
बारिश का मौसम है और इन दिनों सांप के काटने के घटनाएं बढ़ जाती हैं. इसी क्रम में योगी सरकार के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में गुरुवार को राजधानी लखनऊ में सर्प दंश (Snakebite) की घटनाओं तथा इस संघर्षपूर्ण स्थिति को कम करने की रणनीतियों के बारे में चर्चा की गई. हॉफकिन्स इंस्टीट्यूट, पुणे की पूर्व निदेशक डॉ. निशिगंधा नाइक ने उत्तर प्रदेश में सर्प दंश की घटनाओं की प्रकृति, कारण एवं गंभीरता पर एक प्रस्तुति दी तथा दीर्घकाल में मानव जीवन एवं अन्य संसाधनों को बचाने के लिए इन घटनाओं को कम करने हेतु एक प्रणाली स्थापित करने के अपने अनुभव साझा किए.
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मानव-पशु संघर्ष को आपदा घोषित किया है और सरकारी आदेश के अनुसार मानव हानि, चोट और संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जाती है. भारत में, सांप के काटने से होने वाली वार्षिक मानव मृत्यु 55 हजार से 65 हजार के बीच होती है, जबकि सांप के काटने की घटनाएं 2.5 लाख से 3.0 लाख तक होती हैं. उत्तर प्रदेश प्रमुख प्रभावित राज्यों में से एक है क्योंकि सांप के काटने से होने वाली मानव मृत्यु सालाना 15 हजार से 16 हजार के बीच होती है. सांप के जहर से निपटने में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बड़े स्पेक्ट्रम और कुशल एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता है.
पहले के दिनों में सांप के काटने से खतरे में पड़े मानव जीवन को बचाने के लिए एंटीडोट की 3 से 5 खुराक पर्याप्त थी. अब 15 से 25 खुराक लगती हैं यह भी सच है कि बहुत से लोगों को विषैले और गैर विषैले सांपों में अंतर करने की बुनियादी जानकारी नहीं होती. जिससे न केवल दहशत फैलती है, बल्कि सांपों की मौत भी हो जाती है.
मामले पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने वरिष्ठ वन अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सांप के काटने से प्रभावित व्यक्तियों, सांप के जहर रोधी दवा की आवश्यकता और उपलब्धता का व्यापक आकलन करें.
सांपों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हुए सांपों को बचाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करें. जहरीले और गैर विषैले सांपों की पहचान करने के कौशल विकसित करने के लिए ग्रामीणों और वन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार जनहानि को कम करने के लिए चिंतित है और साथ ही सांपों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) मनोज सिंह ने वरिष्ठ वन अधिकारियों को गांव स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, प्रत्येक गांव में कम से कम एक सांप बचाव व्यक्ति को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने, जहरीले सांपों की पहचान करने और उन्हें बचाने के लिए वन कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए तौर-तरीके विकसित करने के निर्देश दिए.
देसी इलाज, जड़ी-बूटियां और अन्य अनिश्चित या असुरक्षित तरीकों से बचें. सांप के काटने पर घरेलू नुस्खे, आयुर्वेदिक दवा या जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल ना करें. ये फायदे की बजाय नुकसान पहुंचा सकते हैं. सांप के काटने के बाद जितना जल्दी हो सके मरीज को अस्पताल ले जाएं.
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