कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को दिल्ली स्थिति अपने मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और किसानों के मुद्दे को उठाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने एमएसपी, किसानों की आत्महत्या, फसलों का उचित दाम और निर्यात बैन जैसे मुद्दों पर घेरा. कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुडा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हाल ही में, एक स्थायी समिति की रिपोर्ट सामने आई जिसने खेती और कृषि क्षेत्र के लिए चिंताएं बढ़ा दीं. कृषि क्षेत्र के लिए आवंटित एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का उपयोग नहीं किया गया बल्कि सरेंडर कर दिया गया.
हुडा ने कहा, वर्तमान शासन के कार्यकाल में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है, हर दिन 30 किसान. दूसरी ओर, 14.5 लाख करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट ऋण माफ कर दिए गए.किसानों के लिए आवंटित धनराशि क्यों सरेंडर की जा रही है. क्या ऐसा है ताकि उनका उपयोग कॉर्पोरेट घरानों के कल्याण के लिए किया जा सके. प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुडा ने कहा, स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार ने 5 साल में कृषि बजट का 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक सरेंडर कर दिया है. यह पैसा सिर्फ कागजों में दिखाया गाया, लेकिन उसे खर्च नहीं किया गया. BJP सरकार में 2014-2022 तक 1 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली. क्या इन पैसों से किसानों को राहत देकर, किसानों की जान नहीं बचाई जा सकती थी? वहीं कांग्रेस सरकार में 72 हजार करोड़ रुपये से किसानों के कर्ज माफ हुए थे.
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कृषि बजट पर लोगों का ध्यान खींचते हुए हुडा ने कहा, देश में जितना कृषि बजट दिखाया जा रहा है, वो छल है- क्योंकि खर्च नहीं किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ देश के ओवरआल बजट के मुकाबले कृषि बजट में हर साल गिरावट हो रही है. आंकड़ों की बात करें तो साल 2013-14 के मुकाबले किसानों पर 2018-19 में 60% ज्यादा कर्ज था. इसके अलावा, MSP की मांग को भी पूरा किया जा सकता था, जिसे लेकर किसानों ने आंदोलन भी किया था.
कांग्रेस नेता ने कहा, देश के 80 परसेंट किसानों को गेहूं और 76 परसेंट किसानों को धान पर MSP नहीं मिलती है. UPA की सरकार में गेहूं की MSP 119 परसेंट बढ़ाई गई थी जबकि मौजूदा BJP सरकार ने गेहूं की MSP में सिर्फ 47 परसेंट की बढ़ोतरी की. UPA की सरकार ने धान की MSP में 134 परसेंट की वृद्धि की थी, जबकि BJP सरकार ने मात्र 50 परसेंट की बढ़ोतरी की. जहां UPA की सरकार में MSP की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई, कर्जा माफी हुआ; वहीं BJP की सरकार में ना MSP बढ़ी, ना कर्ज माफ हुआ. "किसान की आय दोगुनी होगी"- ये भी किसान के साथ बड़ा छल था.
हुडा ने कहा, जब दुनिया के बाजारों में गेंहू, धान और अन्य अनाजों का भाव मिल सकता है, तब एक्सपोर्ट बैन कर दिया जाता है. जहां इंपोर्ट करना होता है, वहां तुरंत सारे कायदे-कानूनों को ताक पर रख दिया जाता है. यह देश के किसान पर मोदी सरकार की दोहरी मार है. ऐसे में फरवरी में फिर से किसान आंदोलन की बातें उठ रही हैं, क्योंकि सरकार ने जो भी बातें किसानों की मांगे मानी थीं, वो पूरी नहीं हुईं. मोदी सरकार की सोच किसान विरोधी है.
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