हरियाणा के सोनीपत छोटूराम धर्मशाला में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने किसान संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और कई विषयों पर चर्चा की. इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भारत सरकार के अधिकारी और वाणिज्य मंत्री लगातार अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे हैं और खेतीबाड़ी के उत्पादों पर भी आयात शुल्क कम करने का समझौता हो रहा है. उन्होंने कहा, इससे भारत में किसान बिल्कुल बर्बाद हो जाएगा. इसमें ऐसे कई उत्पाद हैं जो आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं में शामिल हैं.
चढ़ूनी ने कहा, अमेरिका का किसान व्यापारी है और भारत का किसान मजबूरी और शौक में खेती करता है. इसके लिए हम लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इस टैरिफ युद्ध में किसान को आंदोलन करने के लिए मजबूर ना करें. हमें अगर कोई आंदोलन करना पड़ा तो उसके लिए हम रूपरेखा तैयार कर रहे हैं.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि अगर हुड्डा अपनी हठधर्मिता छोड़ देते तो तो आज सत्ता में होते. बीजेपी ने हुड्डा को ईडी के साथ साथ मुकदमों का डर दिखाकर गुलाम बना लिया है. विपक्ष ने बीजेपी के सामने आत्मसर्पण कर दिया है और किसी भी मुद्दे को लेकर सरकार के समाने कोई प्रदर्शन नहीं होता. विपक्ष चाह रहा है कि खुद आम इंसान ही थक हारकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दे.
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बीजेपी के 11 साल के कार्यकाल पर भी गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि वे जो कहते हैं उसका उल्टा करते हैं. धर्म और जाति पाती के नाम पर वोट मांगते हैं और समाज को बांटने का काम करते हैं. देश में दूसरे के धर्म और जाति के खिलाफ बोलने वाले पर सख़्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
इससे पहले चढ़ूनी ने सूरजमुखी की खरीद को सुचारू बनाने के लिए हरियाणा सरकार को घेरा था और एक पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने मांग की थी कि हरियाणा सरकार सूरजमुखी की खरीदे के लिए मंडियों में कोटा सिस्टम लगाए ताकि किसानों को उपज बेचने में कोई परेशानी नहीं आए. अपने पत्र में चढ़ूनी ने सूरजमुखी के लिए चिह्नित 17 मंडियों में पीएसएस की पिछले साल की आवक के अनुसार 25 प्रतिशत कोटा निर्धारित करने और कमर्शियल खरीद की पॉलिसी जारी करने की मांग उठाई.
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पत्र में चढ़ूनी ने लिखा, हरियाणा में सूरजमुखी की खरीद कॉपरेटिव सोसायटीज के माध्यम से हैफेड और वेयरहाउस की खरीद जारी है, मगर कॉपरेटिव सोसायटी पर पर्याप्त संसाधन और पर्याप्त लेबर का इंतजाम नही है. इस कारण सूरजमुखी की खरीद बार-बार बाधित हो रही है जिससे किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
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