पंजाब के मोगा जिले का सबसे छोटा गांव माने जाने वाला फतेहगढ़ पंचतूर का दानेवाल गांव इन दिनों गंभीर बीमारी के संकट से जूझ रहा है. महज 250 की आबादी और 35 परिवारों वाला यह गांव कैंसर और काला पीलिया जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में है. गांव के हालात इतने गंभीर हैं कि यहां पिछले कुछ वर्षों में 14 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है और 35 से 40 लोग काला पीलिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. कुछ दिन पहले गांव के मौजूदा सरपंच के 14 साल का जवान बेटे की भी कैंसर से मौत हो गई.
जानकारी से पता चला कि गांव में पीने का पानी बेहद प्रदूषित और जहरीला हो चुका है. भूजल का स्तर बहुत करीब है और आसपास के गंदे तालाब का पानी भूजल में मिल जाने के कारण पीने लायक नहीं बचा है. इसके चलते हर घर में बीमारी ने अपना डेरा डाल दिया है. गांव के हालात इतने बदतर हैं कि यहां न तो कोई सरकारी स्कूल है, न स्वास्थ्य केंद्र. गांव का प्राइमरी स्कूल 20 साल पहले बंद हो चुका है और गूगल मैप पर भी गांव का नाम दर्ज नहीं है. यहां के सभी लोग किसान हैं और अपनी खेती से ही गुजारा करते हैं.
कई किसान परिवारों ने अपनों के इलाज के लिए अपनी जमीनें और घर तक बेच डाले हैं. कई लोग लाखों के कर्ज तले दबे हुए हैं और अब उनके पास कोई सहारा नहीं बचा है. इस गांव के किसान लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी और सरकारों की बदलती प्राथमिकताओं के कारण आज भी यह गांव सरकार के हर सुविधाओं से वंचित है. गांव के लोग डर और चिंता में दिन काट रहे हैं कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले समय में यह बीमारी और भयानक रूप ले सकती है.
गांव के एक किसान गुरमुख सिंह ने बताया कि पिछले कुछ सालों में उनके परिवार के चार सदस्यों की मौत कैंसर और काले पीलिया के कारण हो चुकी है. दुसरे किसान हरमनप्रीत सिंह ने बताया कि कई वर्ष पहले उनके दादा जी और पिताजी की मृत्यु कैंसर के चलते हुई थी. वहीं, सुखवंत सिंह ने दुख जताया कि वर्ष 2019 में उनके पिता को कैंसर ने उनसे छीन लिया.
गांव के मौजूदा सरपंच निशांत सिंह ने तो और भी दुखद घटना साझा की महज चार दिन पहले उनके 12 वर्षीय बेटे की मृत्यु हो गई. जोगिंदर सिंह ने बताया कि कुछ वर्ष पहले उनके बेटे और पत्नी की जान भी कैंसर और काले पीलिया ने ले ली. वहीं. सतनाम सिंह ने कहा कि उनकी पत्नी की दो साल पहले कैंसर से मौत हो चुकी है. किसानों का कहना है कि इन बीमारियों ने सैकड़ों सपनों को उजाड़ दिया है. लोगों के दिलों में डर और निराशा घर कर गई है. उनका कहना है, हमें लगता है कि हम पंजाब के ऐसे गांव में रहते हैं, जिसे सरकार और प्रशासन ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है. गांव की सबसे बड़ी मांग है कि प्रशासन गांव के तालाब की सफाई और स्वास्थ्य जांच करवाए ताकि बीमारी की जड़ पर प्रहार किया जा सके.
गांव के पूर्व सरपंच दलजीत सिंह ने बताया कि गांव में एक पुराना तालाब है, जिसकी गहराई लगभग 30 से 40 फीट हैय गांव का भूजल स्तर भी इतना ही है, जिससे तालाब का गंदा पानी ज़मीन में रिसकर गांव के ट्यूबवेल और मोटरों के मिल जाता है. इसी वजह से गांव का पीने का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. इस गंभीर समस्या को कई बार प्रशासन के संज्ञान में भी लाया गया है और लिखित में शिकायत दी गई है, लेकिन आज तक किसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
वहीं, एडीसी मोगा चारुमिता ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही हेल्थ टिम गांव पहुंच चुकी है, जो कि घर-घर जाकर सबकी टेस्ट करेंगे साथ ही जो पानी का प्रॉब्लम है उनके सेंपल लेकर टेस्ट किया जाएगा ताकि किस कारण बीमारी फैल रही है तो पता चलेगा. इसके अलावा सिविल सर्जन मोगा प्रदीप कुमार ने बताया कि मोगा डिप्टी कमिश्नर की आदेश के अनुसार आज सुबह से ही टीम गांव में जाकर जांच शुरू कर दी है और हेल्थ रिलेटेड जो भी समस्याएं हैं उसका हल निकाला जाएगा. (तन्मय सामंत की रिपोर्ट)
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