क्या फर्जी दावों के चलते बंद हुई 1 रुपया की फसल बीमा योजना? 15 करोड़ के घोटाले का शक

क्या फर्जी दावों के चलते बंद हुई 1 रुपया की फसल बीमा योजना? 15 करोड़ के घोटाले का शक

धाराशिव जिले में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें कुल 1160 किसानों द्वारा फर्जी आवेदन किए गए थे. इन आवेदनों में कुल 2994 हेक्टेयर जमीन दिखाई गई, जबकि वास्तव में यह जमीन महाराष्ट्र शासन द्वारा अलग-अलग प्रयोजनों के लिए अधिग्रहित की जा चुकी थी. इसमें जलसिंचन तालाब, वन विभाग, शिक्षण विभाग और सरकारी चारागाह की जमीनें शामिल थीं. इन पर 1 रुपया की फसल बीमा योजना के तहत दावा किया गया.

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क्या फर्जी दावों के चलते बंद हुई 1 रुपया की फसल बीमा योजना? 15 करोड़ के घोटाले का शक1 रुपया की फसल बीमा योजना

महाराष्ट्र के किसानों को आर्थिक स्थिरता देने के उद्देश्य से महाराष्ट्र शासन की ओर से शुरू की गई 1 रुपया की फसल बीमा योजना अब बंद की जा रही है. इसमें संशोधन किया जाएगा. ऐसा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा. इस योजना में किसानों को प्रीमियम के तौर पर केवल 1 रुपया देना होता था और बाकी पैसा केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी के रूप में बीमा कंपनियों को देती थीं, जिससे आपात स्थिति में किसानों को बीमा का लाभ मिल सके.

बीमा योजना लागू होने के बाद पिछले वर्षों की तुलना में आवेदन की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई. साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार, 5 लाख 82 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. 

धाराशिव जिले का फसल बीमा घोटाला

धाराशिव जिले में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें कुल 1160 किसानों द्वारा फर्जी आवेदन किए गए थे. इन आवेदनों में कुल 2994 हेक्टेयर जमीन दिखाई गई, जबकि वास्तव में यह जमीन महाराष्ट्र शासन द्वारा अलग-अलग प्रयोजनों के लिए अधिग्रहित की जा चुकी थी. इसमें जलसिंचन तालाब, वन विभाग, शिक्षण विभाग और सरकारी चारागाह की जमीनें शामिल थीं. इन पर 1 रुपया की फसल बीमा योजना के तहत दावा किया गया.

धाराशिव जिले में 1160 किसानों ने 1170 रुपये प्रीमियम के रूप में भरकर आवेदन किए थे, जिसके बदले सरकार द्वारा बीमा कंपनी को 3,13,71,635 रुपये अनुदान के तौर पर दिए गए. अगर फर्जी किसानों को बीमा क्लेम मिल जाता, तो लगभग 15 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि का नुकसान होता. इस प्रकरण में धाराशिव जिले में एक मामला दर्ज किया गया है.

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इस घोटाले में कुल 24 सीएससी सेंटर चालकों पर मामला दर्ज हुआ है, जिनमें बीड, नांदेड, सोलापुर और धाराशिव जिलों के सीएससी सेंटर शामिल हैं. पुलिस द्वारा इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है, लेकिन अभी तक किसी ठोस कार्रवाई की जानकारी पुलिस ने सार्वजनिक नहीं की है.

केस स्टडी: गट नंबर 140, धाराशिव

धाराशिव जिले के गट नंबर 140 की जमीन वास्तव में एक मल्टीपरपज स्कूल के लिए अधिग्रहित की गई थी. इस पर ‘चाटे’ नामक व्यक्ति ने 3 हेक्टेयर 94 आर भूमि पर सोयाबीन की खेती का झूठा दावा करते हुए आवेदन किया. वास्तव में इस जमीन पर आज स्कूल की बिल्डिंग खड़ी है, और इसके सामने वाले मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की रैलियां हो चुकी हैं.

ऐसे बड़े पैमाने पर फर्जी आवेदन, अनियमितताएं और सरकार पर बढ़ते वित्तीय बोझ के चलते यह बीमा योजना रद्द कर दी गई है. नए शासन निर्देशानुसार किसानों को अब बीमा राशि के लिए खरीफ फसल पर 2%, रबी फसल पर 1.5% और नगदी फसलों पर 5% प्रीमियम भरना होगा.

अनियमितताओं, फर्जी दावों और वित्तीय बोझ के आरोपों का सामना करते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को दो वर्ष पूर्व शुरू की गई 1 रुपया की फसल बीमा योजना को रद्द कर दिया है. अब इसकी जगह पुरानी योजना "प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना" फिर से लाई जाएगी.

स्कीम में केंद्र और राज्य दोनों देते हैं पैसे

महायुति सरकार ने 2023 में 1 रुपया की फसल बीमा योजना शुरू की थी, जिसमें किसानों को केवल 1 रुपया प्रीमियम देना होता था और बाकी राशि सरकार वहन करती थी. इस कारण पिछले वर्षों की तुलना में आवेदनकर्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई, और 2024-25 में 5.82 लाख से अधिक फर्जी दावे दर्ज किए गए.

पिछले वर्ष, सरकार (राज्य और केंद्र दोनों) ने खरीफ सीजन के लिए 7,539 करोड़ रुपये (जिसमें केंद्र ने 3,060 करोड़ और राज्य ने 4,479 करोड़ रुपये दिए) और रबी सीजन के लिए 1,684 करोड़ रुपये (केंद्र द्वारा 643 करोड़ और राज्य द्वारा 1,040 करोड़ रुपये) प्रीमियम के रूप में दिए.

