इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई बोले, चुनावी बांड को खत्‍म करने से बढ़ेगा भ्रष्‍टाचार, खुलेगा काले धन का रास्‍ता

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई बोले, चुनावी बांड को खत्‍म करने से बढ़ेगा भ्रष्‍टाचार, खुलेगा काले धन का रास्‍ता

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड्स को खत्‍म करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका दिया. अब इंफोसिस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) रहे मोहनदास पई ने इस पर टिप्‍पणी की है. पई ने चुनावी बॉन्‍ड खत्‍म करने के फैसले को खराब करार दिया है.

Advertisement
इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई बोले, चुनावी बांड को खत्‍म करने से बढ़ेगा भ्रष्‍टाचार, खुलेगा काले धन का रास्‍ता मोहनदास पई ने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्‍पणी

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड्स को खत्‍म करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका दिया. अब इंफोसिस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) रहे मोहनदास पई ने इस पर टिप्‍पणी की है. पई ने चुनावी बॉन्‍ड खत्‍म करने के फैसले को खराब करार दिया है. उन्‍होंने कहा है कि चुनावी बांड को खत्म करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए खराब है क्योंकि अब राजनीतिक दल पुरानी प्रणाली में चले जाएंगे. उनकी मानें तो इस बॉन्‍ड के तहत नकद दान की अनुमति थी जिसमें पैसे का स्रोत ज्ञात नहीं था. 

किस पार्टी को हुआ कितना फायदा 

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि या कि चुनावी बांड के जरिए अधिकांश वित्‍तीय योगदान ऐसा था जो गुमनाम था और जिसका सबसे ज्‍यादा फायदा भाजपा को हुआ था. अपनी अलग राय में, जस्टिस संजीव खन्ना ने साल 2017-2018 से साल 2022-2023 तक राजनीतिक दलों की ऑडिट रिपोर्ट का विश्लेषण किया. न्यायमूर्ति खन्ना के विश्लेषण से पता चला कि योजना की शुरुआत में भाजपा को साल 2017-2018 में 210 करोड़ रुपए मिले. जबकि साल 2022-23 में1294.14 करोड़ रुपए मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 171.02 करोड़ रुपए मिले थे. वहीं तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) को 325 करोड़ रुपए और डीएमके को 2022-2023 में 185 करोड़ रुपए मिले थे. 

यह भी पढ़ें- महाराष्‍ट्र के बारामती में इस बार आमने-सामने होगी पवार फैमिली, अजित पवार की पत्‍नी सुनेत्रा लड़ेंगी चुनाव!  

साल 2017 में जेटली लेकर आए बॉन्‍ड 

राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से साल 2017 में चुनावी बांड पेश किए गए थे. इस चुनावी बांड योजना ने दानकर्ताओं को अपनी पहचान का खुलासा किए बिना बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक दलों को धन दान करने की अनुमति दी. इन बॉन्‍ड की वजह से काले धन से जुड़ी चिंता भी बढ़ी. कई लोगों ने कहा कि कौन किसे दान दे रहा है, इसका विवरण भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए. 

पई ने पूछा सवाल, कैसे आएगी पारदर्शिता 

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्‍ड योजना को 'असंवैधानिक' बताते हुए इसे रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को तत्काल प्रभाव से चुनावी बॉन्‍ड के जारी करने को बंद करने का निर्देश दिया.  भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'चुनावी बॉन्‍ड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है और असंवैधानिक है. साथ ही कंपनी अधिनियम में संशोधन असंवैधानिक है.' इनफोसिस के मोहनदास पई ने इसे 'खराब निर्णय' कहा और पूछा, 'इससे पारदर्शिता कैसे आएगी? पार्टियां पुरानी व्यवस्था में वापस चली जाएंगी जहां भ्रष्टाचार से काले धन का बोलबाला था.  क्या मतदाताओं को पहले पता था कि किसने पैसा दिया? अब वे जानते हैं कि कितना पैसा दिया गया है? सभी दल कानून के लिए सहमत हुए, सभी दलों ने चुनावी बांड स्वीकार किए. 

यह भी पढ़ें- 

   

 

POST A COMMENT