
बक्सर के चौसा स्थित थर्मल पावर प्लांट में हुए उपद्रव को बीते करीब दो दिन हो चुके है. लेकिन, चौसा सहित आस-पास गांवों के किसानों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मुआवजे की मांग से शुरू हुए इस आंदोलन में उस समय एक नया मोड़ आया. जब मंगलवार की रात को बनारपुर गांव में महिला,नाबालिग बच्चों एवं बच्चियों के ऊपर पुलिसिया बर्बरता की गई. इसके साथ ही बुधवार की सुबह पांच बजे पुलिसिया बर्बरता का वीडियो वायरल होने के बाद आंदोलन ने एक नया मोड़ ले लिया. बुधवार को आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा निर्माणाधीन एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट परिसर में खड़ी दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. इसके बाद से बनारपुर गांव चर्चा का केंद्र बना हुआ है. नतीजतन ये किसान आंदोलन ने राजनीति का गढ़ बन गया है.
जिला मुख्यालय बक्सर से करीब 15 किलोमीटर दूर बक्सर-मोहनिया मार्ग के किनारे बसा बनारपुर गांव में वैसे सड़कों पर चहल-पहल देखने को मिल जाया करती थी, लेकिन, बुधवार को बनारपुर गांव से लेकर चौसा थर्मल पावर प्लांट के बीच आने वाली लगभग सभी दुकानें बंद पड़ी थी. सड़क पर केवल मीडिया एवं पुलिस की गाड़िया दौड़ रही थी. वहीं गुरुवार,शुक्रवार को किसानों की पीड़ा सुनने के लिए बनारपुर गांव में नेताओं के आने का सिलसिला जारी रहा. .
आपको बताते चलें कि ये पूरा मामला जमीन अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है. असल में SJVN (सतलुज जल विद्युत निगम) कंपनी निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के लिए करीब 225 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने जा रही है. इस परियोजना में करीब 20 गांव के लगभग 309 के आसपास किसानों की जमीन जा रही है. लेकिन, सरकार के द्वारा 2022 में मुआवजे की रकम 2013 के न्यूनतम मूल्य रजिस्टर (एमवियार) के सर्किल रेट से दी जा रही है. इसके विरोध में किसान 86 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग है कि कंपनी 2022 में किसानों की जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई शुरू की है. तो उसे वर्तमान दर के हिसाब से जमीन की कीमत दी जाए. लेकिन, कंपनी पुराने दर पर ही मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहण कर रही है.
बनारपुर गांव के ही रहने वाले किसान अश्विनी चौबे कहते हैं कि पिछले 85 दिनों से किसान शांति तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन, बीते सोमवार को चौसा नगर पंचायत में जय मंगल पांडेय एवं भरत पांडेय की जमीन पर जबरन वाटर पाईप लाइन का काम शुरू किया गया. जिसके विरोध में किसानों ने मंगलवार को निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट का मुख्य गेट बंद कर दिया. उसके बाद प्रशासन ने करीब 24 लोगों पर नामजद एवं 250 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज करवा दी.
चौबे बताते हैं कि इसके बाद मंगलवार की रात पुलिस लोगों के घर में छापा मारने के दौरान घर में घुसकर महिला, नाबालिक बच्चे एवं बच्चियों की पिटाई की गई. वहीं घटना के करीब एक घंटे के बाद वीडियो वायरल हो गया. चौबे बताते हैं कि इसके बाद बुधवार की सुबह काफी संख्या में लोगों ने थर्मल पावर प्लांट की ओर रुख किया. लेकिन, किसानों के वहां पहुंचने से पहले गाड़ियों में आग लगा दी गई और उसका आरोपी किसानों को बना दिया गया.
थर्मल प्लांट में अभी भी जली हुई गाड़ियों के अवशेष हैं. बुधवार को शाम 6 बजे के आसपास किसान तक की टीम सबसे पहले थर्मल पावर प्लांट पर पहुंची तो वहां करीब एक दर्जन के आसपास पुलिस एवं कंपनी की गाड़ी जली पड़ी हुई थी. वहीं प्लांट के मुख्य गेट पर टूटी हुई कुर्सी, जला हुआ गार्ड केबिन सहित टूटी हुई सीसीटीवी कैमरा दोपहर में हुए घटना की कहानी को बताने के लिए काफी थे.
इस पूरे मामले को किसान तक के साथ गांव के किसान मुन्ना तिवारी ने साझा किया है. इस पूरे घटनाक्रम को समझाते हुए मुन्ना तिवारी कहते हैं कि थर्मल पावर प्लांट के लिए वाटर पाईप लाइन गंगा नदी से लाने की योजना है, ये पाईप लाइन चौसा के महादेव घाट से लाई जा रही है. यह पाईप लाइन करीब 20 से अधिक गांवों से होकर गुज़रेगी. वहीं रेलवे कॉरिडोर चौसा स्टेशन से करीब 500 मीटर पश्चिम के कमरपुर गांव से निकाली जा रही है. जिसको लेकर करीब 225 एकड़ जमीन के लिए 2022 के फरवरी एवं मार्च में भूमि अधिग्रहण से जुड़े नोटिस किसानों को भेजे गए थे. जिसमें किसानों के मुआवजे की रकम 2013 के न्यूनतम मूल्य रजिस्टर (एमवियार) के सर्किल रेट से निर्धारित की गई है. जिसका किसान विरोध कर रहे हैं. मुन्ना तिवारी ने बताया कि 17 अक्टूबर 2022 को चौसा थर्मल पावर प्लांट के सामने वर्तमान समय के बाजार मूल्य पर मुआवजा के मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया .
आगे किसान मुन्ना तिवारी बताते हैं कि बुधवार की घटना से पहले शनिवार को चौसा नगर पंचायत के रहने वाले जय मंगल पांडेय एवं भरत पांडेय की जमीन पर वाटर पाईप लाइन का कार्य शुरू करवाया गया. लेकिन विरोध के बाद कार्य करने वाले मजदूर चले गए. रविवार को काम बंद रहा. वहीं सोमवार को जिला प्रशासन, एसजीवीएन के अधिकारियों के साथ काफी संख्या में पुलिस बल आई. और चौसा नगर पंचायत के रहने वाले जय मंगल पांडेय, भरत पांडेय की जमीन पर जबर्दस्ती वाटर पाईप लाइन का कार्य शुरू करवाया गया, जिसका विरोध करने पर पुलिस ने अखिलेश पांडेय को गिरफ्तार करके थाना लेकर चली गई. आगे वह कहते हैं कि इसके बाद मंगलवार को किसानों ने थर्मल पावर प्लांट का मुख्य गेट बंद करके काम रोकने का प्रयास किया गया. लेकिन, मंगलवार की रात को मुफस्सिल थाना अध्यक्ष अमित कुमार के दिशा निर्देश पर बनारपुर गांव में आधी रात को घुसकर महिलाओं, युवती एवं बच्चों के साथ मारपीट किया गया.
उन्हाेंने बताया कि बुधवार को इस घटना के विरोध में किसान पावर प्लांट पर विरोध करने पहुंचे. जहां कुछ उपद्रवी लोगों के द्वारा आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया. उसका ठिकरा किसानों पर मढ़ दिया गया. उन्होंने आगे बताया कि 2016 में पावर प्लांट के निर्माण के लिए करीब सात मौजे की 1065 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया, जिनमे सिकरौल,बनारपुर,खुर्रमपुर,मोहनपुरवा,बेचनपुरवा,कोचाढी,अखौरीपुर गोला सहित बिहार सरकार की जमीन थी. लेकिन, इसमें प्रति एकड़ उन्हे 28 लाख रुपये दिया गया, जबकि बाद में मालूम चला की सरकार के द्वारा प्रति एकड़ 36 लाख रुपेय निर्धारित किया गया था. जिसके विरोध में 86 दिनों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे.
मुन्ना तिवारी से पूरा मामला समझने के बाद किसान तक की टीम उसी रात करीब 8:30 बजे बनारपुर गांव की गलियों में घूमते हुए करीब 8:50 पर नरेंद्र तिवारी के घर पहुंची. जहां प्रीति तिवारी एवं उनकी बहन अन्नू तिवारी से मुलाक़ात हुई. उन्हीं के घर पर हुए पुलिस लाठीचार्ज का वीडियो वायरल हुआ था. वहीं प्रीति तिवारी एवं अन्नू तिवारी ने मंगलवार की घटना से जुड़ी जानकारी किसान तक को बताते हुए कहा कि करीब साढ़े 11 बजे पुलिस के लोग छत के रास्ते घर में घुस गए और विरोध करने पर मारने लगे.
इस दौरान घर के हरिओम तिवारी, अंकित तिवारी और विश्वजीत राय को पुलिस थाने लेकर चली गई. आपको बताते दें कि काफी बवाल के बाद बुधवार की देर रात 11 बजे पुलिस ने तीनों लोगों को छोड़ दिया. प्रीति तिवारी आगे कहती है कि सरकार कहती है बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ, इस नारे से विश्वास उठ गया है. जिस तरह से पुलिस ने लाठीचार्ज किया. उसके बाद से सरकार एवं पुलिस से भरोसा उठ गया है. वहीं अन्नू तिवारी ने कहा कि मेरे भाई को ठंडा पानी डालकर मारा गया. उस दिन गणेश चतुर्दशी था. मेरी माँ के सामने ही उनके बेटों को मारा गया. अभी डर लग रहा है.
बनारपुर गांव में गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे से लेकर बिहार के पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह एवं बिहार विधान परिषद के प्रतिपक्ष नेता सम्राट चौधरी भी किसानों से मिलने पहुंचे. दोपहर 1 बजे गांव के मैदान में आयोजित किसान महापंचायत में सम्राट चौधरी एवं पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह पहुंचे. किसानों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 86 दिनों से भूमि अधिग्रहण के विरोध में अधिक मुआवजा को लेकर किसान विरोध कर रहे थे. लेकिन उस समय कोई नेता क्यों नहीं आया.
वहीं विधान परिषद के प्रतिपक्ष नेता सम्राट चौधरी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी की नाराजगी उचित है. करीब 5 बजे के आसपास केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे भी किसानों से मिलने पहुंचे तो उन्हे किसानों का विरोध छेलना पड़ा. इसके साथ ही वापसी के दौरान उनकी गाड़ी पर पथराव भी किया गया. इसके साथ ही शुक्रवार की सुबह चिराग पासवान,पप्पू यादव,एवं पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी किसानों से मिलने पहुंचे. जहां हर कोई किसानों को सांत्वना देते हुए नजर आए.
वहीं बक्सर जिलाधिकारी अमन समीर कुमार ने इस मामले को लेकर बुधवार के दिन प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी, उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस गांव में गई थी. लेकिन पुलिस पर पथराव किया गया. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. कुछ किसानों को गांव के ही कुछ लोगों द्वारा पैसा नहीं लेने पर दबाव बनाया जा रहा है. वहीं करीब 125 लोगों ने आवेदन दिया है,जिनमे करीब 80 लोगों को मुआवजे रकम दी जा चुकी है.
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