आवेदनकर्ताओं की संख्या में दोगुनी वृद्धि होना किसी गड़बड़ी की ओर संकेत करता था. 2023-24 में 3.80 लाख और 2024-25 में 5.82 लाख फर्जी दावे जांच में पाए गए. कई खाली पड़ी सरकारी जमीनें भी फसल बीमा के लिए रजिस्टर्ड थीं, जिससे यह संख्या और अधिक हो सकती है. इसलिए, 1 रुपया की योजना को पूरी तरह रद्द करने का निर्णय लिया गया.

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सामाजिक कार्यकर्ता अनिल जगताप ने कहा कि फर्जीवाड़े के नाम पर यह योजना बंद कर दी गई जिससे सामाजिक कार्यकर्ता अनिल जगताप ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि “फर्जीवाड़े के नाम पर पूरी योजना को बंद करना किसानों के साथ अन्याय है. योजना में अनियमितताएं करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, न कि असली और जरूरतमंद किसानों को इसकी सजा दी जानी चाहिए.”

जगताप ने बताया कि योजना के तहत आवेदन करते समय ही संबंधित बीमा कंपनियां फॉर्म की जांच करती हैं. अगर किसी जमीन पर फर्जी दावा किया गया है, तो वह उसी समय पकड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा, “जब किसान बोआई करता है, तभी उसे बीज, खाद और खेती के लिए धन की जरूरत होती है. उसी समय फसल बीमा के लिए फॉर्म भरे जाते हैं. ऐसे में योजना के बंद होने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है.”

महाराष्ट्र सरकार ने योजना रद्द करने के पीछे यह कारण बताया है कि कुछ CSC केंद्र चालकों ने देवस्थान, सरकारी जमीन, वन भूमि और अन्य सरकारी परिसंपत्तियों पर फर्जी दावे दर्ज कराए. लेकिन इन फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए तंत्र को मजबूत किया जा सकता था, योजना को बंद करना समाधान नहीं है. अब नए निर्देशों के अनुसार किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी के लिए 1.5% और नकदी फसलों के लिए 5% प्रीमियम देना अनिवार्य किया गया है. यह बढ़ा हुआ बोझ छोटे किसानों के लिए चिंता का विषय बन सकता है. जगताप ने मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और योजना को फिर से शुरू कर जरूरतमंद किसानों को इसका लाभ दिया जाए.

वादा करके मुकरने वाले का किसान हिसाब करेंगे

धाराशिव के सांसद ओमराजने कहा कि फर्जीवाड़ों के कारण योजनाओं को बंद नहीं किया जाना चाहिए. सरकार के पास कई ऐसे विकल्प थे जिनसे फर्जीवाड़ा रोका जा सकता था. सरकार के इस निर्णय का मैं निषेध व्यक्त करता हूं. सरकार ऐसे प्रयास कर रही है जिससे किसानों का जीवन असह्य हो जाए और वे आत्महत्या के लिए प्रवृत्त हों. सरकार चुनाव से पहले किस प्रकार काम करती है और चुनाव के बाद उसका रवैया कैसे बदल जाता है, यह बात अब किसानों के ध्यान में आ रही है.

सांसद ने कहा, यह सिर्फ एक चुनाव नहीं है, आगे और भी कई चुनाव आने वाले हैं. ऐसे निर्णयों पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए. आने वाले चुनावों में जनता ऐसे वादों से मुकरने वालों के बारे में जरूर सोचेगी और हिसाब जरूर करेगी. इसी सरकार ने चुनाव के दौरान कहा था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. लेकिन आज तक कर्ज माफ नहीं किया गया, उल्टा जो योजना चालू है उसे भी बंद करने जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, फर्जीवाड़ों के कारण योजनाओं को बंद नहीं किया जाना चाहिए. सरकार के पास कई ऐसे विकल्प थे जिनसे फर्जीवाड़ा रोका जा सकता था. ऐसी कौन सी योजना है जिसमें फर्जीवाड़ा नहीं होता? जो गलत तत्व हैं, उन्हें शासन की ओर से उखाड़कर फेंकना चाहिए, न कि किसानों की योजना को बंद करना चाहिए.

सांसद, विधायक ने योजना बंद करने पर जताया विरोध

विधायक कैलास पाटील ने कहा, महाराष्ट्र की कैबिनेट में कल एक रुपये की फसल बीमा योजना बंद की गई और एक बार फिर यह सामने आया कि यह एक चुनावी जुमला था. चुनाव से पहले किसानों को दी गई योजना को गिनाकर सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई थी, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए, उन्होंने वही योजना बंद करना शुरू कर दिया है.

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पाटील ने कहा, फर्जीवाड़ा का कारण देकर यह योजना बंद की जा रही है, लेकिन शासन को इसके खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए थे और योजना में कुछ सुधार करना चाहिए था, न कि योजना बंद करनी चाहिए थी. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह चुनावी जुमला था और किसानों के साथ धोखा हुआ है.

विपक्ष बोलकर हम सड़क पर उतरकर इसका निषेध करेंगे. आज जो सुधार किए जा रहे हैं, उसमें क्रॉप कटिंग, थ्रेशहोल्ड इनकम बहुत ही कम है. क्रॉप कटिंग का बीमा कंपनियां ही फायदा उठा रही हैं. सरकार खुद यह बात मान रही है. लेकिन जो कुछ भी किसानों को प्राकृतिक आपदा या स्थानीय नुकसान के आधार पर मिलता था, अब वह इस योजना के बंद होने के बाद नहीं मिलेगा. केवल क्रॉप कटिंग के हिसाब से ही मिलेगा जिससे बीमा कंपनी का फायदा होगा. यह योजना बंद करने के बाद यह साबित होता है कि यह एक चुनावी जुमला ही था.(गणेश सुभाष जाधव की रिपोर्ट)

 

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