ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने का वादाबिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी किया है. 32 पेज का यह घोषणापत्र “बिहार का तेजस्वी प्रण” शीर्षक के साथ पेश किया गया, जिसमें कई बड़े और लोकलुभावन वादे किए गए हैं. घोषणापत्र में सबसे चर्चित मुद्दा ताड़ी (ताड़ी या तारी) पर से प्रतिबंध हटाने का है.
इंडिया ब्लॉक के घोषणापत्र में जनता से जुड़े कई वादे किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
घोषणापत्र में कहा गया है कि “बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट” की पूरी समीक्षा की जाएगी और ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाया जाएगा. इस कानून के तहत वर्तमान में हजारों गरीब और दलित वर्ग के लोग जेलों में बंद हैं. इंडिया ब्लॉक ने वादा किया है कि जेलों में बंद दलितों और गरीबों को तत्काल राहत दी जाएगी.
साथ ही, ताड़ी और महुआ पर आधारित पारंपरिक व्यवसायों को मद्यनिषेध कानून के दायरे से बाहर करने की भी बात कही गई है.
आरजेडी नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा कि यह फैसला उन परिवारों की आजीविका को फिर से जीवित करेगा जो पीढ़ियों से ताड़ी के पारंपरिक व्यवसाय पर निर्भर हैं.
उन्होंने कहा, “जो समुदाय ताड़ी के धंधे से जुड़ा है, उनके पास न खेती की जमीन है और न कोई दूसरा रोजगार. ऐसे में यह प्रतिबंध अन्यायपूर्ण था और इसे हटाना जरूरी कदम है.”
बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है, जिसके तहत ताड़ी की बिक्री और सेवन पर भी रोक है.
हालांकि, इस कानून को लेकर कई बार सवाल उठे हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में गरीब और दलित समुदाय के लोग इस कानून के तहत जेलों में बंद हैं.
वाम दलों के नेता और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी इस कानून को “ढोंग” बताया था. उन्होंने कहा था कि अगर इंडिया ब्लॉक सत्ता में आता है, तो इस कानून की “गंभीर समीक्षा” की जाएगी.
इंडिया ब्लॉक का घोषणापत्र बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में नई बहस लेकर आया है. जहां एक ओर ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने का वादा गरीब और दलित वर्ग के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, वहीं दूसरी ओर शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार की घोषणा राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है. अगर ये वादे हकीकत बनते हैं, तो यह बिहार के आर्थिक और सामाजिक ढांचे में बड़ा परिवर्तन साबित हो सकता है.
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