SKM ने एग्री मार्केटिंग पॉलिसी ड्राफ्ट को निरस्त कृषि कानूनों से ज्यादा खतरनाक बताया, हरियाणा के टोहाना में बैठक 

SKM ने एग्री मार्केटिंग पॉलिसी ड्राफ्ट को निरस्त कृषि कानूनों से ज्यादा खतरनाक बताया, हरियाणा के टोहाना में बैठक 

निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पेश किए गए एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति मसौदे को निरस्त कृषि कानूनों से अधिक खतरनाक बताया है.

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SKM ने एग्री मार्केटिंग पॉलिसी ड्राफ्ट को निरस्त कृषि कानूनों से ज्यादा खतरनाक बताया, हरियाणा के टोहाना में बैठक संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 4 जनवरी को किसान पंचायत है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (NPFAM) के नए घोषित मसौदे को तीन निरस्त कृषि कानूनों से भी अधिक खतरनाक करार दिया है. एसकेएम ने कहा कि यदि एग्री पॉलिसी को लागू किया जाता है तो यह राज्य सरकारों के संघीय अधिकारों को खत्म कर देगा और किसानों, कृषि श्रमिकों, छोटे उत्पादकों और छोटे व्यापारियों के हितों को नष्ट कर देगा. पॉलिसी के खिलाफ किसानों की आज हरियाणा के टोहाना में पंचायत होने जा रही है.

निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पेश किए गए एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को निरस्त कृषि कानूनों से अधिक खतरनाक बताया है. एसकेएम ने बयान में कहा कि इस मसौदे की रूपरेखा को लागू किया जाता है, तो यह राज्य सरकारों के संघीय अधिकारों को खत्म कर देगा और किसानों, कृषि श्रमिकों, छोटे उत्पादकों और छोटे व्यापारियों के हितों को नष्ट कर देगा. क्योंकि, इसमें किसानों और श्रमिकों को एमएसपी और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने का कोई प्रावधान नहीं है.

टोहाना में आज किसान पंचायत

संयुक्त किसान मोर्च की ओर से कहा गया है कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के खिलाफ हरियाणा के टोहाना में आज 4 जनवरी को किसान पंचायत होने जा रही है. जबकि, पंजाब के मोगा में 9 जनवरी को किसान महापंचायत होगी. कहा गया कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को निरस्त किए जाने तक निरंतर जन संघर्ष छेड़ने के लिए संकल्प को अपनाएंगी. 

इससे पहले बीते गुरुवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को लेकर कहा कि केंद्र सरकार अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रही है. एसकेएम ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को खारिज करने के लिए पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री मान का आभार जताया. 

एसकेएम की एग्री पॉलिसी ड्राफ्ट पर चिंताएं 

  1. एसकेएम ने कहा कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा में किसानों के लिए लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का का कोई उल्लेख नहीं है, जो कि दिवंगत एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) की केंद्रीय सिफारिश थी और वर्तमान में राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा में यह एक प्रमुख मुद्दा है. 
  2. एसकेएम ने कहा कि प्रस्तावित सुधार कृषि, भूमि, उद्योग और बाजारों पर राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करना चाहते हैं, जो भारत के संविधान के अनुसार राज्य सूची में आते हैं. इसने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों के लिए प्रस्तावित एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा पर अपना रुख स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है.
  3. प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI), ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिए वैल्यू एडेड निर्माण ढांचे को फिर से डिजाइन करना है.
  4. एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के प्रस्ताव निजी क्षेत्र विशेष रूप से कॉर्पोरेट कृषि व्यवसायों को उत्पादन, प्रॉसेसिंग और मार्केटिंग पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति देते हैं. 

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