक्सपोर्ट से मुनाफा कमाएगी उसमें से एमएसपी का पैसा अलग करने के बाद जो भी प्रॉफिट होगा उसका 50 फीसदी किसान को मिल जाएगा. जितने किलो किसान ने बेचा होगा उस हिसाब से उसे पैसा मिल जाएगा. यह काम कर 6 महीने की बैलंसशीट बनने के बाद होगा.
शाह ने कहा कि इस कंपनी का तीसरा बड़ा मकसद क्रॉप पैटर्न बदलना है. अभी हमारा किसान जो उत्पादन वो करना चाहता है वो करता है. जबकि अब समय बदल गया है. हम चाहते हैं कि दुनिया में जिन उत्पादों की जरूरत है उसका उत्पादन हमारा किसान करे तो उसे ज्यादा फायदा मिलेगा.
इस कंपनी का एक और लक्ष्य प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना है. देश में 12 लाख से अधिक किसानों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. हमने 2027 तक करीब दो करोड़ किसानों को खेती को प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती करवाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन अगर उनके उत्पादों का सर्टिफिकेशन नहीं होगा और उसकी मार्केट नहीं होगी तो प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को कोई फायदा नहीं होगा. हमने यह लक्ष्य तय किया है कि ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का अभी जो दाम मिल रहा है उसके एक्सपोर्ट से डेढ़ गुना दाम मिल पाएगा. इसका किसानों को सीधा फायदा होगा. भारत ऑर्गेनिक के नाम से हमारे ऑर्गेनिक उत्पादों का ब्रांड होगा.
भारत में बायोफ्यूल वाली चार फसलें ली जाती हैं. किसान अगर बायोफ्यूल वाली एक फसल की भी खेती कर ले तो न सिर्फ अपने देश की जरूरत पूरी होगी बल्कि हम उसका निर्यात भी कर सकेंगे. देश की जीडीपी में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र का योगदान करीब 15 फीसदी है और आबादी 60 फीसदी है. ऐसे में कोई देश 60 फीसदी आबादी को इग्नोर करके अपने अर्थतंत्र को मजबूत नहीं कर सकता. इसलिए हम सहकारिता के जरिए ग्रामीण क्षेत्र और कृषि को मजबूत बनाने के रास्ते पर निकल पड़े हैं.
एनसीईएल किसान और विश्व बाजार के बीच कड़ी बनने का काम करेगी. देश की 1500 सहकारी संस्थाएं इसकी सदस्य बन चुकी हैं. आने वाले दिनों में हर तहसील इससे जुड़ जाए और किसानों की आवाज बन जाए. ऐसी हमारी सोच है. एनसीईएल के लोगो और वेबसाइट की शुरुआत के साथ ही इस कंपनी की रामनवमी पर विधिवत शुरुआत हो रही है. अब तक हमारे पास 7000 करोड़ रुपये का ऑर्डर आ चुका है. जबकि 15000 करोड़ की बातचीत चल रही है. चावल, चीनी, गेहूं, जीरा, इसबगोलऔर अदरक के निर्यात लक्ष्य को हमने अभी से तय कर लिया है लेकिन लक्ष्य को हम सार्वजनिक नहीं करेंगे.
सहकारिता मंत्री ने कहा कि खाद और चीनी उत्पादन में सहकारिता क्षेत्र की हिस्सेदारी 30-30 फीसदी और दूध दत्पादन में 19 फीसदी है. लेकिन एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी न के बराबर है. इसलिए इस कंपनी के जरिए किसानों के उत्थान की अपार संभावनाएएं हैं. लेकिन इसका फायदा लेने के लिए किसानों को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी. निर्यात गुणवत्ता वाला उत्पादन पैदा करना होगा. इसके लिए हम किसानों को ट्रेंड करेंगे. जब उन्हें एक्सपोर्ट से होने वाले लाभ में 50 फीसदी हिस्सेदारी मिलने लगेगी तो निर्यात योग्य उत्पाद पैदा करने का एक कल्चर विकसित होगा.
शाह ने कहा कि मैं इस बात की चिंता करुंगा कि इस कंपनी के अधिकारी सिर्फ मुनाफे का ध्यान न रखें बल्कि असली ध्यान किसानों के लाभ पर रहे. उन्होंने जीरा निर्यात में अपनी एक विफलता और सफलता की कहानी सुनाते हुए कहा कि निर्यात लायक कृषि उत्पाद कैसे पैदा होंगे इसके लिए किसानों की ट्रेनिंग की जाएगी. एक्सपोर्ट में हिस्सेदार बनना है कि किसानों को अपनी खेती का स्वभाव बदलना होगा. तब जाकर हम सफल हो पाएंगे. इसलिए यह कंपनी परचेजिंग, स्टोरेज, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंक, सर्टिफिकेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे सभी पहलुओं पर काम करेगी.
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बाजार के संपर्क के लिए वाणिज्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और दूतावासों को जोड़ने का काम भी यह कंपनी करेगी. एपिडा और डीजीएफटी इसमें सहयोग कर रहे हैं. बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन हो इसके लिए एफपीओ और पैक्स को साथ रखकर एक डिजाइन तैयार होगा. निर्यात बढ़ाना और किसानों को उसका फायदा दिलाना हमारा लक्ष्य है. विश्व के बाजार और किसान के बीच में अनुसंधान नहीं था. जिसे यह कंपनी पूरा करेगी.
शाह ने कहा कि हमने नफेड और एनसीसीएफ को दलहन उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का काम दिया है. देश को दलहन चाहिए तो कैसे हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं, इस पर ये दोनों सहकारी संस्थाएं काम करेंगी. ये दोनों दलहन के किसानों का रजिस्ट्रेशन करेंगी. उनका मार्गदर्शन करेंगी. यह प्रयोग सफल होगा तो दूसरी फसलों में भी हम उसे आजमाएंगे. इस मौके पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस कंपनी को अपने मंत्रालय की ओर से पूरी मदद देने का भरोसा दिलाया.
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