तीन साल बाद पंजाब के किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं. ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन के बीच ही कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में वह एमएसपी को एक जटिल मसला करार देते हुए इसे अर्थव्यवस्था के लिए बुरा बता रहे हैं. वीडियो ऐसे समय में आया है जब पिछले दिनों कांग्रेस के नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने सरकार बनने पर किसानों को एमएसपी देने का वादा किया है. वीडियो कब का है फिलहाल इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है लेकिन इसके सामने आने के बाद से एक बार फिर कांग्रेस पार्टी आलोचकों के निशाने पर है.
सैम पित्रोदा का वीडियो में कहते हुए सुना जा सकता है कि एमएसपी सतही स्तर पर भले ही एक सामान्य मसला नजर आए लेकिन असल में यह एक बहुत ही जटिल विषय है. उनका कहना था कि एमएसपी के लिए प्रदर्शन सिर्फ उत्तर भारत के किसान ही कर रहे हैं और दक्षिण या पूर्वी भारत के किसान इससे दूर हैं. पित्रोदा ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि एमएसपी सिर्फ 23 चीजों के लिए ही है और ये 23 चीजें फूड चेन का सिर्फ 20 फीसदी ही हैं. उनका कहना था कि फूड चेन में पोल्ट्री और दूध जैसी चीजें भी आती हैं.
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उनका कहना था कि कई अर्थशास्त्रियों ने भी माना है कि एमएसपी अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है और बेकार है. पित्रोदा ने कहा कि 23 चीजों में जो दो आइटम सबसे हैं, वो हैं चावल और गेहूं. उनकी मानें तो एक विशेष राज्य के किसान इनकी खेती करते हैं और वो भी इसके लिए बहुत सारे कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं. दक्षिण भारत और पश्चिम भारत के किसानों के लिए है , किसी भी समय कोई एमएसपी नहीं है. उनका कहना था कि एमएसपी को एक बड़े समाधान की जरूरत है.
पित्रोदा की मानें तो इसके बाद भी किसानों की बात सुननी चाहिए कि उनकी आय कैसे बढ़े. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास विकल्प होता तो वह कृषि तकनीक को बेहतर करने की दिशा में काम करते. उन्होंने किसानों को फल, सब्जियां और नकदी फसलें उगाने के लिए ट्रेनिंग देने की बात कही ताकि वो सिर्फ पारंपरिक चावल और गेहूं की ही खेती न करते रहें.
बुधवार को केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से पांचवें दौर की बातचीत करने की अपील की है. केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सरकार एमएसपी, पराली जलाने, एफआईआर वापस लेने आदि सहित सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है. वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत की बीकेयू ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक और मोर्चा खोल दिया है. कई जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टरों से विरोध प्रदर्शन किया गया.
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