कल या परसों, कब है जन्माष्टमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और समय

कल या परसों, कब है जन्माष्टमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और समय

भगवान श्रीकृष्‍ण अपनी नटखट बाल लीलाओं के लिए विशेष रूप से याद किए जाते हैं. वहीं, उनके जन्‍मोत्सव का भी भक्तों को इंतजार रहता है. ऐसे में इस बार श्रीकृष्‍ण जन्‍मोत्‍सव यानी जन्‍माष्‍टमी कब है, लड्डू गोपाल की पूजन विध‍ि क्‍या है, पूजन में क्‍या सामग्री लगती है और शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी पढ़ें.

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कल या परसों, कब है जन्माष्टमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और समयश्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 2024

Janmashtami 2024: भगवान श्रीकृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव का हर साल करोड़ों भक्‍तों को बेसब्री से इंतजार रहता है. हिंदू पंचाग के अनुसार, श्रीकृष्‍ण जन्‍मोत्‍सव यानी जन्माष्टमी का त्‍योहार हर साल भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की बालरूप में पूजा करते हैं. श्रीकृष्‍ण का बालस्वरूप लड्डू गोपाल के नाम से प्रसिद्ध है.

दो दिन मनाई जाएगी जन्‍माष्‍टमी

श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी का पर्व वृंदावन और मथुरा में बहुत ही धूमधाम और हर्ष और उल्‍लास के साथ मनाया जाता है. इस साल श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा, लेकिन जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति‍ है. ऐसे में जान‍िए जन्माष्टमी की सही तिथि, पूजन के मुहूर्त और पूजन विधि की विध‍ि के बारे में.  ज्योतिषियों के अनुसार जन्‍मोत्‍सव 26 अगस्त को मनाया जाएगा. वहीं, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में 27 अगस्त को श्रीकृष्‍ण जन्‍मोत्‍सव मनाया जाएगा. 

जन्माष्टमी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त की मध्यरात्रि में 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्‍त होगी. दरअसल, भगवान कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे थे. यही कारण है कि कृष्ण जन्माष्टमी हमेशा इसी नक्षत्र में मनाई जाती है. आपको बता दें क‍ि रोहिणी नक्षत्र का समय 26 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3:38 मिनट पर समाप्‍त होगा. ऐसे में पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त रात 12 बजे से शुरू होकर रात्रि 12:44 तक रहेगा. 

पूजन के लिए लाएं मूर्ति व सामग्री

भगवान श्रीकृष्ण (लड्डू गोपाल) की मूर्ति, छोटी बांसुरी, मुकुट, लड्डू गोपाल के लिए झूला, एक नया आभूषण, तुलसी के पत्ते, गंगाजल, अक्षत, चंदन, केसर, मक्खन,  छोटी इलायची, कलश, पान, सुपारी, हल्दी, सिंहासन, इत्र, सिक्के, सफेद वस्‍त्र, लाल वस्‍त्र, कुमकुम, मौली, नारियल, लौंग, दीपक, तेल या घी, अगरबत्ती, कपूर, दीया की बाती, धूप बत्ती, फल और मोरपंख. 

जन्माष्टमी पर ऐसे करें पूजा 

Janmashtami Pujan Vidhi जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहि‍ए. इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. फिर लड्डू गोपाल का श्रृंगार करने के बाद विधि- विधान से उनकी पूजा की जाती है. बाद में लड्डू गोपाल का पालना सजाकर उन्हें झूला झुलाया जाता है और उनका दूध व गंगाजल से अभिषेक किया जाता है. 

फिर लड्डू गोपाल को नव वस्त्र, मुकुट, चंदन और वैजयंती माला आद‍ि से तैयार कर बांसुरी दी जाती है. लड्डू गोपाल को तुलसीदल, मखाने, मक्खन, फल और मिश्री का भोग लगाया जाता है. इसके साथ उन्‍हें मिठाई, मेवे, और पंजीरी भी अर्पित की जाती है. इसके बाद आखिरी में धूप-दीप जलाकर बाल गोपाल की आरती करें और लोगों को पूजा का प्रसाद बांटें. 

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