
अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के कोटा खुर्द गांव में शनिवार सुबह 4 बजे बारिश के कारण एक किसान का मकान गिर गया. इस हादसे में किसान रेशा खान और उनके परिवार के 7 लोग मलबे में दब गए. हादसे के दौरान घर के अंदर खड़े टैक्टर के चलते सभी की जान बच गई, क्योंकि घर का पटाव ट्रैक्टर के ऊपर गिरा. इस घटना में एक बच्ची के गम्भीर चोट आई है. रामगढ़ के कोटा खुर्द गांव में रेशा खान अपनी पत्नी शेरी, दो बेटे इन्नत और साहिल, दो पोतियों- शहजुम और गुलप्सा और पाेते नौशाद के साथ बरामदे में सो रहे थे.
गांव में रुक रुक कर बीती रात से बारिश हो रही थी. सुबह 4 बजे मस्जिद में अजान के समय आई बारिश से अचानक बरामदे का बीम और पट्टियां टूटकर नीचे गिर गईं, लेकिन बरामदे में खड़े टैक्टर ने बीम को रोक लिया और बड़ा हादसा टल गया. इस दौरान तेज धमाके की आवाज हुई.
आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे. उन्होंने मलबे में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाला और रामगढ़ अस्पताल में भर्ती करवाया. पोती शहजुम की हालत गंभीर होने पर उसे अलवर के अस्पताल के लिए रेफर किया गया. वहीं, बाकी लोगों को मामूली चोटें आईं, उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई.
ग्रामीणों ने हादसे की सूचना जिला प्रशासन और पुलिस को दी. कुछ देर में रामगढ़ थानाधिकारी विजेंद्र सिंह ने घटनास्थल का मुआयना किया. रेशा खान ने बताया कि हादसे में कमरे में रखा फ्रिज और अन्य सामान भी मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त हो गया है.
मामले की सूचना पर तहसीलदार को दी गई है. उसके बाद जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंची है. मामले की रिपोर्ट बनाकर प्रशासन को भेजी गई है. जिला प्रशासन की तरफ से क्षेत्र में लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
इधर, राज्य के भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया क्षेत्र में हुई तेज बरसात से ऐरु नदी उफान पर आ गई, जिसके चलते तिलस्वा महादेव मंदिर परिसर में बाढ़ जैसे हालात बन गए. मंदिर के मुख्य गेट पर करीब 4 फीट पानी भर गया और पास की अस्थायी दुकाने डूब गईं. दुकानदार अपना सामान छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए. 20 दिनों में यह दूसरी बार है जब इस धार्मिक स्थल पर बाढ़ की स्थिति बनी है. मंदिर परिसर में मौजूद दो हजार से अधिक यात्रियों को वहीं रुकने के निर्देश दिए गए हैं.
बिजोलिया तहसीलदार ललित कुमार ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सिविल डिफेंस टीम को बुलाया गया है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी की चौड़ाई बढ़ाई जाए और सलावटिया-तिलस्वा मार्ग पर ऊंची पुलिया बनाई जाए ताकि हर बार बाढ़ से मुश्किलें न झेलनी पड़ें. इस साल जुलाई में भी तिलस्वा महादेव मंदिर परिसर और कई मकान जलमग्न हो चुके थे. इसके साथ ही पालकी नदी पूरे वेग से बह रही है और मंडोल बांध ओवरफ्लो हो गया है. (भीलवाड़ा से प्रमोद तिवारी का इनपुट)
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