बिहार के मखाना को विश्व के बाजार तक पहुंच बनाने के लिए सूबे की सरकार मखाना महोत्सव कराने जा रही है. पिछले वर्ष की तरह इस साल भी राज्य सरकार पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय मखाना महोत्सव का आयोजन करेगी. कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने मखाना महोत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि इस महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय फलक पर मखाना के उत्पादन में वृद्धि और बाजार के नए आयाम की तलाश की जाएगी. मखाना के डिजिटल मार्केटिंग के साथ नए बाजार को लेकर चर्चा की जाएगी. किसानों का कहना है कि इस तरह के महोत्सव होने की वजह से पिछले साल की तुलना में इस बार दाम तीन से चार गुना तक अधिक मिला है. इसके साथ ही व्यापारी किसानों के दरवाजे पर फसल खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं.
बता दें कि एक से दो दिसंबर तक उद्यान निदेशालय की ओर से मखाना महोत्सव का आयोजन बिहार की राजधानी पटना में किया जा रहा है. इस महोत्सव में दरभंगा एयरपोर्ट की तरह राज्य के अन्य एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर‘बिहार का मखाना-मिथिला मखाना’की बिक्री के लिए रणनीति पर विमर्श किया जाएगा.
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कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि इस महोत्सव में मखाना के प्रगतिशील किसान, उत्पादक कंपनी, देश और राज्य के प्रमुख निर्यातकों, ट्रेडर्स, वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है. वहीं मखाने की खेती एक जिला एक उत्पाद के तहत 6 जिलों में की जा रही है जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, कटिहार और अररिया शामिल हैं. वहीं मखाने के आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के द्वारा मखाना विकास योजना का संचालन 2019-20 से किया जा रहा है. इसके अन्तर्गत मखाना की उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन और प्रत्यक्षण और क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के लिए सहायता अनुदान का प्रावधान किया गया है.
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अररिया जिले के मखाना किसान प्रधान कहते हैं कि राज्य सरकार के द्वारा मखाना महोत्सव शुरू करने से उनकी आमदनी बढ़ी है. मखाना खरीदने के लिए लोग घर तक आ रहे हैं. इस महोत्सव के जरिये दूसरे किसानों के अनुभव और वैज्ञानिकों से खेती में नए तरीके की जानकारी भी मिल रही है. दरभंगा जिले के किसान राम कुमार साहू कहते हैं कि इस तरह के महोत्सव शुरू होने से इस साल मखाने की गुड़िया 18 से 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिकी है. पिछले साल चार से पांच हजार रुपये के भाव से बिकी थी. वहीं अब फसल बेचने के लिए व्यापारी खोजना नहीं पड़ता है बल्कि व्यापारी दरवाजे पर फसल तैयार होने से पहले पैसा लेकर खड़े रहते हैं. इसकी दो मुख्य वजह एक मखाना महोत्सव है, तो दूसरी वजह इस बार अच्छी बारिश नहीं होने से फसल बर्बाद होना भी है.
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