
झारखंड में बाजार समितियों द्वारा लिये जाने वाले किराये और टैक्स को लेकर पहले से ही किसान असमंजस की स्थिति में है. किसान संगठनों की बैठक में यह मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है कि बाजार समिति के नाम पर किसानों से मनमाने तरीके से टैक्स वसूला जाता है पर सुविधा के नाम पर हाट-बाजार में किसानों और वहां पर दुकान लगाने वाले व्यापारियों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलता है. इस बार फिर वही हुआ है. राजधानी रांची स्थित पंडरा बाजार समिति के प्रांगण की भी स्थिति अच्छी नहीं है और ना ही इससे जुड़े हाट बाजारों की स्थिति अच्छी इसके बाद भी बाजार समिति ने दुकानों और गोदामों का किराया बढ़ाने का फैसला किया है.
कृषि उत्पादन बाजार समिति के फैसले के तहत तत्काल प्रभाव से बाजार समिति से जुड़े बजारों का किराया बढ़ाया दिया गया है. इसमें रांची जिले की अधिकांश साप्ताहिक हाट बाजार शामिल है. बढ़ी हुई नई दर के मुताबिक पंडरा बाजार समिति में दुकान, गोदामों और संड्री शॉप का किराया 11 रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से लिया जाएगा. पहले यह किराया 5 रुपये वर्गफीट था. इस तरह के बाजार समिति का किराया दोगुना हो गया है इसके कारण यहां पर दुकान करने वाले व्यापारी आक्रोशित हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले साल 2018 में पंडरा बाजार समिति ने अपना किराया दो रुपए प्रति वर्ग से बढ़ाकर पांच रुपए प्रति वर्गफीट किया था. बाजार समिति प्रांगण की बात करें तो यहां पर आलू और प्याज की 801 दुकानें हैं. पांच रुपए वर्गफीट के हिसाब से यहां का किराया प्रतिमाह 28 लाख रुपए आता था. अब बढ़ी हुई दर के बाद बाजार समिति को प्रतिमाह किराये के तौर पर 60 लाख रुपये मिलेंगे, इससे समिति का राजस्व बढ़ेगा. इतना ही नहीं नए फैसले के मुताबिक समिति से जुड़े हाट बाजार के किराये में भी बढ़ोतरी की गई है. इन सभी हाट बाजारों में पहले पांच रुपए प्रति वर्गफीट की दर से किराया लगता था, इन हाट बाजारों में अलग-अलग कीमतों के साथ किराया बढ़ाया गया है.
इन हाट बाजार में बेड़ों बाजार शामिल है जहां पर दुकानों का किराया बढ़ाया गया है. इसके अलावा नारो,मूरी, ठाकुरगांव,ओरमांझी और मांडर बाजार के दुकानों का किराया बढ़ाया गया है. इन बाजारों में दुकान संख्या के अनुसार किराये में पांच से सात रुपए तक की बढ़ोतरी की गई है. वहीं इस पूरे मामले पर झारखंड स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन रविंद्र सिंह ने कहा कि रांची एसडीएम की समीक्षा के बाद दरें बढ़ाई गई हैं. वहीं मांडर प्रखंड के किसान गंदूरा उरांव ने कहा कि किराए में बढ़ोतरी करने का सीधा असर किसानों पर ही पड़ेगा क्योंकि इस कीमत की भारपाई करने के लिए किसानों को कम कीमत देंगे.
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