पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने महायुति सरकार पर दागे सवाल (फाइल फोटो)महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के साथ बातचीत कर कृषि लोन माफ करने के मुद्दे को 8 महीने के लिए टाल दिया है. महायुति सरकार अब 30 जून 2026 को इसपर अपना फैसला बताएगी. नागपुर में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बच्चू कडू और अन्य नेताओं ने सरकार के तारीख तय करने के फैसले का स्वागत किया है. वहीं, अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राज्य सरकार की ‘देरी’ पर सवाल उठाए है. पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर किसानों की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सत्ता में बैठे लोग किसानों को “मौत के मुहाने” पर पहुंचा रहे हैं. ठाकरे ने तुरंत कर्जमाफी की मांग करते हुए कहा कि अब और देरी का कोई औचित्य नहीं बचा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि भारी बारिश और बाढ़ से सितंबर में मराठवाड़ा समेत राज्य के कई हिस्सों में तबाही मची थी. हजारों किसानों की फसलें नष्ट हो गईं, उपजाऊ मिट्टी बह गई और कई खेत पूरी तरह बंजर हो गए. उन्होंने आरोप लगाया, “किसान अपनी जमीन को फिर से खेती लायक बनाना चाहते हैं, लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी है.”
ठाकरे की यह प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्जमाफी पर निर्णय 30 जून 2026 तक लिया जाएगा. फडणवीस ने गुरुवार को पूर्व विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी (PJP) नेता बच्चू कडू से मुलाकात के बाद यह घोषणा की थी. कडू किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर बड़े आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
फडणवीस ने बताया था कि प्रमुख आर्थिक सलाहकार प्रवीण परदेशी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है, जो किसानों को कर्ज के जाल से मुक्त करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय सुझाएगी.
वहीं, उद्धव ठाकरे ने इस समिति पर ही सवाल उठाते हुए कहा, “सरकार ने किसानों को छलने और वक्त खरीदने के लिए जून तक का समय लिया है. अगर कर्जमाफी अगले साल जून में होगी तो इस साल के कर्ज का क्या होगा? रबी फसल के लिए किसान नया कर्ज कैसे लेंगे?”
उन्होंने कहा कि विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याओं की खबरें लगातार आ रही हैं. इसपर ठाकरे ने सवाल उठाया “क्या सरकार जून तक इंतजार करेगी और तब तक किसानों की आत्महत्याओं की जिम्मेदारी लेगी?”
ठाकरे ने आरोप लगाया कि सरकार केवल घोषणाओं में हजारों करोड़ रुपये की सहायता की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अब तक किसानों के खातों में वास्तविक मदद नहीं पहुंची है. उन्होंने कहा, “किसान पूरी तरह टूट चुके हैं. अगर अभी भी कर्जमाफी का सही समय नहीं है, तो फिर कब होगा? सरकार को किसानों के साथ छलावा बंदकर तुरंत राहत देनी चाहिए.” (पीटीआई)
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