झारखंड में पिछले दो सालों से लगातार गंभीर सूखे के संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही अनियमित मॉनसून के कारण भी किसानों को धान की खेती में नुकसान हो रहा है. इस नुकसान से बचने के लिए अब राज्य में किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. बारिश की अनियमितता और मौसम में उतार चढ़ाव के कारण धान और मक्के की पैदावार में कमी आई है. इसलिए मोटे अनाज को इसके लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि उपज बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की ऐसी प्रजातियां विकसित की जा रही हैं जो कम पानी में भी बेहतर उपज देती हैं.
फसल उत्पादन में कमी आने के बाद अब किसानों को दलहन, तिहलन और मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. मोटे अनाजों की खेती में कम पानी में भी अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सकता है. मोटे अनाज में ऐसे पोषक तत्व भी होते हैं जो हमारे लिए काफी फायदेमंद होते हैं. वर्तमान में मोटे अनाज की खपत को बढ़ावा देने के लिए इससे कई तरह के व्यंजन बनाए जा रहे हैं. इसके कारण इसकी मांग बढ़ी है और इसका सीधा फायदा किसानों को हो रहा है. मोटे अनाज के फायदों को देखते हुए झारखंड सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए झारखंड मिलेट मिशन योजना की शुरुआत की है.
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झारखंड मिलेट मिशन योजना के तहत झारखंड में मोटा अनाज जैसे मड़ुआ (रागी), बाजरा, सांवा, कोदो की खेती करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. विभाग की तरफ से किसानों को 3000 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह प्रोत्साहन राशि उन किसानों को दी जाएगी जो न्यूनतम 10 डिसमिल से लेकर 5 एकड़ जमीन पर मोटे अनाज की खेती करेंगे. योजना के तहत किसान की योग्यता के अनुसार 3000-15000 हजार रुपये सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे. जो किसान मोटे अनाज की खेती करना चाहते हैं वो इस खबर के माध्यम से पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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