नई दिल्ली में आज केंद्र सरकार की कैबिनेट ब्रीफिंग दी गई. ब्रीफिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नए साल के पहले दिन मोदी सरकार ने किसानों के नाम कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनमें खाद सब्सिडी सबसे बड़ी है. सरकार के मुताबिक, किसानों को अब खाद पर ज्यादा सब्सिडी मिलेगी. साथ ही सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना की राशि पहले से बढ़ा दी है. सरकार ने डीएपी खाद के लिए 3850 करोड़ रुपये के 'वन टाइम स्पेशल पैकेज' की घोषणा की. इसी बीच केंद्रीय मंत्री से किसान आंदोलन को लेकर एक सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
कैबिनेट ब्रीफिंग में वैष्णव से पूछा गया कि पंजाब में किसान धरने पर बैठे हैं. सरकार की बात से आम लोग तो कन्विंस हो जाते हैं, लेकिन क्या किसान सरकार की बात से कन्विंस नहीं हो पा रहे हैं? क्या सरकार उनसे बात नहीं कर रही है? इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ''हरियाणा चुनाव के दौरान अगर आप घूमे होंगे तो वहां के किसानों ने कितना जबर्दस्त फीडबैक दिया था कि आंदोलन वर्सेस रियल वेलफेयर (किसान कल्याण) वर्सेस किसानों का भला कैसे इन दस वर्षों में हुआ. ''
किसान आंदोलन के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कुछ स्पष्ट नहीं बोला लेकिन सरकार के काम को हरियाणा चुनाव और हरियाणा की जीत से जोड़ कर जरूर इशारा दे दिया. उनका इशारा इस ओर था कि हरियाणा चुनाव की बंपर जीत बताती है कि सरकार ने किसानों के कल्याण और उनकी भलाई के लिए बीते दस वर्षों में बहुत कुछ किया है.
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सरकार का जवाब इस मायने में अहम है, क्योंकि बीते 37 दिन से खनौरी बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं. वे फसलों की एमएसपी गारंटी के साथ अन्य कई मांगों को लेकर अनशन कर रहे हैं. उनकी सीधी मांग केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. हालांकि, सरकार ने अभी इस गुट के साथ किसी भी बातचीत का इशारा नहीं दिया है. इस जारी आंदोलन के बीच सरकार ने आज किसानों के लिए नई घोषणाएं की हैं, जिससे साफ है कि अभी किसी भी बातचीत का रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है.
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई में डल्लेवाल गुट ने कहा कि सरकार अगर किसानों को बातचीत का न्योता देती है तो डल्लेवाल किसी भी तरह की मेडिकल सहायता लेने पर विचार कर सकते हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा है कि डल्लेवाल की स्थिति को देखते हुए उन्हें तुरंत इलाज दिया जाए. इसके लिए कोर्ट ने अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए 31 दिसंबर की आखिरी तारीख मुकर्रर की थी. लेकिन इसमें देरी होने पर पंजाब सरकार ने मोहलत की मांग उठाई जिस पर सु्प्रीम कोर्ट ने इस डेडलाइन को बढ़ाकर 2 जनवरी कर दिया है. डल्लेवाल किसी भी तरह की मेडिकल सहायता लेने से इनकार करते रहे हैं.
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