"पंजाब में अगर PM फसल बीमा योजना लागू की होती तो..." किसानों को मुआवजा देने पर AAP सरकार को BJP ने घेरा

"पंजाब में अगर PM फसल बीमा योजना लागू की होती तो..." किसानों को मुआवजा देने पर AAP सरकार को BJP ने घेरा

Punjab Flood: पंजाब में बाढ़ प्रभावित किसानों को मुआवजा देने को लेकर भाजपा ने आप की मान सरकार पर करारा हमला किया. भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि अगर पंजाब में AAP सरकार ने केंद्र सरकार की पीएम फसल बीमा योजना को लागू करने के लिए प्रीमियम का अपना हिस्सा दिया होता, तो किसानों को आसानी से मुआवजा मिल सकता था.

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"पंजाब में अगर PM फसल बीमा योजना लागू की होती तो..." किसानों को मुआवजा देने पर AAP सरकार को BJP ने घेरापंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़

पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि अगर AAP सरकार ने केंद्र सरकार की योजना को लागू करते हुए प्रीमियम का अपना हिस्सा दिया होता, तो बाढ़ प्रभावित किसानों को 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के तहत आसानी से मुआवज़ा मिल सकता था. जाखड़ ने आरोप लगाया कि प्रीमियम देने के बजाय, भगवंत मान सरकार ने सरकारी धन खर्च करके "प्रचार" को प्राथमिकता दी है. गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा नेता का यह दावा तब आया है जब पंजाब मंत्रिमंडल ने बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई प्रत्येक एकड़ फसल के लिए 20,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्णय लिया है. यह बाढ़ राज्य में 1988 के बाद से आई सबसे भीषण बाढ़ है.

'पंजाब सरकार को छोड़कर सभी राज्यों ने लागू किया'

एक बयान में, पंजाब भाजपा अध्यक्ष जाखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जो प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों से होने वाले नुकसान के लिए कवर प्रदान करती है, वह 2016 में शुरू की गई थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बाद में राज्यों के सुझावों को स्वीकार करके इस योजना में बदलाव किए. उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार को छोड़कर सभी राज्यों ने इसे लागू किया, क्योंकि पंजाब सरकार को "डर था कि इसका श्रेय भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र को जा सकता है". उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, पंजाब के हजारों किसान आज इस योजना के लाभ से वंचित हैं. जाखड़ ने कहा कि पंजाब सरकार ने नवंबर 2022 में इस योजना को लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन अपने "संकीर्ण" राजनीतिक हितों के कारण पीछे हट गई.

'प्रचार को ज़्यादा प्राथमिकता दे रही पंजाब सरकार'

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि मार्च 2023 में सरकार ने पंजाब में इस योजना को लागू करने से फिर हाथ खींच लिए, क्योंकि प्रीमियम का भुगतान करने के बजाय, "प्रचार" को ज़्यादा प्राथमिकता दी गई. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, किसान बीमित राशि का केवल 2 प्रतिशत ही भुगतान करता है, जबकि शेष प्रीमियम राज्य और केंद्र सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाता है. उन्होंने कहा कि देश के चार करोड़ से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. हरियाणा का किसान धान की फसल के लिए प्रति एकड़ प्रीमियम के रूप में लगभग 850 रुपये का भुगतान करता है और उसे प्रति एकड़ लगभग 42,000 रुपये तक का कवरेज मिलता है.

'बीमा पॉलिसी लाने में विफल रही आप सरकार'

जाखड़ ने आगे कहा, "इस योजना के तहत बीमित किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर लगभग 500 रुपये का दावा भुगतान किया गया है. अब तक, 22 करोड़ से ज़्यादा किसानों को इस योजना के तहत 1,80,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि प्राप्त हुई है." भाजपा नेता ने आगे कहा कि आप सरकार ने दावा किया था कि राज्य की नई कृषि नीति के अनुसार, वे एक बीमा पॉलिसी लाएंगे, लेकिन वह ऐसा करने में "विफल" रही है और उसने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी लागू नहीं की है.

बता दें कि पंजाब इस समय दशकों की सबसे भीषण बाढ़ आपदाओं में से एक का सामना कर रहा है. इस विनाशकारी बाढ़ में मरने वालों की संख्या 51 हो गई है, जबकि 1.84 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं.

(सोर्स- PTI)

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