वन नेशन वन इलेक्‍शन, भारत में कैसे होंगे एक साथ सारे चुनाव, जानिए कोविंद कमेटी की रिपोर्ट की खास बातें 

वन नेशन वन इलेक्‍शन, भारत में कैसे होंगे एक साथ सारे चुनाव, जानिए कोविंद कमेटी की रिपोर्ट की खास बातें 

पूर्व राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने 14 मार्च को राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'एक राष्‍ट्र, एक चुनाव' पर बनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं.

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वन नेशन वन इलेक्‍शन, भारत में कैसे होंगे एक साथ सारे चुनाव, जानिए कोविंद कमेटी की रिपोर्ट की खास बातें पूर्व राष्‍ट्रपति कोविंद ने सौंपी वन नेशन वन इलेक्‍शन पर रिपोर्ट

पूर्व राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने 14 मार्च को राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'एक राष्‍ट्र, एक चुनाव' पर बनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं. इस कमेटी में पूर्व राष्‍ट्रपति कोविंद के अलावा इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं. समिति की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को 100 दिनों के अंदर आयोजित कराना है. 

15 संशोधनों का सुझाव 

अपनी सिफारिशों को प्रभावी बनाने के लिए, समिति ने भारत के संविधान में 15 संशोधनों का सुझाव दिया है. नए प्रावधानों और मौजूदा प्रावधानों में बदलाव दो संविधान संशोधन विधेयकों के जरिये से हो सकेगा. पहला विधेयक एक साथ चुनाव प्रणाली में परिवर्तन और लोकसभा या राज्य विधानसभा के लिए उनके निर्धारित पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से पहले नए चुनाव की प्रक्रिया से निपटेगा. कोविंद कमेटी के अनुसार इस विधेयक को राज्य सरकारों से परामर्श या राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता के बिना संसद द्वारा पारित किया जा सकता है. 

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एक साथ चुनाव का अनुच्‍छेद 

दूसरा बिल नगरपालिका और पंचायत चुनावों के साथ-साथ भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा सिंगल वोटिंग लिस्‍ट के निर्माण से जुड़ा होगा. इसमें हर वोटर और उस सीट का विवरण होगा जिसके लिए वे मतदान करने के योग्‍य हैं. कोविंद समिति ने माना है कि यह बिल उन विषयों से जुड़ा है जिन पर राज्यों के पास कानून बनाने की प्राथमिक शक्ति है. इसलिए इसे लागू करने से पहले भारत के आधे से अधिक राज्यों की मंजूरी की जरूरत होगी.

कोविंद कमेटी की तरफ से जो जो पहला विधेयक है, उसे संविधान में एक नये अनुच्छेद  82A में शामिल करके लाया जायेगा. अनुच्छेद 82ए उस प्रक्रिया को स्थापित करेगा जिसके द्वारा देश लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव की प्रणाली की ओर बढ़ेगा. 

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क्‍या कहता है 82A(1)

समिति की रिपोर्ट के अनुसार, अनुच्छेद 82A(1) के मुताबिक 'आम चुनाव के बाद लोक सभा की पहली बैठक की तारीख पर', राष्ट्रपति अनुच्छेद 82ए को प्रभावी बनाने के लिए एक अधिसूचना जारी करेंगे. इस अधिसूचना की तारीख को 'नियुक्ति की तारीख' कहा जाएगा.  अनुच्छेद 82ए(2) में कहा गया है कि 'नियत तारीख के बाद होने वाले किसी भी आम चुनाव में गठित सभी विधान सभाएं लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर समाप्त हो जाएंगी.' 

क्‍या है अनुच्‍छेद 82A(3)

प्रस्तावित अनुच्छेद 82ए(3) में चुनाव आयोग  को 'लोकसभा और विधान सभाओं के आम चुनाव एक साथ' कराने की जरूरत बताई गई है. अगर चुनाव आयोग मानता है कि किसी भी विधान सभा के चुनाव एक साथ नहीं कराए जा सकते हैं, तो 'वह राष्ट्रपति को एक आदेश द्वारा घोषणा करने की सिफारिश' कर सकेगा.

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इसके तहत बताया जाएगा कि उस विधान सभा का चुनाव बाद की तारीख में कराया जा सकता है. हालांकि, ऐसे मामलों में भी जहां राज्य विधानसभा चुनाव स्थगित कर दिया गया है, 'विधान सभा का पूरा कार्यकाल उसी दिन समाप्त होगा जिस दिन आम चुनाव में गठित लोक सभा का पूरा कार्यकाल समाप्त होगा. यह अनुच्छेद 82ए(5) के तहत होगा. 

अनुच्‍छेद 327 में संशोधन!  

प्रस्तावित विधेयक अनुच्छेद 327 में संशोधन की भी सिफारिश करता है, जो संसद को लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों से संबंधित कानून बनाने की शक्ति देता है. इसमें मतदाता सूची तैयार करना और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भी शामिल है.  कोविंद समिति ने सिफारिश की है कि अनुच्छेद 327 के तहत संसद की शक्ति का विस्तार किया जाना चाहिए और इसमें  एक साथ चुनाव कराने को भी शामिल किया जाना चाहिए. 

 

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