संयुक्त किसान मोर्चा के पंजाब धड़े के किसानों की एक बैठक लुधियाना के पंजाबी भवन में हुई. बैठक में खनौरी बॉर्डर पर चल रहे संघर्ष. लेलेवाला में भूमि अधिग्रहण, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत, दिल्ली मार्च और विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों पर हो रहे अत्याचार पर गहरी चिंता जताई गई. बैठक में किसानों के बिगड़ते हालात पर चर्चा की गई और एक प्रस्ताव पारित कर किसानों की स्थिति के लिए सीधे तौर पर केंद्र और हरियाणा की बीजेपी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया.
प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि केंद्र सरकार को किसानों पर बल प्रयोग करने के बजाय बातचीत के जरिए आंदोलनकारी किसानों की मांगों को हल करना चाहिए. साथ ही पंजाब सरकार से किसान नेता के स्वास्थ्य की जांच करने और रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए तुरंत वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम बनाने की मांग की गई. बैठक की अध्यक्षता डॉ. सतनाम सिंह अजनाला, बलदेव सिंह लताला और बिंदर सिंह गोलेवाला ने की.
बैठक में पंजाब के किसानों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिनमें हर खेत को सिंचाई का पानी और हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना, किसानों और मजदूरों के लिए ऋण माफी, बासमती, आलू और मक्का जैसी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देना, किसानों को भूमि स्वामित्व अधिकार देना, कीटों से नष्ट हुई फसलों के लिए मुआवजा देना, यूरिया और डीएपी उर्वरकों की सही आपूर्ति करना, कीटों से नष्ट हुई गेहूं की फसलों के लिए किसानों को मुआवजा देना और पराली जलाने के मुद्दे से संबंधित किसानों के मामले, जुर्माना और रेड एंट्री को रद्द करना शामिल है.
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बैठक में किसान आंदोलन की भावी रणनीति पर भी विचार-विमर्श किया गया और विरोध की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए 24 दिसंबर को लुधियाना में एक और बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया.
बैठक में किसानों की मांगों को पूरा करने में पंजाब सरकार की पिछली लापरवाही पर भी चर्चा की गई. बताया गया कि धान की खरीद के दौरान बड़े पैमाने पर कटौती करके किसानों का जमकर शोषण किया गया, जबकि पंजाब सरकार मूकदर्शक बनी रही. इसके अलावा, पंजाब कृषि विभाग के दिशा-निर्देशों के तहत, पराली जलाए बिना गेहूं की खेती करने वाले किसानों को कीटों के हमलों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे उनकी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी हुई है.
बैठक में पंजाब सरकार से यूरिया और डीएपी खाद की सही आपूर्ति बनाए रखने की मांग की गई. साथ ही यह भी मांग की गई कि कीटों के हमले के कारण गेहूं की फसल बर्बाद होने के बाद मजबूरन गेहूं की फसल बोनी पड़ी, ऐसे किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने धान के लिए नमी की मात्रा को 17 परसेंट से बढ़ाकर 22 परसेंट करने की भी मांग की. साथ ही, उन्होंने मांग की कि खराब खरीद प्रबंधन के कारण किसानों को हो रही परेशानी के मद्देनजर पराली जलाने से संबंधित जुर्माना, मामले और रेड एंट्री रद्द की जानी चाहिए. मोर्चे ने चेतावनी दी कि अगर पंजाब सरकार 24 दिसंबर को होने वाली अगली बैठक तक इन जरूरी मुद्दों का समाधान नहीं करती है, तो वे सख्त कार्रवाई करेंगे.
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बैठक में बलबीर सिंह राजेवाल, निरभाई सिंह ढुड्डीके, बूटा सिंह बुर्जगिल, परमिंदर सिंह पाल माजरा, फुरमान सिंह संधू, बलदेव सिंह निहालगढ़, मनजीत सिंह धनेर, रुलदू सिंह मानसा, रणजीत सिंह बाजवा, गुरुमीत सिंह महिमा, हरजिंदर सिंह टांडा शामिल हुए. इसमें हरदेव सिंह संधू, सुखदेव सिंह अरैनवाला, हरविंदर सिंह बल्लो और नछत्तर सिंह जैतो भी शामिल रहे.
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