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Good News: इस राज्य में होगी ढैंचा बीज की Free होम डिलिवरी, जान लें क्या हैं इसके फायदे

Good News: इस राज्य में होगी ढैंचा बीज की Free होम डिलिवरी, जान लें क्या हैं इसके फायदे

हरी खाद यानी ढैंचा का प्रयोग यूरिया का एक अच्छा इको फ्रेंडली ऑप्शन है. इसकी खेती में फायदे को देखते हुए बिहार सरकार ढैंचा बीज के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है. वहीं सरकार किसानों को ढैंचा बीज की होम डिलीवरी भी करवा रही है.

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सरकार अब किसानों को होम डिलीवरी कराएगी ढैंचा के बीज सरकार अब किसानों को होम डिलीवरी कराएगी ढैंचा के बीज

खेतों में उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है. मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए किसान अब अधिक मात्रा में जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार भी भरसक प्रयास कर रही है. इसी के तहत खरीफ सीजन से पहले भूमि की उर्वरता को बढ़ाने के लिए बिहार कृषि विभाग के द्वारा हरी चादर खाद योजना के जरिये ढैंचा की खेती के लिए सरकार प्रदेश के किसानों के दरवाजों पर बीज पहुंचा रही है यानी होम डिलावरी कर रही है. वहीं सरकार ढैंचा बीज के लिए किसानों को सब्सिडी भी दे रही है.

ढैंचा बीज को कम खर्चों वाली खाद का जुगाड़ माना जाता है. किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले इसकी आवश्यक रूप से बुवाई करनी चाहिए. आइए जानते हैं कि खेती के लिए ढैंचा बीज कितना आवश्यक है और इसके लिए सरकार किसानों को कितनी सब्सिडी दे रही है.

ढैंचा बीज क्या है

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो हरी खाद यानी ढैंचा का प्रयोग यूरिया का एक अच्छा इको फ्रेंडली ऑप्शन है. जहां खेतों में यूरिया के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता शक्ति बेकार हो जाती है. वहीं ढैंचा की खेती के कोई साइड इफेक्ट नहीं है. ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है. साथ ही इससे मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है.  माना जाता है कि हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर होता है. इसकी खेती अप्रैल से जून तक की जाती है.

ढैंचा के बीज की होम डिलीवरी 

इस योजना के तहत बिहार सरकार ढैंचा के बीज पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है, जिसको लेकर किसान ऑनलाइन आवेदन करके इसका लाभ उठा सकते हैं. वहीं सिर्फ आवेदन करने वाले किसानों को ही ढैंचा का बीज दिया जाएगा. आवेदन करने वाले किसानों को कृषि विभाग द्वार ढैंचा बीज की होम डिलीवरी भी की जा रही है. राज्य सरकार 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का वितरण कर रही है.वहीं करीब चार साल के बाद इस योजना के तहत बिहार राज्य बीज निगम द्वारा किसानों को ढैंचा की खेती पर सब्सिडी दी जा रही है.

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ढैंचा की खेती से क्या हैं लाभ  

ढैंचा की खेती करने के कई लाभ हैं. ढैंचा की खेती से भूमि में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होती है. वहीं अगर फसल चक्र में लगातार ढैंचा की फसल को शामिल किया जाए तो इससे भूमि की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार होता है. भारी बारिश के दौरान इसकी गहरी जड़ें मिट्‌टी की उपजाऊ परत को बढ़ने नहीं देती हैं. वहीं ढैंचा की खेती से भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है.