एमपी के ग्रामीण इलाके ही विधानसभा चुनाव की तस्वीर को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस चुनाव में भी किसानों की समस्याएं मुख्य चुनावी मुद्दा हैं. खासकर बुंदेलखंड में ग्वालियर चंबल संभाग में किसानों ने बिजली, पानी की किल्लत और छुट्टा पशुओं से फसल को हाे रहे नुकसान की समस्या को प्रमुखता से उठाया है. एमपी के ऊर्जा मंत्री तोमर चंबल संभाग से ही ताल्लुक रखते हैं. 'किसान तक' ने ग्वालियर नगर सीट से विधायक तोमर से किसानों के मुद्दो पर तफ्सील से बात की. उन्होंने किसानों की बिजली और पानी की शिकायत पर कहा कि हकीकत में यह बिजली की किल्लत का नतीजा नहीं है. वरिष्ठ मंत्री ने दलील दी कि किसानों को पिछले डेढ़ दशक में पहले की तुलना में ज्यादा बिजली मिलने लगी है.इस कारण ग्रामीण इलाकों से बिजली की मांग में इजाफा हुआ है. कांग्रेस इसे किसानों की शिकायत बता रही है. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में किसानों को 10 घंटे बिजली मिल रही है. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर किसानों को अब इससे ज्यादा समय तक बिजली की दरकार होगी. भाजपा की सरकार ने भविष्य में इस बढ़ी हुई मांग को भी पूरा करने के उपाय कर लिए हैं.
किसानों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार के उपायों के सवाल पर तोमर ने कहा कि सिंचाई की लागत को कम करने के लिए सरकार किसानों को भारी अनुदान पर बिजली दे रही है. उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए किसानों को दी जाने वाली बिजली पर सरकार 16 हजार करोड़ रुपये की सालाना सब्सिडी देती है. उन्होंने कहा कि सिंचाई की बिजली के बिल में किसान को एक रुपये में महज 8 पैसे देने होते हैं, शेष 92 पैसे का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है.
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शिक्षा के क्षेत्र में 900 से ज्यादा सीएम राइज स्कूल खोलने की स्वीकृति दी गई. ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाकर महिलाओं की सालाना आय एक लाख रुपये करने के लिए सरकार प्रयत्नशील है. इसी तरह युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीखो सिखाओ मुहिम शुरू की गई है. इस प्रकार हर क्षेत्र में काम करते हुए सरकार ने 2003 से पहले तक एमपी के मस्तक पर बीमारू राज्य होने का जो कलंक लगा था, उसे मिटाने का काम किया है.
ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभी भी अभाव होने के सवाल पर तोमर ने कहा कि किसानों की फसलों का उत्पादन पिछले कुछ सालों में बढ़ा है. इसकी वजह से किसानों की आय बढ़ रही है. किसानों की आय में और अधिक इजाफा हो, इसके लिए सरकार की ओर से तमाम अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं. इस कारण से किसानों की सरकार से अपेक्षाएं एवं अभिलाषायें भी बढ़ रही हैं. यह एक सकारात्मक संकेत है. इससे गांव में भी मूलभूत सुविधाएं पहले से ज्यादा उन्नत बनाने की मांग को पूरा करने का सरकार पर निरंतर दबाव रहता है और सरकार इस दिशा में प्रयासरत भी रहती है.
उन्होंने कहा कि 2003 से पहले गांव में किसी को यह पता नहीं होता था कि कब बिजली आएगी. आज बिजली की स्थिति बहुत अच्छी है. अब 10 घंटे बिजली मिल रही है. तब एमपी में 2900 मेगावाट बिजली बनती थी आज उत्पादन 29 हजार मेगावाट हो गया है. मांग पूरा होने पर मांग बढ़ना स्वाभाविक है और यह प्रगति का सूचक भी है. ऐसे में उन्नत होते किसानों की हर बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है.
किसानों की बढ़ती मांग को बेहतर भविष्य का शुभ संकेत बताते हुए तोमर ने दलील दी कि पहले किसानों काे खेती के सीमित संसाधन मुहैया हो पाते थे, तब किसान एक ही फसल ले पाते थे, अब ज्यादा संसाधन मिलने पर किसान 3-3 फसलें ले रहे हैं. इससे सिंचाई के लिए बिजली और पानी की मांग बढ़ना तय है.
उन्होंने कहा कि सरकार इस स्थिति से अवगत है. इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार भी उसी गति से आगे बढ़ रही है. इसलिए हमें भरोसा है कि हमारी सरकार किसानों की हर समस्या का निराकरण कर पाएगी.
तोमर ने बुंदेलखंड जैसे सूखा प्रभावित इलाकों में सिंचाई के साधन बढ़ाने के लिए नदियों को जोड़ने की परियोजना को क्रांतिकारी कदम बताया. इस परियोजना से पर्यावरण संबंधी चिंताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस परियोजना की शुरुआत यूपी और एमपी के बुंदेलखंड इलाके की दो प्रमुख नदियों केन और बेतवा को जोड़ने से हो रही है. उन्होंने कहा कि इसमें पर्यावरण संबंधी सभी शंकाओं का समाधान करने के बाद ही सरकार ने इस पर काम शुरू करने की मंजूरी दी है.
तोमर ने दावा किया कि इससे एमपी के 9 जिले और यूपी के 4 जिलों के उन इलाकों में किसानों का बड़े पैमाने पर सिंचाई सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जो अब तक सूखा प्रभावित थे. जहां तक इस परियोजना में भारी संख्या में पेड़ कटने की चिंता का सवाल है, तो मैं बता दूं कि सरकार जितने पेड़ काटेगी, उससे दो से तीन गुने तक पेड़ लगाकर इसकी भरपाई करेगी. हम प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर ही काम करते हैं. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.
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लगभग दो दशक से सत्तासीन भाजपा के प्रति एमपी की जनता में anti incumbency यानी सत्ता विरोधी लहर होने, खासकर ग्रामीण इलाकों में सरकार के खिलाफ नाराजगी होने के सवाल पर वरिष्ठ मंत्री तोमर ने कहा कि एमपी में उन्हें इस तरह की कोई नाराजगी नहीं दिख रही है. उन्होंने कहा कि इसकी मूल वजह भाजपा सरकार की जनहितैषी नीतियां हैं. इनके कारण समाज के हर वर्ग का उत्थान हुआ है.
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति प्रगति और सम्मान का भूखा होता है. हमारी सरकार की तरफ से हर व्यक्ति को सम्मान और विकास मिला है. इसलिए मुझे नहीं लगता है कि ऐसा कोई फैक्टर चुनाव में काम करेगा. यह पूछे जाने पर कि सत्ता विरोधी लहर नहीं होती तो भाजपा को अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव में क्यों उतारना पड़ा, तोमर ने कहा कि इस तरह के सवाल कांग्रेस की ओर से उठाए जा रहे हैं. हकीकत यह है कि कांग्रेस के पास कोई चुनावी मुद्दा बचा नहीं है. कांग्रेस ऐसे सवाल उठ कर जनता में भ्रम पैदा करने के लिए अनर्गल बयानबाजी कर रही है. भाजपा ने अपने अनुभवी नेताओं काे चुनाव में उतारा है, जिससे उनके अनुभवों का लाभ पार्टी को मिल सके. उन्होंने कहा कि जनता के प्रति सेवाभाव के बलबूते भाजपा इस चुनाव में विधानसभा की कुल 230 में से 150 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाएगी.
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