राजस्थान में भाजनलाल की सरकार अब एक्शन मोड में आती दिखाई दे रही है. आपको बता दें इससे पहले राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार थी. ऐसे में कोरोना काल में गहलोत सरकार के द्वारा चलाई गई 210 करोड़ रुपए की 'घर-घर वन औषधि' योजना की अब जांच कारवाई जा रही है. इसके लिए भजनलाल सरकार योजना के तहत लगाए गए करीब 15 करोड़ पौधों की जांच फिजिकली करवाएगी. ये निर्देश वन मंत्री संजय शर्मा ने हाल ही में वन विभाग की समीक्षा बैठक में दिया है. शर्मा ने अधिकारियों को सोच-समझकर आंकड़े पेश करने की चेतावनी दी है. जिसके बाद अब अधिकारी और कर्मचारी दोनों सदमे में नजर आ रहे हैं. वे असमंजस में हैं कि इतने सारे पौधों का वेरिफिकेशन कैसे होगा.
अधिकारियों और सूत्रों के मुताबिक 15 करोड़ पौधों का वेरिफिकेशन बेहद मुश्किल काम है. इसे लागू करना बहुत कठिन है. इसके लिए वन विभाग की पूरी फौज लगाई जाए तभी यह काम हो सकता है. चूंकि मंत्री ने यह दिया है कि अगर आंकड़ों में कोई गड़बड़ी पायी गयी तो वह खुद इसका सत्यापन करेंगे, इसलिए इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं है. इसलिए अब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सत्यापन का रास्ता निकालने में जुटे हैं.
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आपको बता दें, राजस्थान में हर साल करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन फिर भी हरियाली के प्रतिशत में कोई खासा बढ़ोतरी नजर नहीं आ रही है. जिसके बाद वन विभाग की समीक्षा बैठक में पिछली गहलोत सरकार की योजनाओं की जांच के आदेश दिए गए हैं. इसमें कोरोना काल में चलाई गई 210 करोड़ रुपये की घर-घर वन औषधि योजना की जांच और करीब 15 करोड़ पौधों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने के निर्देश दिए गए हैं.
योजना के मुताबिक कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के लोगों को दो औषधीय प्रजाति के आठ प्रकार के पौधे वितरित किये जाने थे. वन विभाग की पहली समीक्षा बैठक में जब वन मंत्री संजय शर्मा ने इस योजना पर सवाल उठाया तो कई अधिकारियों ने बैठक में ही कहा कि जब इस योजना के पौधे हमें नहीं मिलेंगे तो आम जनता को कैसे मिलेंगे.
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