निर्यात बन्दी के कारण प्याज का मुद्दा इस समय गर्म है. अब 31 मार्च के बाद भी प्याज निर्यात बंद रहेगा. इस बात को लेकर किसान गुस्से में हैं. इस बीच न्यूनतम दाम में थोड़ा सुधार दिखाई दे रहा है. जहां पहले कई मंडियों में न्यूनतम दाम 1, 2 रुपये किलो तक रह गया था वहीं अब यह बढ़कर 5 से लेकर 12 रुपये किलो तक पहुंच गया है. हालांकि किसानों का कहना है इतना दाम लागत से कम है, इसलिए उन्हें अब भी नुकसान है. किसानों का कहना है कि प्याज की प्रति किलो लागत 15 से 20 रुपये किलो तक पहुंच गई है इसलिए सरकार कम से कम 30 रुपये किलो का न्यूनतम दाम उनके लिए तय करे.
महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार कई मंडियों में 23 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है. जबकि औसत दाम 15 रुपये किलो चल रहा है. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि अगर सरकार ने प्याज की निर्यातबन्दी नहीं की होती तो किसानों को कम से कम 30 रुपये किलो का दाम मिल रहा होता. इसलिए सरकार किसानों को हुए घाटे की भरपाई करे वरना किसान घाटे में कब तक खेती करेंगे.
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महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों के नेता भारत दिघोले ने कहा है कि अब लोकसभा चुनाव में निर्यातबन्दी से पीड़ित किसान वोट की चोट मारने के लिए बड़ा फैसला लेंगे. इसके लिए संगठन की कोर कमेटी रणनीति बना रही है कि कैसे उन लोगों को सबक सिखाया जाए जिनकी वजह से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. उनका दावा है कि निर्यातबन्दी की वजह से किसानों का पूरा खरीफ सीजन बर्बाद हो गया. अब रबी सीजन भी बर्बाद होने की कगार पर है, क्योंकि एक्सपोर्ट अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है. जबकि महाराष्ट्र में करीब 65 परसेंट प्याज की फसल रबी सीजन में ही होती है.
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