हरियाणा सरकार का बजट कृषि क्षेत्र के लिए विशेष रूप से चर्चा में है. जहां कुछ विशेषज्ञों ने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा, वहीं कुछ किसानों ने इसे उनके मुख्य मुद्दों से मुंह मोड़ते हुए आलोचना की. इस बजट में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है. यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में यह बजट बहस का विषय बन गया है. बजट में किसानों के लिए भी कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं. जैविक खेती को बढ़ाने के साथ ही परंपरागत खेती से किसानों को निकालने और बागवानी पर फोकस करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज ने इस बजट को "किसान हितैषी" बताते हुए सराहा. उनका मानना है कि इस बजट में किसानों की उत्पादकता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने के लिए कई अहम प्रावधान हैं. उन्होंने बीज-परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की पहल को विशेष रूप से सराहा, जिससे किसानों को बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और नकली बीज से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा. इसके अलावा, उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार के कदमों की भी सराहना की, खासकर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने के प्रयासों को.
प्रोफेसर कंबोज ने अंबाला, यमुनानगर और हिसार में तीन नए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना का स्वागत किया, जो फलों की खेती में विशेष रूप से लीची, स्ट्रॉबेरी और खजूर के उत्पादन को बढ़ावा देंगे. इन केंद्रों का उद्देश्य शोध और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से उत्पादन और किसानों की आय को बढ़ावा देना है.
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महिला किसानों के लिए भी बजट में कई अहम प्रावधान किए गए हैं. सरकार ने डेयरी, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन में लगी महिला किसानों को 1 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण देने की घोषणा की है, जो उनके आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करेगा.
किसानों के लिए पानी की अधिक खपत वाली धान की खेती से दूसरे फसलों की ओर रुख करने के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने की योजना का भी स्वागत किया गया. इस योजना के तहत, किसानों को अन्य फसलों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे पानी की बचत के साथ-साथ कृषि क्षेत्र की स्थिरता भी बढ़ेगी.
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बजट में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी कई योजनाएं पेश की गई हैं. इनमें से एक प्रमुख कदम हिसार हवाई अड्डे पर एयर कार्गो गोदाम की योजना है, जो किसानों को वैश्विक बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा. यह पहल किसानों की लाभप्रदता बढ़ाने में सहायक होगी और उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगी.
हालांकि, बजट के कुछ प्रावधानों पर किसान यूनियनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के भिवानी जिले के अध्यक्ष राकेश आर्य ने इसे "कागजी बजट" करार दिया. उनका कहना था कि इस बजट में संघर्षरत किसानों के लिए कोई वास्तविक समाधान नहीं है और किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जैविक खेती की पहल स्वागत योग्य है, लेकिन यह अधिकांश किसानों द्वारा सामना किए जा रहे तत्काल वित्तीय बोझ को दूर नहीं करती.
उन्होंने यह भी कहा कि बजट में उर्वरकों और बीजों पर सब्सिडी, एमएसपी की गारंटी, ऋण राहत या डीजल और कीटनाशकों की कीमतों में कमी की कोई योजना नहीं है, जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद जरूरी है.
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