आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने राज्य में किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण और मोबाइल ‘रायतु बाजार’ यानी चलता-फिरता किसान बाजार शुरू करने का आह्वान किया. उन्होंने अधिकारियों को ‘रायतु बाजारों’ के लिए मास्टर प्लान तैयार करने और किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. नायडू ने कृषि और संबद्ध विभागों की समीक्षा बैठक में कहा, “अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा, ताकि उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को ठोस लाभ मिले. मोबाइल रायथू बाजार और उन्नत बुनियादी ढांचा किसानों को उचित दाम दिलाने में मदद करेगा.”
मुख्यमंत्री ने मंडी समितियों को भी निर्देश दिया कि फसल के दाम गिरने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई करें. या तो उपज को रायतु बाजारों तक पहुंचाएं या फिर कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का उपयोग कर किसानों को मजबूरी में फसल बिक्री से बचाएं. उन्होंने किसानों को यूरिया और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचने की सलाह दी और मिट्टी परीक्षण शीघ्र पूरा करने को कहा, ताकि पोषक तत्वों की सही आपूर्ति सुनिश्चित हो सके.
सीएम नायडू ने प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना पर बात करते हुए कहा, “किसानों को लाभकारी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. साथ ही बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संगठनों के साथ साझेदारी के अवसरों का पता लगाया जाए.” उन्होंने सब्जियों की कीमतों की निगरानी, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, वन उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और जनजातीय समुदायों के लिए मूल्यवर्द्धन पर भी जोर दिया.
आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने जिले में मछुआरों की समस्याओं के समाधान के लिए 100 दिन की रोडमैप पेश की. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर 100 दिनों के भीतर प्रारंभिक समाधान तैयार किए जाएंगे, ताकि मछुआरों का जीवन सुरक्षित और स्थिर बन सके. कल्याण ने कहा कि सरकार दिखावे के बजाय व्यावहारिक कदम उठाएगी. तटीय कटाव, प्रदूषण और बंदरगाह डिजाइन की खामियों जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाएगा.
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि उप्पाडा तट हर साल लगभग 25 मीटर तक पीछे हट रहा है और इसके लिए 300 करोड़ रुपये की लागत से सुरक्षात्मक दीवार बनाने की योजना है. उन्होंने कहा कि औद्योगिक गतिविधियां मछुआरों की आजीविका को नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए प्रदूषण ऑडिट एक सप्ताह में पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मत्स्य क्षेत्र लाखों लोगों को रोजगार देता है और 1.3 लाख करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है, इसलिए औद्योगिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन दोनों को समान महत्व देना जरूरी है. (पीटीआई)
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