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Rice Export: भारत ने क्यों बैन क‍िया चावल एक्सपोर्ट, केंद्र सरकार ने बताई दो बड़ी वजह? 

Rice Export: भारत ने क्यों बैन क‍िया चावल एक्सपोर्ट, केंद्र सरकार ने बताई दो बड़ी वजह? 

केंद्र सरकार ने कस्टम अध‍िकार‍ियों को यह सुन‍िश्च‍ित करने के न‍िर्देश द‍िए हैं क‍ि क‍िसी भी सूरत में सेला चावल की आड़ में किसी अन्य किस्म के चावल का निर्यात न हो. सरकार चाहती है क‍ि चुनावी सीजन में चावल की महंगाई न बढ़े. इसील‍िए हर तरह के चावल पर कोई न कोई बैर‍ियर लगा द‍िया गया है.   

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क्या महंगाई रोकने के ल‍िए बैन क‍िया गया चावल एक्सपोर्ट. क्या महंगाई रोकने के ल‍िए बैन क‍िया गया चावल एक्सपोर्ट.

केंद्र सरकार ने इस वक्त हर तरह के चावल एक्सपोर्ट पर क‍िसी न क‍िसी तरह का बैर‍ियर लगा रखा है. क‍िसी का एक्सपोर्ट पूरी तरह से बैन है, क‍िसी पर भारी भरकम एक्सपोर्ट ड्यूटी लगी हुई है तो क‍िसी चावल का न्यूनतम न‍िर्यात मूल्य (MEP) फ‍िक्स कर द‍िया गया है. जबक‍ि देश में न स‍िर्फ चावल की बंपर पैदावार है बल्क‍ि वर्तमान सीजन में धान की खेती का एर‍िया भी काफी बढ़ गया है. ऐसे में लोग हैरान हैं क‍ि सरकार एक्सपोर्ट को क्यों हतोत्साह‍ित कर रही है. जबक‍ि ऐसा करने से कहीं न कहीं क‍िसानों को नुकसान हो रहा है. दरअसल, सरकार ने साफ क‍िया है क‍ि वो घरेलू बाजार में दाम को नियंत्रण में रखने तथा घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए कई उपाय किए हैं.

चुनावी सीजन में सरकार चावल को और महंगा नहीं होने देना चाहती. आईए अब समझते हैं क‍ि आख‍िर सरकार ने अपनी इन दो मंशा को पूरा करने के ल‍िए चावल पर क्या-क्या प्रत‍िबंध लगाया है. टूटे हुए चावल के निर्यात पर 9 सितंबर 2022 से ही प्रत‍िबंध है. जबक‍ि गैर-बासमती सफेद चावल पर पहले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया. इसके बाद 20 जुलाई 2023 को इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया. उबला यानी सेला चावल एक्सपोर्ट हो सकता है लेक‍िन इसके न‍िर्यात पर 31 मार्च 2024 तक 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगी हुई है. सरकार ने यह शुल्क 25 अगस्त को लगाया था. उधर, बासमती एक्सपोर्ट पर 1200 डॉलर प्रत‍ि टन का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस फ‍िक्स है. इससे कम दाम पर इसका एक्सपोर्ट नहीं हो सकता. 

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क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट

  • भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 17.8 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का न‍िर्यात क‍िया. 
  • इसी तरह 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया गया. 
  • गैर-बासमती चावल निर्यात में लगभग 7.8 से 8 मिलियन टन उबला चावल था. 

सेला चावल पर क्यों लगा न‍िर्यात शुल्क? 

उबले हुए चावल पर 20 फीसदी न‍िर्यात शुल्क लगाने की व्यवस्था का विस्तार करने का मकसद इस महत्वपूर्ण चावल की कीमतों को नियंत्रित रखना और घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखना है. इस व्यवस्था से सेला राइस के दाम में ग‍िरावट आई है. इस बीच सरकार ने कस्टम अध‍िकार‍ियों को यह सुन‍िश्च‍ित करने के न‍िर्देश द‍िए हैं क‍ि सेला चावल की आड़ में किसी अन्य किस्म के चावल का निर्यात न किया जा सके. 

एक्सपोर्ट बैन के बावजूद क‍िन देशों को म‍िला भारत का साथ.

बैन के बावजूद कैसे हो रहा है एक्सपोर्ट? 

भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध के बावजूद कुछ देशों को गैर-बासमती सफेद चावल की कुछ मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला किया है. जब एक्सपोर्ट बैन हुआ था तब भी सरकार ने कहा था क‍ि एक्सपोर्ट बैन जरूर है लेक‍िन हम पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करेंगे. भारत अच्छे द्विपक्षीय संबंधों के कारण भी चावल की आपूर्ति कर सकता है.  

यह सब एक्सपोर्ट नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड के जर‍िए क‍िया जा रहा है, जो सहकार‍िता मंत्रालय की कंपनी है. इन देशों को सरकार-से-सरकार (G2G) आधार पर चावल भेजा जा रहा है. यानी प्राइवेट सेक्टर की भूम‍िका नहीं है. ज‍िन देशों को जरूरत है वो भारत सरकार से आग्रह कर रहे हैं और सरकार अपनी इस कंपनी के जर‍िए चावल एक्सपोर्ट करने का काम कर रही है. 

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फिलीपींस क्यों मांग रहा चावल?

आप यह भी पूछ सकते हैं क‍ि फिलीपींस दुनिया का 8वां सबसे बड़ा चावल उत्पादक है. वैश्विक चावल उत्पादन में 2.8 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. इसके बावजूद वो हमसे चावल क्यों चाहता है. लेक‍िन उसे अपनी घरेलू खपत के ल‍िए और चावल की जरूरत है. अल नीनो के संभावित प्रभाव से चिंतित होकर फिलीपींस अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए चावल भंडार को बढ़ा रहा है. फिलीपींस में ही इंटरनेशनल राइस र‍िसर्च इंस्टीट्यूट है. जहां दुन‍िया के हर चावल वैज्ञान‍िक के काम करने की ख्वाह‍िश होती है.