बच्चू कडू के अन्नत्याग आंदोलन को राकेश टिकैत का समर्थन, महाराष्ट्र सरकार को कर्जमाफी पर दी दो टूक चेतावनी

बच्चू कडू के अन्नत्याग आंदोलन को राकेश टिकैत का समर्थन, महाराष्ट्र सरकार को कर्जमाफी पर दी दो टूक चेतावनी

Bacchu Kadu movement: महाराष्ट्र के अमरावती में बच्चू कडू का अन्नत्याग आंदोलन चल रहा है. यह आंदोलन किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर आधारित है. इस आंदोलन को किसान नेता राकेश टिकैत ने भी समर्थन दिया है और केंद्र सरकार से इस मसले को हल करने की मांग की है.

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बच्चू कडू के अन्नत्याग आंदोलन को टिकैत का समर्थन, महाराष्ट्र सरकार को कर्जमाफी पर दी दो टूक चेतावनीअमरातवती में बच्चू कडू आंदोलन को राकेश टिकैत का समर्थन

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गुरुकुंज मोझरी में प्रहार जनशक्ति पक्ष के अध्यक्ष और विधायक बच्चू कडू का बेमियादी अन्नत्याग आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा. किसानों और समाज के वंचित तबकों के 17 प्रमुख मुद्दों को लेकर शुरू हुए इस आंदोलन को अब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत का भी समर्थन मिल गया है.

पूर्व मंत्री बच्चू कडू के आंदोलन को राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर ने मुलाकात कर उन्हें समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि यह सरकार मतों की चोरी कर कर सत्ता में आई है, दादागिरी कर रही है. यह दादागिरी नहीं चलेगी. हम जनता के बीच जाकर उनकी पूरी तरीके से पोल खोलेंगे और कडू आंदोलन को हमारे पक्ष का समर्थन है. हम उनके साथ खड़े हैं. किसानों की कर्जमाफी, दिव्यांगों की विधवाओं की, परित्यक्ताओं की जो समस्या है उसे सरकार को तुरंत दूर करना चाहिए.

इस बीच प्रहार संगठन के कार्यकर्ताओं ने कडू के चुनाव क्षेत्र में रहे विश्रोली बांध में जल आंदोलन कर इसका निषेध किया. बुधवार को चांदूर बाजार में शहर बंद रखकर मोबाइल टावर पर चढ़कर और जिलाधिकारी कार्यालय के सामने मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों का पोस्टर जलाकर आंदोलन किया.

इसे पहले, आंदोलन स्थल पर पहुंचकर टिकैत ने महाराष्ट्र सरकार को स्पष्ट शब्दों में चेताया और कहा, अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानी, तो यह आंदोलन अब सिर्फ मंच तक सीमित नहीं रहेगा. यह सड़कों पर उतरेगा, और फिर यह आंदोलन भगतसिंह की राह पर चल पड़ेगा."

मोदी सरकार पर भी साधा निशाना:

राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार के 11 वर्षों के कार्यकाल पर भी सवाल उठाए उन्होंने कहा, "मोदी सरकार अपनी 11 साल की उपलब्धियां जनता के सामने रख रही है, तो हमारे पास भी 11 सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें देना ही होगा. हम 17 तारीख को अपनी बात दिल्ली तक पहुंचाएंगे."

आंदोलन की मुख्य मांगें:

  • महाराष्ट्र के सभी किसानों की पूर्ण कर्जमाफी
  • दिव्यांगों को प्रति माह 6000 रुपये मानधन
  • गाय के दूध को 50 रुपये प्रति लीटर का समर्थन मूल्य
  • ग्रामीण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए पूर्ण शुल्क माफी
  • कृषि उपज को समर्थन मू्ल्य
  • गरीब परिवारों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं और दवाएं
  • आत्महत्या कर चुके या कर्ज के बोझ में रहे किसानों के परिजनों को सरकारी मदद

आंदोलन से जुड़ी प्रमुख बातें:

राजेश टिकैत ने स्पष्ट कहा: "यह आंदोलन अब सिर्फ महाराष्ट्र का नहीं रहा. अगर सरकार ने इसे हल्के में लिया तो इसका प्रभाव दिल्ली और हरियाणा तक पहुंचेगा. ट्रैक्टर मार्च निकलेगा और मैं स्वयं उसका नेतृत्व करूंगा."

बच्चू कडू ने चेताया और कहा कि "अगर गांधी के रास्ते से न्याय नहीं मिला, तो हमें भगतसिंह की राह अपनानी पड़ेगी. सरकार इस स्थिति को आने से रोके, लेकिन अगर आई तो हम पीछे नहीं हटेंगे."

सरकार पर गंभीर आरोप:

टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को जाति-धर्म में बांटकर आंदोलन को तोड़ने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, "यह सरकार चाहती है कि किसान गरीब बना रहे, अपनी जमीन बेचकर मजदूर बन जाए. जैसे ब्राजील में हुआ, वैसा ही भारत में भी हो रहा है. हम इसे नहीं होने देंगे."

दिल्ली आंदोलन की चेतावनी:

टिकैत ने कहा कि पिछली बार चार लाख ट्रैक्टर दिल्ली पहुंचे थे, इस बार संख्या और अधिक होगी. "14 तारीख तक हम शांति से बैठेंगे, उसके बाद आंदोलन और उग्र रूप लेगा." "सरकार के पास बहुत कम समय है. यदि मांगे नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन देशव्यापी किसान लहर बन जाएगा. महाराष्ट्र से उठी यह चिंगारी दिल्ली तक पहुंचेगी."

आंदोलन में दिए गए बयान:

बच्चू कडू, अध्यक्ष, प्रहार संघटना ने कहा, "अगर गांधीजी के रास्ते से न्याय नहीं मिला, तो हमें भगतसिंह की राह अपनानी पड़ेगी. हम पीछे हटने वालों में नहीं हैं."

बच्चू कडू द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन अब सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहा. राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत के समर्थन से यह आंदोलन अब एक व्यापक किसान संघर्ष में तब्दील हो गया है. अगर सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया, तो यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर उग्र रूप ले सकता है, जिसमें किसान दिल्ली की सड़कों पर दोबारा ट्रैक्टर लेकर उतर सकते हैं.

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