किसानों की गिरफ्तारी के खिलाफ महापंचायत में डल्लेवाल भी पहुंचे, आंदोलन को लेकर कही ये बड़ी बात

किसानों की गिरफ्तारी के खिलाफ महापंचायत में डल्लेवाल भी पहुंचे, आंदोलन को लेकर कही ये बड़ी बात

डल्लेवाल ने कहा, तीन महीने तक लगताार मोर्चा सफलतापूर्वक चला और नौजवानों की बदौलत हम पीछे नहीं हटे, बल्कि सरकार ने धक्केशाही की. उन्होंने कहा कि मीटिंग का दौर शुरू होने के बाद उन्हें सरकार से इस तरह की कार्यवाही की उम्मीद नहीं थी. सरकार पर विश्वास किया परंतु सरकार ने कायराना हरकत करते हुए यह कार्रवाई की. लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि संघर्ष की बदौतल एमएसपी न सिर्फ मुद्दा बना बल्कि सड़क से चल कर संसद तक पहुंचा.

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फरीदकोट महापंचायत में डल्लेवाल भी पहुंचे, आंदोलन को लेकर कही ये बड़ी बातकिसान नेता डल्लेवाल

भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धुपुर ने खनौरी और शंभू बार्डर पर चल रहे मोर्चे को हटाने के खिलाफ एक महापंचायत की. इस किसान यूनियन ने गुरुवार को फरीदकोट जिले के गांव डल्लेवाल में किसान महापंचायत का आयोजन किया. इस दौरान एमएसपी गारंटी कानून को लागू करने को लेकर आमरण अनशन पर चल रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल भी पहुंचे. भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर ने पूरे पंजाब में किसान महापंचायतें करने की घोषणा की है. इसकी शुरुआत गुरुवार को जगजीत सिंह डल्लेवाल के पैतृक गांव डल्लेवाला में किसान महापंचायत के साथ की गई. इस दौरान जिले भर से लगभग छह हजार की संख्या में किसान पहुंचे थे.

इस पूरी महापंचायत में एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग उठाई गई. इस दौरान मीडिया के साथ बातचीत करते हुए एमएसपी के लिए आमरण अनशन पर चल रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमारी लड़ाई सिर्फ किसानों की या एमएसपी की लड़ाई नहीं है बल्कि एमएसपी आने वाली पीढ़ी की लड़ाई है. उन्होंने कहा, जब तक एमएसपी का कानून नहीं बनेगा तब तक राज्य में किसी भी कीमत पर पंजाब में खेती में विविधता नहीं आ सकती. बिना विविधता के लोग धान की फसल छोड़ कर अन्य फसल की ओर नहीं जाएंगे. 

क्या कहा डल्लेवाल ने?

डल्लेवाल ने कहा कि पंजाब में जितनी धान की बिजाई को रही है, उसे देखते हुए विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब में अधिक से अधिक 15 वर्षों का पानी रह गया है. इसके बाद पंजाब की रोजी-रोटी भी जाएगी और पानी भी जाएगा. यही कारण है कि एमएसपी गारंटी कानून की लड़ाई देखने में केवल हमारी लग रही है, परंतु वास्तव में यह समूचे पंजाबवासियों की लड़ाई है. वहीं डल्लेवाल ने पंजाब के नौजवानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब उन्होंने आमरण अनशन का निर्णय लिया था तब उन्होंने आखिरी दम तक लड़ाई लड़ने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि था यहां से सरकार ने उठा लिया तो हम मोर्चा हार जाएंगे, लेकिन यदि सरकार को पीछे हटा दिया तो हम जीत जाएंगे. 

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केंद्र पर साधा निशाना

डल्लेवाल ने कहा, तीन महीने तक लगताार मोर्चा सफलतापूर्वक चला और नौजवानों की बदौलत हम पीछे नहीं हटे, बल्कि सरकार ने धक्केशाही की. उन्होंने कहा कि मीटिंग का दौर शुरू होने के बाद उन्हें सरकार से इस तरह की कार्यवाही की उम्मीद नहीं थी. सरकार पर विश्वास किया परंतु सरकार ने कायराना हरकत करते हुए यह कार्रवाई की. लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि संघर्ष की बदौतल एमएसपी न सिर्फ मुद्दा बना बल्कि सड़क से चल कर संसद तक पहुंचा. इतना ही नहीं विपक्षी दलों और नेता को भी इस मुद्दे पर बोलना पड़ा.

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उन्होंने कहा कि कुछ फसलों पर एमएसपी की घोषणा तो हुई मगर संपूर्ण एमएसपी की लड़ाई जारी रहेगी. इसी के चलते राज्य भर में दस महापंचायतें की जाएंगी और वे इसी हालत में वहां जाएंगे. मांगों को लेकर केंद्र के साथ बात करवाने के मुख्यमंत्री के बयान पर उन्होंने कहा कि उन्हें उन पर कोई विश्वास नहीं है.

जगजीत सिंह डल्लेवाल सुबह 8 बजे पटियाला के निजी हॉस्पिटल से काफिले के साथ रवाना हुए और रास्ते में जगह-जगह किसानों ने उनका स्वागत किया. पंचायत में मौजूद किसानों को सबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारों ने धोखे से हमारे ऊपर वार कर के किसान मोर्चों पर हमला किया जो बेहद ही शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि जब 18 जनवरी तक हजारों नौजवान मोर्चों पर दिन-रात पहरेदारी करते थे तो हमारे मोर्चों पर आंख उठाकर देखने की हिम्मत किसी सरकार में नहीं हुई. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत आया हुआ है और अमेरिकी कृषि उत्पादों पर से आयात शुल्क खत्म करने का दबाव भारत सरकार पर बनाया जा रहा है. यदि भारत सरकर इस दबाव में झुकती है तो वह भारत के किसानों के लिए डेथ वारंट समान होगा. 

पीएम मोदी को चुनौती

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी दावा करते हैं कि उनकी 56 इंच की छाती है और उनकी सरकार किसी के सामने नहीं झुकती. यदि सही मायने में उनकी 56 इंच की छाती है और वे किसी विदेशी सरकार के सामने नहीं झुकते तो वे भारत के किसानों के हकों की रक्षा करने के लिए स्टैंड लें और अमेरिका के दबाव के सामने न झुकें. उन्होंने कहा कि MSP गारंटी कानून की लड़ाई को जीत तक ले कर जाना हमारा संकल्प है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए हम अपनी पूरी ज़िंदगी समर्पित कर देंगे. 

उन्होंने यह भी कहा कि इसी आंदोलन के दबाव के चलते संसद की कृषि विषयों पर बनी स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में MSP गारंटी कानून बनाने की सिफारिश की. कल 4 अप्रैल को फिरोजपुर, 5 अप्रैल को पटियाला, 6 अप्रैल को फतेहगढ़ साहिब, 7 अप्रैल को धनौला (बरनाला), 8 अप्रैल को दौदा (मुक्तसर साहिब), 9  अप्रैल को फाजिल्का, 10 अप्रैल को अमृतसर और मई के महीने में हरियाणा और राजस्थान में महापंचायतें होंगी जिनमें वे खुद भाग लेंगे. 

 

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