 बिहार चुनाव के लिए एनडीए का घोषणा पत्र
बिहार चुनाव के लिए एनडीए का घोषणा पत्रबिहार में लगातार हो रही बारिश के कारण जहां राज्य के तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है, वहीं विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इन्हीं घटनाक्रमों के बीच जहां बीते दिनों इंडिया महागठबंधन ने अपना संकल्प पत्र “बिहार का तेजस्वी प्रण” जारी किया. वहीं शुक्रवार को विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए महागठबंधन ने “एनडीए का संकल्प पत्र” नाम से अपना मेनिफेस्टो जारी किया. इस संकल्प पत्र में बिहार के विकास को लेकर कई वादे किए गए हैं.
मुख्य रूप से एक करोड़ से अधिक सरकारी नौकरी और रोजगार देने की बात कही गई है. इसके साथ ही एनडीए के संकल्प पत्र में कृषि और किसानों को लेकर जो सबसे बड़ी घोषणा की गई है, वह सम्मान निधि की राशि को लेकर है. गठबंधन की ओर से “कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि” की शुरुआत की जाएगी, जिसके तहत किसानों को प्रतिवर्ष 3000 रुपये देने की बात कही गई है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने एनडीए सरकार आने पर किए जाने वाले कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि संकल्प पत्र में राज्य के गरीबों और किसानों को ध्यान में रखते हुए 25 मुद्दों को शामिल किया गया है. इनमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ कृषि, पशुपालन सहित अन्य विषयों को प्रमुखता दी गई है.
वर्तमान में बिहार सहित देश के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रतिवर्ष 6000 रुपये की राशि तीन किस्तों में दी जाती है. अब एनडीए गठबंधन की ओर से जारी संकल्प पत्र में राज्य की ओर से अतिरिक्त 3000 रुपये प्रतिवर्ष देने की बात कही गई है. यानी यदि एनडीए की सरकार बनती है, तो बिहार के किसानों को कुल 9000 रुपये की राशि मिलेगी. हालांकि एनडीए की ओर से सम्मान निधि का नाम “कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि योजना” रखने को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. कई लोगों का कहना है कि इस योजना का नाम सहजानंद सरस्वती के नाम पर रखा जाना चाहिए था.
बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए गठबंधन कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ‘मेड इन बिहार फॉर द वर्ल्ड’ के नारे के तहत काम करेगा. इसके तहत कृषि निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है. संकल्प पत्र में 5 मेगा फूड पार्क स्थापित करने की घोषणा की गई है, जिससे निर्यात में तेजी आएगी.इसके साथ ही वर्ष 2030 तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.
बिहार के मखाना, मछली और अन्य उत्पादों को ग्लोबल एक्सपोर्ट सेंटर के रूप में विकसित करने पर जोर दिया गया है. वहीं,1 लाख करोड़ रुपये का निवेश एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर में करने की बात कही गई और पंचायत स्तर पर धान, गेहूं, दलहन और मक्का की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने की भी बात कही गई है.
एनडीए गठबंधन ने पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए भी कई घोषणाएं की हैं. इसमें ‘जुज्बा सहनी मत्स्य पालक सहायता योजना’ की शुरुआत की बात कही गई है. साथ ही ‘बिहार दुग्ध मिशन’ के तहत प्रखंड स्तर पर चिलिंग और प्रोसेसिंग सेंटर बनाए जाएंगे.
संकल्प पत्र में किसानों के लिए राज्य की ओर से दी जाने वाली सम्मान निधि राशि को छोड़कर अन्य मुद्दे पहले की तरह ही हैं. एनडीए सरकार में रहते हुए भी फसलों के उचित मुआवजे, कृषि निर्यात, बाजार, मंडी और किसानों की अन्य समस्याओं को लेकर कई बार वादे किए गए, लेकिन स्थितियां अधिक नहीं बदलीं. बिहार में इन दिनों सड़क निर्माण सहित अन्य परियोजनाओं के लिए सरकार द्वारा ली जा रही जमीनों के उचित मुआवजे का मुद्दा भी गरम है. कई जिलों के किसान आंदोलन कर रहे हैं, परंतु एनडीए के संकल्प पत्र में इस पर कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है.
इसके अलावा बदलते मौसम के प्रभाव को देखते हुए किसानों के बीच फसल बीमा को लेकर चर्चाएं बढ़ी हैं, लेकिन एनडीए ने इसमें नई पहल के बजाय पुरानी योजनाओं को ही आगे बढ़ाने की बात कही है. किसानों की लंबे समय से चली आ रही निशुल्क बिजली की मांग को भी संकल्प पत्र में शामिल नहीं किया गया है.
एनडीए गठबंधन ने अपने संकल्प पत्र में बाढ़, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे को लेकर भी कई अहम घोषणाएं की हैं. संकल्प पत्र में 7 एक्सप्रेसवे और 3600 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के आधुनिकीकरण की बात कही गई है. साथ ही कई नए शहरों में मेट्रो की शुरुआत करने की घोषणा भी की गई है. प्रत्येक जिले में अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और 10 नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे.
बिहार में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए फ्लड मैनेजमेंट बोर्ड की स्थापना और नदी जोड़ो परियोजना के तहत तटबंध और नहरों के निर्माण की बात कही गई है. वहीं, महिला सशक्तिकरण के तहत मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में महिलाओं को 2 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की गई है. साथ ही एक करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग को आर्थिक और सामाजिक बल देने के लिए 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
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