महाराष्ट्र में प्याज की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. जहां राज्य के प्रमुख प्याज उत्पादक इलाकों में किसानों और व्यापारियों के बीच निर्यात शुल्क को लेकर भारी विरोध हो रहा है. सोमवार को विधानसभा में सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो विधायकों ने प्याज पर 20 परसेंट निर्यात शुल्क लगाने का विरोध किया. यह मुद्दा तब उठाया गया जब लासलगांव, एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार, में किसानों ने निर्यात शुल्क के विरोध में कुछ समय के लिए व्यापार बंद कर दिया. शिवसेना के एक सांसद ने तो वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर प्याज का निर्यात शुल्क हटाने की मांग उठाई है.
निफाड़ विधायक दिलीप बानकर और येवला विधायक छगन भुजबल, जो नासिक जिले से आते हैं, ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और राज्य सरकार से केंद्र सरकार के साथ इस शुल्क को वापस लेने की मांग की. राज्य के मंत्री जयकुमार रावल ने आश्वासन दिया कि यह मामला केंद्र के सामने उठाया जाएगा और शुल्क को जल्द ही वापस लिया जाएगा. लेकिन इस मुद्दे का राजनीतिक पहलू भी है, क्योंकि महायुति के लिए निर्यात शुल्क परेशानी का कारण बन सकता है, जो पिछले साल के लोकसभा चुनाव में नासिक क्षेत्र में हार चुकी है.
प्याज के थोक मूल्य में लगातार गिरावट देखी जा रही है. जनवरी 2025 की शुरुआत से ही प्याज की कीमतों में गिरावट आई है, और मार्च 2025 की शुरुआत में थोक मूल्य 2,300-2,400 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 1,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. इस गिरावट को कई किसान 20 परसेंट निर्यात शुल्क के कारण मानते हैं. भारत में कुल प्याज उत्पादन का लगभग 10-15 परसेंट निर्यात किया जाता है, और इन निर्यातों से घरेलू कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है.
महाराष्ट्र का प्याज बेल्ट नासिक, डिंडोरी, बीड, औरंगाबाद, अहमदनगर, और धुले जिलों तक फैला हुआ है. इन क्षेत्रों में प्याज का उत्पादन बहुत अधिक होता है, और यहां के किसान निर्यात शुल्क को एक बड़ी चुनौती मानते हैं. भारत ने वित्त वर्ष 2022-2023 में 25.63 लाख टन प्याज का निर्यात किया, जिसकी कीमत 4,649.98 करोड़ रुपये थी, लेकिन 2023-24 में यह गिरकर 17.58 लाख टन हो गई.
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पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि घरेलू बाजार में प्याज की कीमतें स्थिर रहें. हालांकि, इस कदम ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया. केंद्र की एनडीए सरकार ने मई 2024 में लोकसभा चुनावों के बीच निर्यात प्रतिबंध को हटा लिया था, लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव महायुति के लिए नकारात्मक रहा. क्षेत्रीय नेता और किसान संगठन इस मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं, और अब फिर से प्याज पर निर्यात शुल्क को लेकर विरोध हो रहा है.
नासिक के व्यापारी भी 20 परसेंट निर्यात शुल्क को नुकसानदेह मानते हैं, खासकर जब ग्रीष्मकालीन प्याज की फसल अब कटाई के लिए तैयार है. व्यापारी दीपक पगार ने कहा कि ईद के दौरान मध्य पूर्व से प्याज की मांग बढ़ने की संभावना है, और इस समय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुल्क हटाना किसानों के हित में होगा.
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विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे का विरोध करना शुरू कर दिया है. महाविकास अघाड़ी के विधायकों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया और किसानों के लिए कर्जमाफी की मांग की. किसान नेता राजू शेट्टी ने भी विधानसभा की ओर मार्च करने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक लिया. उनका कहना था कि सरकार ने किसानों के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है और निर्यात शुल्क वापस लेने की कोई उम्मीद नहीं है.
महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में गिरावट और निर्यात शुल्क की समस्या ने किसानों और व्यापारियों को एक नई चुनौती दी है. एक्सपर्ट का कहना है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे पर बातचीत जरूरी है ताकि प्याज उत्पादक क्षेत्रों के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी जा सके. किसानों की हालत सुधारने के लिए निर्यात शुल्क में बदलाव, कर्ज माफी और समर्थन मूल्य पर विचार करना अच्छा कदम हो सकता है.
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