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क्या है अमरूद बागवानी घोटाला जिसने पंजाब को हिला कर रख दिया है? करोड़ों के घपले का है मामला

क्या है अमरूद बागवानी घोटाला जिसने पंजाब को हिला कर रख दिया है? करोड़ों के घपले का है मामला

अमरूद बाग घोटाले में अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बताया जा रहा है कि ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमएडीए) की तरफ से मोहाली के बाकरपुर गांव में अधिग्रहण की गई जमीन के बदले में 137 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया गया था जो कि गलत था. 

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अमरूद भी हुआ घोटाले का शिकार  अमरूद भी हुआ घोटाले का शिकार

विजिलेंस ब्‍यूरो ने बुधवार को पंजाब में 20 जगहों पर छापेमारी की हैं. विभाग ने 2004 बैच के आईएएस ऑफिसर वरुण रूजम और फिरोजपुर के डिप्‍टी कमिश्‍नर  राजेश धीमान के घर भी छापा मारा है. धीमान 2014 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं. यह छापा 137 करोड़ रुपये के अमरूद के बाग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के केस में पड़ा है. वरुण एक्‍साइज और टैक्‍सेशन कमिश्‍नर हैं. अमरूद बाग घोटाले में अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बताया जा रहा है कि ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमएडीए) की तरफ से मोहाली के बाकरपुर गांव में अधिग्रहण की गई जमीन के बदले में 137 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया गया था जो कि गलत था. 

100 लोगों को हुआ फायदा 

खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो घोटाले में करीब 100 लोगों को फायदा पहुंचाया गया है और इसमें करीब 200 एकड़ भूमि शामिल है. विजिलेंस ब्यूरो ने साल 2016 और 2020 के बीच बाकरपुर और आसपास के गांवों में जीएमएडीए की तरफ से अधिग्रहित की गई जमीन के लिए जाली डॉक्‍यूमेंट्स के आधार पर मुआवजा हासिल करने के लिए करोड़ों रुपये के अमरूद बाग मुआवजा मामले में मामला दर्ज किया था. आईपीसी की धारा 409, 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (ए), 13 (2) के तहत विजिलेंस ब्यूरो में दो  मई 2023 को पुलिस स्टेशन, फ्लाइंग स्क्वाड-1, मोहाली में मामला दर्ज किया गया था. 

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फर्जी रजिस्‍टर पर मिला मुआवजा 

विजिलेंस ब्यूरो के अनुसार, बाकरपुर निवासी प्रॉपर्टी डीलर भूपिंदर सिंह ने जीएमडीए, राजस्व और बागवानी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत से मुकेश जिंदल और विकास भंडारी सहित अपने साथियों के साथ मिलकर कृषि भूमि पर अमरूद के बाग लगाने शुरू कर दिए. एक सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी पर जमीन हासिल करके इस काम को अंजाम दिया जा रहा था. बताया जा रहा है कि आरोपियों ने साल 2019 में हलका पटवारी बचितर सिंह के साथ मिलीभगत करके एक फर्जी गिरदावरी रजिस्टर तैयार किया था. इसमें उन्होंने साल 2016 से अपनी जमीन पर अमरूद के बागों का स्वामित्व दिखाकर अवैध रूप से करोड़ों रुपये का मुआवजा हासिल किया था. 

जांच के दौरान  पाया गया कि मुख्य आरोपी भूपिंदर सिंह ने अपने और अपने परिवार के लिए अमरूद के बागानों के लिए लगभग 24 करोड़ रुपये का मुआवजा लिया था. बठिंडा के रहने वाले मुकेश जिंदल ने करीब 20 करोड़ रुपये का मुआवजा लिया. 29 जुलाई, 2023 को पांच आरोपियों के खिलाफ मोहाली अदालत में चार्जशीट फाइल की गई थी. मामले में पहला चालान भूपिंदर सिंह, बिंदर सिंह, विशाल भंडारी, बचित्तर सिंह, पटवारी और मुकेश जिंदल के खिलाफ पेश किया गया था. 

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6000 पेज में 33 गवाहों की गवाही 

बागवानी विकास अधिकारी जसप्रीत सिंह सिद्धू, जो उस समय खरड़ और डेरा बस्सी में तैनात थे, इस मामले में आखिरी गिरफ्तारी 30 जनवरी, 2024 को हुई थी. विजिलेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में मामले में 33 गवाहों की गवाही के लिए लगभग 6,000 पेजों का दस्तावेजी रिकॉर्ड शामिल है. वरुण रूजम की पत्‍नी डॉक्‍टर सुमनप्रीत कौर और राजेश धीमान की पत्‍नी जैस्‍मीन कौर धीमान का फायदा लेने वालों की उस लिस्‍ट में शामिल है जिन्‍हें बाकरपुर गांव में अधिग्रहीत जमीन के बदले में गलत तरीके से अच्छा मुआवजा मिला था. 

क्‍यों एक्टिव हुआ सुप्रीम कोर्ट  

कुछ लाभार्थियों को मुआवजे की 100 प्रतिशत राशि जमा करने की पेशकश के बदले हाई कोर्ट की तरफ से अग्रिम जमानत मिल गई थी. बाकी आरोपियों ने भी इसका फायदा उठाया. इसके बाद विजिलेंस ब्यूरो ने हाई कोर्ट के जमानत आदेशों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तथ्यों पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को नोटिस जारी किया.  हाईकोर्ट ने कई आरोपी लाभार्थियों को कुल 72.36 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. इसमें से 43.72 करोड़ रुपये 30 जनवरी तक जमा कर दिए गए हैं.

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क्‍यों चुना गया अमरूद 

बाकी पेड़ों की तुलना में अमरूद का पेड़ अपेक्षाकृत कम समय में, करीब तीन से चार साल में फल देना शुरू कर देता है. आरोप है कि इसी वजह से आरोपियों  ने उस जमीन पर अमरूद के पेड़ लगाने का फैसला किया, जिसे बाद में जीएमडीए ने अधिग्रहित कर लिया था.  फलदार वृक्ष वाली भूमि का मुआवजा सामान्य वृक्ष वाली भूमि से कहीं अधिक है. एफआईआर में कहा गया है कि हर प्रति एकड़ करीब 2000 से 2500 पेड़ लगाए गए थे. जबकि पीएयू अधिकतम प्रति एकड़ केवल 132 पेड़ लगाने की सिफारिश करता है. इसलिए, यह साबित होता है कि मुआवजे को अधिकतम करने के इरादे से 2016 में पेड़ लगाए गए थे. इसका मकसद फल हासिल करने की जगह मुआवजा राशि हासिल करना था.