scorecardresearch
केंद्र से नहीं मिल रहा सूखा राहत कोष- कर्नाटक के सीएम का मोदी सरकार पर बड़ा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

केंद्र से नहीं मिल रहा सूखा राहत कोष- कर्नाटक के सीएम का मोदी सरकार पर बड़ा आरोप, सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखे की घोषणा की है, जिनमें से 196 को पिछले कुछ महीनों में गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. सरकार के अनुसार, यह पिछले 30-40 वर्षों में सबसे गंभीर स्थिति है. सूखे के कारण 48,000 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो गई है.

advertisement
कर्नाटक में सूखे से हालात गंभीर कर्नाटक में सूखे से हालात गंभीर

कर्नाटक सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ याचिका दायर की है. सीएम सिद्धारमैया ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, हमने राज्य को सूखा राहत निधि के वितरण में देरी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ ये याचिका लगाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सूखे की स्थिति पर मंत्रिस्तरीय टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपने के पांच महीने बाद भी केंद्र ने धनराशि जारी नहीं की है.  कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखे की घोषणा की है, जिनमें से 196 को पिछले कुछ महीनों में गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. सरकार के अनुसार, यह पिछले 30-40 वर्षों में सबसे गंभीर स्थिति है. सूखे के कारण 48,000 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो गई है.

कर्नाटक सीएम ने बताया कानून 

कांग्रेस मुख्यमंत्री ने कहा, 'आज, हमने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) जारी करने की मांग करते हुए केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका दायर की है.' राज्य में पिछले कुछ महीने से सूखे की विकट स्थिति बनी हुई है. राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अनुसार केंद्र से राहत राशि प्राप्त करने का हकदार है. उन्‍होंने आगे कहा, जब सूखा पड़ता है और गंभीर होता है, तो यह कानून लागू होता है ताकि राज्यों को राहत मिल सके. एसडीआरएफ और एनडीआरएफ है. 

किसानों को कौन देगा जवाब 

उनका कहना था कि 15वें वित्त आयोग के तहत किस राज्य को कितना फंड मिलेगा यह तय कर दिया गया है. 75 प्रतिशत केंद्र का और 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य का है. किसानों की परेशानियों का जवाब देना केंद्र और राज्य का कर्तव्य है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य ने केंद्र को तीन ज्ञापन सौंपे थे और एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) ने राज्य के सभी तालुकों का सर्वे किया था और 20 अक्टूबर, 2023 को केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी. मुख्यमंत्री ने कहा, मुआवजा एक महीने के भीतर दिया जाना चाहिए था.

पीएम मोदी ने नहीं किया कुछ 

सीएम ने आरोप लगाया कि, प्रधानमंत्री बाद में बेंगलुरु आए और मैंने उन्हें याद दिलाया, लेकिन रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से अब तक कुछ नहीं किया गया है. अब तक कोई पैसा जारी नहीं किया गया है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि राज्य ने पहले ही 33.4 लाख किसानों को 650 करोड़ रुपये वितरित कर दिए हैं और पानी के लिए 870 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. लेकिन किसानों को 5,600 करोड़ रुपये की राहत की जरूरत है. बाकी केंद्र को देना है. यह केंद्र की ओर से एक दायित्व है.