भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 29 फरवरी से 13 मार्च तक एक व्यापक मौसम अपडेट और दो सप्ताह का पूर्वानुमान जारी किया है. इसमे बताया गया है कि इस दौरान देश के उत्तरी हिस्सों में एक के बाद एक तीन पश्चिमी विक्षोभ आएंगे. इससे हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. इसके प्रभाव के कारण पूरे मध्य भारत में ओलावृष्टि और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा भी हो सकती है. अगले दो सप्ताह को लेकर जारी किए हए पूर्वानुमान मे कहा गया है कि भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में वर्षा के साथ-साथ पश्चिमी हिमालय क्षेत्र पर पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव जारी रहेगा. मार्च की शुरुआत में कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि, भारी बर्फबारी और तेज़ हवाओं की संभावना रहेगी, जबकि मध्य और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में छिटपुट बारिश की उम्मीद की जा सकती है.
मार्च के पहले सप्ताह के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ के कारण व्यापक वर्षा और बर्फबारी की भविष्यवाणी की गई है. उत्तरी मैदानी इलाकों के अलग-अलग इलाकों में भारी वर्षा और ओलावृष्टि हो सकती है. मार्च के दूसरे सप्ताह में पश्चिमी हिमालय और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में लगभग सामान्य वर्षा हो सकती है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में सामान्य से कम स्तर की बारिश हो सकती है. दूसरे सप्ताह के दौरान दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अधिकतम तापमान 2-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान है. मार्च के पहले सप्ताह में दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत और गुजरात में तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा, जबकि अधिकांश अन्य क्षेत्रों में सामान्य के करीब या उससे कम तापमान रहेगा. देश के अधिकांश हिस्सों में दूसरे सप्ताह के दौरान तापमान धीरे-धीरे बढ़ने का अनुमान है.
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वहीं ताजा सक्रिय हुए पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव आज से ही दिखाई देने वाला है. आज जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई इलाकों में बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है, जो आज रात से शुरू होकर 3 मार्च तक जारी रहने की उम्मीद है. इसके अलावा, 1 और 2 मार्च को भारी से बहुत भारी बर्फबारी, बारिश और ओलावृष्टि की भविष्यवाणी की गई है. इसका असर उत्तरी भागों के साथ-साथ, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के कुछ हिस्सों और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों पर भी होगा. इन इलाकों में 1 से 3 मार्च तक बारिश होने की संभावना है. 2 मार्च को इन क्षेत्रों में गरज के साथ 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने और अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि की भविष्यवाणी की गई है.
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मौसम में आ रहे इन बदलावों को देखते हुए कृषि मौसम सलाहकारों ने भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. उत्तरी राजस्थान के किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गेहूं, ज्वार और सरसों जैसी परिपक्व फसलों की कटाई जल्द से जल्द करें और अनुमानित मौसम की स्थिति को देखते हुए कटी हुई उपज को सुरक्षित स्थानों पर सुरक्षित रखें.
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में किसानों को जल जमाव के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए फसल के खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करने के लिए इसी तरह की सावधानियों की सलाह दी जा रही है. इसके अलावा, दिशानिर्देश हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में बागवानी फसलों और सब्जियों के लिए यांत्रिक सहायता प्रदान करने की सलाह देते हैं। इन उपायों का प्रस्ताव फसलों पर आगामी मौसम की स्थिति के संभावित हानिकारक प्रभावों को कम करना है.
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