राजस्थान में किसान महापंचायत 29 जनवरी को आयोजित होगी. इस किसान महापंचायत में प्रदेश के करीब 4537 गांव सम्मिलित हो रहे हैं. किसान महापंचायत के द्वारा 29 जनवरी को प्रदेश में गांव बंद करने का ऐलान किया गया है. किसानों का आंदोलन अब एक बार फिर से सक्रिय होता हुआ नजर आ रहा है. इसी क्रम में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट नागौर पहुंचे और बोले कि किसान नेता गांव-गांव जाकर किसानों से समर्थन मांग रहे हैं. अब तक वह खुद 35 जिलों में समर्थन के लिए पहुंच चुके हैं और गांव बंद आंदोलन में गांव का उत्पादन गांव से बाहर नहीं जाएगा, इसका आह्वान कर रहे हैं.
रामपाल जाट ने बताया है कि आंदोलन में 35 जिलों के किसानों का समर्थन मिल चुका है. वहीं नागौर के अलावा अन्य जिलों के किसानों से गांव बंद आंदोलन के लिए वह खुद संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने बताया है कि पंजाब समेत पड़ोंस के राज्यों में किसान अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अब राजस्थान में किसानों ने गांव बंद आंदोलन शुरू करने का निर्णय ले लिया है. इस आंदोलन के लिए किसान और स्थानीय नेता गांव-गांव घूम रहे हैं और किसान बंद आंदोलन के लिए किसानों से समर्थन की मांग कर रहे हैं.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया है कि गांव बंद आंदोलन के दौरान किसान अपने उत्पाद बेचने के लिए अपने गांव से बाहर नहीं जाएगा. यदि गांव में आकर कोई व्यापारी उत्पाद खरीदना चाहे तो उसे पर रोक नहीं रहेगी. उन्होंने बताया कि राजस्थान के सभी 45000 से अधिक गांव में यह आंदोलन चलाया जाएगा. इस दौरान गांव बंद के दौरान गांव का कोई भी व्यक्ति अपने उत्पाद को लेकर बाजार नहीं जाएगा. नहीं वह रेलगाड़ी, बस या किसी अन्य वाहन का इस्तेमाल करेगा. हालांकि आपातकालीन स्थिति में गांव बंद नहीं होगा. यानी आपातकालीन स्थिति में गांव के लोग आ जा सकेंगे. हम यह आंदोलन अहिंसा को लेकर करेंगे.
जाट ने बताया है कि किसी किसान या किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर गांव बंद का दबाव नहीं बनाया जाएगा. किसान खुद की इच्छा पर आधारित होगा. इस बार हमने सत्य, शांति और अहिंसा के व्रत की पालना करते हुए इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. आंदोलन के दौरान न्यूनतम जन समर्थन की संभावना से द्वेष की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी और आपसी प्रेम और सद्भाव के आधार पर जन समर्थन प्राप्त किया जा रहा है. हमारा मुख्य उद्देश्य "खेत को अपनी फसल का दाम" दिलाना है. खेत को पानी के लिए सिंचाई परियोजना प्राथमिकता से बनाने और "फसल दाम" फसल खराब की क्षतिपूर्ति के साथ "न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी कानून" रहेगा.
इस दौरान जाट ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को मिलने वाली मोदी की गारंटी है. लेकिन अभी तक जो गारंटी है उसको विधानसभा की टेबल पर नहीं पहुंचाया गया है क्योंकि यह कानून केवल अलमारी तक ही सीमित है. इसलिए सरकार को अब यह कानून को अलमारी से बाहर निकालना होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today