पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है. इसके साथ ही उन इलाकों में हल्की बारिश और बूंदाबांदी भी देखने के लिए मिल सकती है. साथ ही कई स्थानों पर बादल छाए रह सकते हैं. इस तरह के मौसम में सब्जियों और फसलों की खेती में कीट और रोगों के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए किसानों को अपने खेतों की निरंतर निगरानी करते रहना चाहिए. साथ ही किसी प्रकार से रोग और बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर उसका उपचार की तैयारी करनी चाहिए. किसानों को ऐसे मौसम में नुकसान से बचाने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है. इसका पालन करके किसान मौसम से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.
अब बारिश का मौसम शुरू होने वाला है. ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वो अपनी सब्जियों और मकई के खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें क्योंकि जलजमाव के कारण फसलों सब्जियों को नुकसान हो सकता है. आईएमडी ने कहा है कि ऐसे मौसम में मक्के में फॉल आर्मीवर्म का अटैक हो सकता है. यह कीट मकई का दु्श्मन माना जाता है. इसलिए इसकी तुंरत पहचान करके इसके प्रबंधन के लिए उपाय करना बेहद जरूरी है. इसलिए किसान निरंतर अपने खेत की निगरानी करते रहें. सप्ताह में एक बार खेत की जांच जरूर करें.
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फॉल आर्मी वॉल कीट शुरुआती अवस्था से ही फसल को प्रभावित करना शुरू करता है. यह मक्के की पत्तियों को खाता है. इसके प्रकोप के कारण मक्के की पत्तियों के किनारे मुड़ जाते हैं. इसके अलावा कीट द्वारा पत्तों को खाए जाने के कारण पत्तियों में गोल और आयताकार छेद हो जाते हैं. इसलिए जब किसान इसका प्रबंधन करें और खेतों की निराई गुड़ाई करते समय कीट के अंडों के समूह और लार्वा को हाथ से चुनकर इसे नष्ट कर दें. इसके अलावा इसके लार्वा को मिट्टी के तेल में डुबा कर छोड़ दें या फिर जिन पौधों में इसका अधिक प्रकोप है उसमें लकड़ी का कोयला, मिट्टी या राख का भुरकाव करें.
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मक्के की फसल को फॉल आर्मीवर्म के प्रकोप से बचाव के लिए मक्के की खेती करने के साथ इंटरक्रॉपिंग के तौर पर दलहनी फसलों की खेती करें. इसमें मक्के के साथ अरहर, काला चना और हरा चना की खेती करें. इससे कीट के प्रबंधन में मदद मिलती है. इसके अलावा अगर खेत में इस कीट का प्रकोप 10 प्रतिशत से अधिक दिखाई देता है तो इसके लिए निर्धारित कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं. इनमें 5 प्रतिशत नीम बीज का अर्क या एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा बी इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी का 0.4 ग्राम या स्पाइनोसैड 45 ईसी का 0.3 प्रतिशत प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. ध्यान रहे की दवाओं का छिड़काव तब करें जब धूप खिली हुई हो.
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