
छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस महापर्व का सबसे बड़ा मंत्र लोग छठ गीत को ही मानते हैं. गीत के जरिये हर कोई अपने दुख और पीड़ा को छठी मईया सहित सूर्य देव को सुनाते हैं. इस छठ गीत को गाने वाले गायकों के लिए कोई जाति या धर्म का बंधन नहीं होता है. हर कोई अपनी आस्था के तहत छठ गीत गाता है. एक ऐसी ही पटना की मुस्लिम महिला समाज में एकता का मिशाल पेश कर रही हैं. हम बात कर रहे हैं पटना की नीलोफ़र शबनम की. ये पिछले कई साल से छठ का गीत गा रही हैं. वे कहती हैं कि कलाकार के लिए कोई जाति या धर्म की सीमा नहीं होती है. वे कहती हैं कि जितना उन्हें श्रद्धा अपने धर्म से जुड़े त्योहारों में है, उतना ही छठ पर्व को लेकर भी है.
छठ व्रत के दौरान जिस मिट्टी के चूल्हे पर महाप्रसाद बनाया जाता है, उन चूल्हों को बनाने वाले कई लोग मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं. पटना के वीरचंद पटेल पथ के सड़क किनारे कई मुस्लिम महिलाएं चूल्हा बना रही हैं. वे कहती हैं कि छठ में चूल्हा बनाने का काम वे आज से नहीं कर रही हैं बल्कि उनकी कई पीढ़ियां इसी काम से जुड़ी हैं. इन महिलाओं का कहना है कि वे उसी को आगे बढ़ा रही हैं.
ये भी पढ़ें-Chhath Puja: छठ में हाजीपुर के चिनिया केले की बढ़ी मांग, सप्लाई घटने से आंध्र से मंगाई जा रही खेप
किसान तक से बातचीत करते हुए नीलोफ़र शबनम कहती हैं कि परिवार या खुद उनके पति ने उन्हें छठ या हिंदू धर्म से जुड़े अन्य त्योहारों के गीत गाने से नहीं रोका. यह पर्व बिहार का सबसे बड़ा महापर्व है. निलोफर कहती हैं, इसमें हम लोग भी बढ़ चढ़कर का हिस्सा लेते हैं. साथ ही छठ प्रसाद खाने के लिए लोगों के घर जाते हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ कि व्रत करने वाले लोगों के द्वारा किसी तरह का विरोध किया गया हो. वे कहती हैं कि छठ पर्व उनके पति भी कर चुके हैं. कलाकारों के लिए धर्म की कोई सीमा नहीं होती है.
ये भी पढ़ें- छठ में छत्तीसगढ़ से पटना के बाजार में पहुंच रही लौकी, एक दिन में आये इतने ट्रक
पटना के वीरचंद पटेल पथ के सड़क किनारे पिछले चालीस से रहने वाली नसीमा का परिवार छठ में मिट्टी का चूल्हा बना रहा है. वह कहती हैं कि सभी धर्म के ईश्वर एक हैं, तो फिर मतभेद किस बात की है. छठ में मिट्टी के चूल्हे खरीदने वाले लोगों को पता है कि यह चूल्हा मुस्लिम लोगों के द्वारा बनाया गया है. लेकिन उनके द्वारा कभी विरोध नहीं किया गया है. इस बार तीन हजार रुपये प्रति ट्रॉली मिट्टी खरीदी गई है. वहीं इसे चालीस रुपये के भाव से बेच रहें हैं. आखिर में नसीमा कहती हैं कि छठी मईया सब की प्रार्थना सुनती हैं. हम लोग भी सूर्य देव और छठी मईया से खुद का मकान मांग रहे हैं. सभी को छठी मईया खुशहाल और समृद्ध करें. जय हो छठी मईया की.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today