किसानों के कर्ज माफी पर अजीत पवार का बयानमहाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा है कि राज्य सरकार फसल कर्ज माफी पर अंतिम निर्णय 30 जून 2026 तक लेगी. यह जानकारी उन्होंने बारामती में आयोजित छत्रपति शुगर को-ऑपरेटिव फैक्ट्री के कार्यक्रम में दी. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने मैनिफेस्टो का वादा पूरा किया है, लेकिन ऐसे ऋण माफियों को बार-बार नहीं दोहराया जाएगा. साथ ही उन्होंने किसानों से वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की अपील भी की.
अजीत पवार ने यह साफ किया कि फसल ऋण माफी निश्चित रूप से होगी, लेकिन इसका अंतिम फैसला 30 जून 2026 को लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि नए वित्तीय वर्ष के बाद सरकार पर भारी वित्तीय बोझ आएगा. इसलिए यह माफी पहले की गई घोषणाओं और मैनिफेस्टो वादे के तहत ही होगी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहती. उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने ऋण का समय पर भुगतान करें और वित्तीय अनुशासन बनाए रखें.
उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पीडीसीसी बैंक में जो किसान अपने लोन का समय पर भुगतान करते हैं, उन्हें शून्य ब्याज पर नया लोन दिया जाता है. इससे उनका वित्तीय दबाव कम होता है और वे अन्य किसानों की तुलना में बेहतर स्थिति में रहते हैं. अजीत पवार ने किसानों को यह समझाने की कोशिश की कि ऋण माफी का मतलब केवल सरकारी मदद नहीं है, बल्कि आर्थिक अनुशासन और समय पर भुगतान भी उतना ही जरूरी है.
हाल ही में पूर्व विधायक बच्चू काडू के नेतृत्व में किसानों ने फसल ऋण माफी की मांग को लेकर नागपुर में हाईवे जाम किया था. इस विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने लोन माफी योजना की घोषणा की और किसानों को कर्ज़ के जाल से निकालने के लिए एक समिति बनाने का निर्णय लिया. यह समिति किसानों के ऋण माफी के लिए नियम और प्रक्रिया तैयार करेगी.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि सरकार ने 2024 विधानसभा चुनावों में किए गए वादों के अनुसार किसानों के ऋण माफ करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि समिति 1 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपेगी, और उसके आधार पर 30 जून 2026 तक किसानों के ऋण माफ़ किए जाएंगे. इस निर्णय से किसानों को राहत मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
महाराष्ट्र सरकार का संदेश है कि फसल ऋण माफी के साथ-साथ किसानों को वित्तीय अनुशासन बनाए रखना चाहिए. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और भविष्य में वे कर्ज़ के जाल में नहीं फँसेंगे. सरकार का प्रयास है कि किसान आत्मनिर्भर बनें और समय पर ऋण चुकाने की आदत डालें.
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