पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से टैरिफ वाला ऐलान अब चीन और भारत समेत दुनिया के कुछ और देशों पर लागू हो चुका है. भारत दुनिया का पांचवा देश है जो सबसे ज्यादा शहद अमेरिका को निर्यात करता है. लेकिन अब निर्यातकों को इस टैरिफ ने बड़ी चिंता में डाल दिया है. निर्यातकों को डर है कि भारत को शुल्क की वजह से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उन्हें इस बात की आशंका भी सता रही है कि इससे अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और यूके जैसे बाकी प्रतिस्पर्धी देशों को फायदा मिल सकता है क्योंकि चीन, जो दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, उस पर भी ट्रंप ने जमकर टैरिफ लगाया है.
भारत सरकार को भरोसा है कि गुणवत्ता की वजह से भारत को फायदा मिलेगा. जबकि निर्यातक एंटी-डंपिंग ड्यूटी में संभावित बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं. एक सीनियर सरकारी के हवाले से अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन ने लिखा है, 'हमारा प्राकृतिक शहद सरसों की फसल पर आधारित है जिससे मधुमक्खियां छत्ते बनाती हैं. किसी और देश में इस तरह का शहद नहीं है जो वहां की जलवायु के अनुसार बदलता भी है जिससे इसे स्वीकृति मिलती है.'
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सूत्रों की मानें तो सरकार शहद के लिए निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य की भी समीक्षा कर सकती है. सरकार इस पर विचार कर सकती है कि इसे या तो कम किया जाए या फिर अमेरिकी टैरिफ के बाद पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए. भारत की तरफ से साल 2023 कैलेंडर वर्ष में 185 मिलियन डॉलर के कुल प्राकृतिक शहद निर्यात में से, 161.08 मिलियन डॉलर का उत्पादन अमेरिका को भेजा गया. अधिकारियों के अनुसार फिलहाल दो मुद्दे सबसे ऊपर हैं, एक भारतीय शहद पर 5.8 फीसदी की एंटी-डंपिंग ड्यूटी और दूसरा अमेरिका की तरफ से लगाया टैरिफ जिसे पे करना होगा.
केजरीवाल बीकेयर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्ट प्रकाश केजरीवाल ने अखबार से कहा अगले हफ्ते तक सही टैरिफ दरों की जानकारी मिल जाएगी. इसके बाद अंतिम एंटी-डंपिंग ड्यूटी पर फैसला होगा. केजरीवाल बीकेयर अमेरिका को शहद निर्यात करने में सबसे ऊपर है. साल 2022 में अमेरिका ने तीन भारतीय कंपनियों पर शुल्क लगाया था. इसमें से एक निर्यातक पर 6.24 प्रतिशत और दूसरे निर्यातक पर 5.87 प्रतिशत का शुल्क लगाया गया था. लेकिन वियतनाम पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी 60.03 प्रतिशत है और सिर्फ दो निर्यातकों पर 58.74 प्रतिशत और 61.27 फीसदी है.
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ट्रंप की तरफ से भारत पर 26 फीसदी का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है. जबकि वियतनाम पर यह 46 फीसदी और अर्जेंटीना पर यह 10 फीसदी है. कुछ निर्यातकों का मानना है कि अर्जेंटीना को भारत पर कुछ फायदा मिल सकता है. एपीडा के आंकड़ों के अनुसार अर्जेंटीना 133.81 मिलियन डॉलर के निर्यात मूल्य के साथ दूसरे स्थान पर रहा. अर्जेंटीना पर टैरिफ और एंटी-डंपिंग ड्यूटी दोनों मिलाकर 27 फीसदी है. अर्जेंटीना की कंपनियों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी अलग-अलग है. निर्यातकों को अब उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में भारत को एंटी-डंपिंग ड्यूटी में 0.6 फीसदी का लाभ मिल सकता है.
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