International Womens Day 2025: तमाम परेशानियों के बीच खेती बनी सहारा, पढ़ें महिला किसानों की सफलता की कहानी

International Womens Day 2025: तमाम परेशानियों के बीच खेती बनी सहारा, पढ़ें महिला किसानों की सफलता की कहानी

महिलाएं अब घर का चुल्हा-चौका छोड़ पुरूषों के साथ खेतों में ट्रैक्टर सहित अलग-अलग यंत्रों का इस्तेमाल कर खेती कर रही हैं. एक तरह से देखें तो हर पेशे में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं अधिक सक्रिय हैं. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम ऐसी ही महिला किसानों की सफलता की कहानी जानेंगे.

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तमाम परेशानियों के बीच खेती बनी सहारा, पढ़ें महिला किसानों की सफलता की कहानीमहिला दिवस

साल में आज का दिन यानी 8 मार्च का दिन महिलाओं के नाम है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के रूप में मनाया जाता है. यह खास दिन मौजूदा समय में ये याद दिलाता है कि आज के समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं. देश की महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर हैं. खेती-बाड़ी में महिला किसानों की अहमियत बहुत तेजी से बढ़ रही है. महिलाएं अब घर का चुल्हा-चौका छोड़ पुरूषों के साथ खेतों में ट्रैक्टर सहित अलग-अलग यंत्रों का इस्तेमाल कर खेती कर रही हैं. एक तरह से देखें तो हर पेशे में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं अधिक सक्रिय हैं.आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम ऐसी ही महिला किसानों की सफलता की कहानी जानेंगे जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बीच खेती-किसानी में अपना परचम लहराया है.

सब्जी की खेती से संभाला घर

बिहार के कैमूर जिले के सकरी गांव की रहने वाली अनिता देवी खेती में अपनी सफलता की परचम लहरा रही हैं. अनिता देवी ने बताया कि आठवीं पास करने के बाद कम उम्र में उनकी शादी कर दी गई थी. शादी के कुछ सालों बाद ही पति की तबीयत खराब रहने लगी. तब उन्होंने रोजी-रोटी को चलाने के लिए खेती करने का निर्णय लिया और ‘आत्मा कार्यालय कुदरा’ से संपर्क किया. जहां उन्हें सब्जी की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद उन्होंने सब्जी की खेती करने की शुरुआत की. इसके बाद उन्हें अच्छा उत्पादन प्राप्त किया. आज वह अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण और बीमार पति का इलाज करा रही हैं.

खुद ट्रैक्टर चला रही महिलाएं

बिहार के सुपौल जिले के अमहा गांव की रहने वाली महिला किसान मंजुली कुमारी खुद से गेहूं की खेती करके अपनी सफलता की परचम लहरा रही हैं. मंजुली कुमारी कस्टम हायरिंग सेंटर की ममद से रोटावेटर मशीन को किराए पर लेकर खेती की हैं और अब खेतों में गेहूं की फसल को देखकर काफी खुश भी हैं. इसके अलावा उसी जिले की अन्य महिला किसानों ने बताया कि उन्हें गर्व होता है कि महिला होके खेतों में ट्रैक्टर चलाकर खुद से खेती कर रही हैं और अन्य महिलाओं को मेहनत करने का प्रेरणा दे रही हैं. महिलाओं ने बताया कि कस्टम हायरिंग सेंटर ने उनकी घरों में रौनक ला दी और उनकी जिंदगी को बदल दिया. 

मशरूम की खेती में मिली सफलता

ऐसी ही सफलता की एक कहानी है बक्सर जिले के गांव उत्तमपुर की रहने वाली इंद्रासनी देवी की, जो वर्ष 2022 से मशरूम उत्पादन कर रही हैं. उन्होंने बताया कि जब पहली बार मशरूम की खेती की तो उन्हें डेढ़ महीने बाद पहली तुड़ाई पर लगभग 50 किलो मशरूम का उत्पादन मिला. लेकिन अब इंद्रासनी देवी प्रतिदिन 10 किलो मशरूम की तुड़ाई करती हैं जिससे उन्हें 1200 से 1400 रुपये रोज की कमाई होती है. इस सफलता से उनके परिवार की जीवनशैली में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और समाज में उनके सम्मान को मानने का एक त्योहार है. यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिस्थितियों पर ध्यान देने के लिए मनाया जाता है, साथ ही उनके अधिकारों और स्वतंत्रता को समझाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है.

खेती में महिलाओं की भूमिका

देश की खेती-बाड़ी में महिलाओं की भूमिका बहुत बड़ी है और सरकार इसके हर क्षेत्र में महिलाओं को प्राथमिकता दे रही है. यहां तक कि कृषि के क्षेत्र में महिला किसानों को योजनाओं का लाभ प्रमुखता से दिया जाता है. महिला किसान विशेष रूप से किसान क्रेडिट कार्ड और किसान उत्पादक संगठनों की सभी किसान केंद्रित योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं.

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