पश्चिम बंगाल में आंधी-तूफान में जमकर कहर बरपाया है. इससे प्रदेश में 6 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, फसलों की भी बहुत अधिक बर्बादी हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि नादिया, पुरुलिया और पूर्व बर्धमान सहित दक्षिण बंगाल के जिलों में आंधी-तूफान का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है. अधिकारियों ने कहा कि इन जिलों में एक विवाहित जोड़े सहित 6 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, इस खबर से लोगों के बीच दहशत का माहौल है.
एक अधिकारी ने कहा कि आंधी-तूफान के चलते पूर्वी रेलवे के सियालदह डिवीजन की सियालदह-कैनिंग लाइन पर उपनगरीय ट्रेन सेवाएं एक घंटे से अधिक समय तक प्रभावित रहीं. क्योंकि आंधी के दौरान केले की पत्तियां ओवरहेड इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन तार पर गिर गईं. उन्होंने बताया कि रात आठ बजे से सवा नौ बजे तक ट्रेन सेवाएं प्रभावित रहीं. इस दौरान यात्री अपने-अपने घर तक पहुंचने के लिए परेशान नजर आए.
ये भी पढ़ें- 30 दिन में आलू की कीमत 12 फीसदी उछली, प्याज और टमाटर का पारा भी चढ़ा, अगले कुछ माह महंगी रहेंगी सब्जियां
भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) के सूत्रों ने कहा कि खराब मौसम के कारण अन्य गंतव्यों से कोलकाता जाने वाली कुछ उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा. उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण कोलकाता आने वाली तीन उड़ानों - दो दिल्ली से और एक बागडोगरा से - को अन्य हवाई अड्डों की ओर मोड़ना पड़ा. सूत्रों ने बताया कि कोलकाता से रांची जाने वाली एक उड़ान को पार्किंग बे में लौटना पड़ा, क्योंकि तूफान के कारण वह उड़ान नहीं भर सकी.
मौसम विभाग ने 10 मई तक क्षेत्र में आंधी-तूफान की आशंका जताई है. सोमवार दोपहर से दक्षिण बंगाल के कई जिलों में तेज़ हवाओं के साथ मध्यम से भारी बारिश हुई, जिससे तापमान में काफी गिरावट आई है. मौसम कार्यालय ने कहा कि दक्षिण झारखंड के ऊपर एक चक्रवाती परिसंचरण और बंगाल की खाड़ी से मजबूत नमी आने से पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में बिजली और तेज हवाओं के साथ आंधी आएगी. मौसम कार्यालय के अनुसार, 30 अप्रैल को कोलकाता में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था, जो 50 वर्षों में सबसे अधिक था. खास बात यह है कि आंधी- तूफान से पहले कोलकाता में चिलचिलाती धूप से लोग परेशान थे.
ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में मकई में हो सकता है फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप, बचाव के लिए पढ़ें आईएमडी की सलाह
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today