किसानों पर प्रदूषण बढ़ाने का ठीकरा फोड़ना गलत, CSE ने कहा- खराब हवा के लिए दिल्ली खुद जिम्मेदार 

किसानों पर प्रदूषण बढ़ाने का ठीकरा फोड़ना गलत, CSE ने कहा- खराब हवा के लिए दिल्ली खुद जिम्मेदार 

दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने का आरोप किसानों पर मढ़कर दूसरे सोर्स से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को छिपा लिया जाता है. सीएसई की स्टडी में खुलासा हुआ है कि बढ़ते प्रदूषण के लिए सर्वाधिक हिस्सेदारी स्थानीय सोर्स वाहन, इंडस्ट्री, ईंधन, कचरा जलाने और निर्माण क्षेत्र की रही है. स्टडी में कई आंकड़े सामने आए हैं जो बताते हैं कि हवा खराब होने में अकेले किसान दोषी नहीं हैं.

Advertisement
किसानों पर प्रदूषण बढ़ाने का ठीकरा फोड़ना गलत, CSE ने कहा- खराब हवा के लिए दिल्ली खुद जिम्मेदार दिल्ली की खराब हवा के लिए स्थानीय सोर्स और खास तौर पर ट्रांसपोर्ट सेक्टर की भूमिका ज्यादा है.

दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए किसानों को दोषी ठहराने पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने कड़ी आपत्ति जताते हुए अन्नदाताओं का बचाव किया है. सीएसई ने कहा कि प्रदूषण के लिए दिल्ली खुद जिम्मेदार है. सीएसई ने किसानों का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि सर्वे के दौरान पाया गया है कि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है, बावजूद प्रदूषण बढ़ा है. स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली की खराब हवा के लिए स्थानीय सोर्स और खास तौर पर ट्रांसपोर्ट सेक्टर की भूमिका ज्यादा है. 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने दीपावली से पहले 15 सितंबर से 28 अक्टूबर तक की गई स्टडी में पाया गया कि खेतों में आग लगने की घटनाओं में कमी के बावजूद प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, जो केवल स्थानीय वजहों और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सर्वाधिक योगदान का पता चला है. स्टडी में कहा गया है कि रोजाना के प्रदूषण में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी ट्रांसपोर्ट सेक्टर की रही है. इसके बाद आवासीय क्षेत्रों से 13 फीसदी प्रदूषण पैदा हुआ. जबकि, इंडस्ट्री से 11 फीसदी और निर्माण सेक्टर से 7 फीसदी प्रदूषण हिस्सेदारी दर्ज की गई है. 

वायु प्रदूषण के लिए ये सोर्स जिम्मेदार

स्टडी में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम की ओर से जारी दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में 29 में से 8 सोर्स के औसत हिस्सेदारी का एनालिसिस किया गया. स्टडी के मुख्य बिंदुओं में एक यह था कि दिल्ली में स्थानीय वायु प्रदूषण के सोर्स में वाहनों का सबसे बड़ा योगदान है. यह उद्योग, निर्माण, सड़क कचरा आदि जैसे अन्य स्थानीय सोर्स से आने वाले प्रदूषण का आधे से अधिक हिस्सा था. 

पराली से प्रदूषण में हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम  

सर्दियों से पहले के चरण में खेतों में लगी आग का कुल योगदान केवल 4.4 फीसदी रहा है. स्टडी में कहा गया कि इस साल अब तक खेतों में लगी आग का दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सबसे कम असर पड़ा है. 20 अक्टूबर तक पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने से प्रदूषण की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी नीचे रही है. बीते सालों की तुलना में पराली के धुएं ने अभी तक हवा की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं किया है.

पराली के पीछे छिपाए जाते हैं असल सोर्स 

स्टडी में कहा गया कि आमतौर पर हर साल सर्दियों के इस पहले चरण के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता में खेतों में लगी आग का हिस्सा सबसे बड़ी समस्या माना जाता है, जो वायु प्रदूषण के स्थानीय सोर्स से ध्यान हटाता है. लेकिन इस साल दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ कैटेगरी में पहुंच गई है. जबकि, इस चरण के प्रदूषण के लिए खेत की आग की हिस्सेदारी 1-3 फीसदी से कम रही है. यह स्थिति स्थानीय वायु प्रदूषण सोर्स के हाईएस्ट योगदान की समस्या को सामने लाता है. 

प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सोर्स पर कार्रवाई जरूरी

सीएसई की रिसर्च और एडवोकेसी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि यह साफ है कि सीजनल बढ़ते प्रदूषण के लिए स्थानीय सोर्स समेत अन्य सोर्स की हिस्सेदारी को छिपाया नहीं जा सकता है. वाहनों, इंडस्ट्री, ईंधन, कचरा जलाने और निर्माण सहित प्रदूषण के प्रमुख कारणों को टारगेट करके सख्त कार्रवाई किए बिना पूरे साल साफ हवा इंडेक्स को पूरा नहीं किया जा सकता है. इसके लिए तुरंत एक कार्रवाई की जरूरत है. 

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT